दुनिया-जहां: अब यूक्रेन के पूर्वी इलाकों को घेरने को कोशिश क्यों कर रहा है रूस?
रूस ने अब यूक्रेन के पूर्वी हिस्सों पर अपनी ताकत झोंक दी है। राजधानी कीव और आसपास के इलाकों में निर्णायक बढ़त बना पाने में असफल रहा रूस अब डोनबास इलाके पर ध्यान लगा रहा है। दूसरी तरफ यूक्रेन का कहना है कि वह लड़ने को तैयार है। वहीं अमेरिका ने कहा है कि डोनबास की लड़ाई और लंबी खिंच सकती है। आज दुनिया-जहां में जानते हैं कि रूस डोनबास को घेरने की क्यों कोशिश कर रहा है।
डोनबास इलाका क्या है?
डोनबास यूक्रेन का एक पुराना कोयला और इस्पात उत्पादक क्षेत्र है। इसी में लुहांस्क और दोनेत्सक क्षेत्र आते हैं, जिन्हें रूस ने स्वतंत्र क्षेत्र के तौर पर मान्यता दे दी है। ये मारियुपोल की दक्षिणी सीमा से शुरू होकर उत्तरी सीमा तक फैले हुए क्षेत्र हैं। जानकारों का कहना है कि डोनबास इलाके में रहने वाले रूसी भाषी लोगों के कारण रूस को यह लगता है कि इस क्षेत्र पर यूक्रेन से ज्यादा उसका अधिकार है।
डोनबास पर नियंत्रण क्यों चाहता है रूस?
रूस 2014 से लगातार यह आरोप लगाता आया है कि यूक्रेन पूर्वी इलाकों में नरसंहार कर रहा है। 24 फरवरी को युद्ध की शुरुआत के समय दो तिहाई पूर्वी इलाका यूक्रेन के नियंत्रण में था, जबकि बाकी पर रूस समर्थित अलगाववादियों का कब्जा था। अब रूस इन इलाकों पर कब्जा करना चाह रहा है। उसका अगला कदम इन इलाकों को क्राइमिया की तरफ यूक्रेन से अलग कर अपनी सीमा में शामिल करना भी हो सकता है।
पूर्वी इलाकों में यूक्रेनी सेना को घेरने की कोशिश
पिछले हफ्ते रूस ने दावा किया था कि उसने लुहांस्क के 93 प्रतिशत और दोनेत्सक के 54 प्रतिशत इलाके पर कब्जा कर लिया है। यूक्रेनी शहर मारियुपोल को भी खंडहर में तब्दील कर चुका है। अब रूस पूर्व में यूक्रेनी सेना को घेरना चाहता है। रूसी सेना ने पहले ही रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इजिम शहर पर नियंत्रण कर लिया है और लुंहास्क के कई शहरों पर उसके धुआंधार हमले जारी हैं।
आठ सालों से पूर्वी इलाकों में चल रहा संघर्ष
अब रूस जिन शहरों पर नियंत्रण पाना चाहता है, वहां 2014 से ही संघर्ष चल रहा है और बिना किसी बड़े हमले के शायद ही कोई दिन निकलता है। इन इलाकों में विद्रोह को दबाने के लिए यूक्रेन ने अपने बेहद प्रशिक्षित सुरक्षाबलों को तैनात किया है। यहां बड़ी संख्या में यूक्रेनी सैनिक मोर्चा संभाले हुए हैं। रूसी हमलों की आशंका को देखते हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है।
क्या यूक्रेनी सेना रूस का सामना कर पाएगी?
युद्ध की शुरुआत में ज्वाइंट फोर्सस ऑपरेशन (JFO) में शामिल हुईं 10 ब्रिगेड्स के सैनिकों को यूक्रेन की सबसे प्रशिक्षित और आधुनिक हथियारों से लैस सुरक्षाबल माना जाता है। इनकी तैनाती पूर्वी क्षेत्रों में ही हुई है। दूसरी तरफ युद्ध के पांच हफ्तों के दौरान रूसी सेना को भारी नुकसान पहुंचा है और उनके हौसले भी पस्त हो गए हैं। इसके अलावा रूसी सैनिकों के साथ लड़ रहे विद्रोही लड़ाके भी बेहद प्रशिक्षित नहीं हैं।
इन रणनीतियों के साथ आगे बढ़ रहे दोनों देश
रूस ने दक्षिण-पूर्व में काफी क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया है और अब वह क्राइमिया से लेकर अपनी सीमा के साथ स्थित तटीय इलाकों पर कब्जा करना चाहता है। वहीं यूक्रेन की कोशिश उसे ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की है।
पूर्व में हालात बेहद खराब- जेलेंस्की
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि रूसी सेना देश के उत्तरी हिस्सों से वापस हट रही है। उसकी रफ्तार धीमी, मगर नजर आने वाली है। उन्होंने चेताया कि रूस अपनी सेना को एकजुट कर देश के पूर्वी और दक्षिण हिस्सों पर हमले की तैयारी कर रहा है। जेलेंस्की ने पूर्वी में स्थिति को बेहद मुश्किल करार दिया है। कई सहायता संगठन युद्ध से बर्बाद हो चुके शहरों से लोगों को निकालने में लगे हुए हैं।