दिनेश गुणावर्धने बने श्रीलंका के प्रधानमंत्री, परिवार का भारत से है खास रिश्ता
क्या है खबर?
आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे श्रीलंका को नया प्रधानमंत्री मिल गया है। नव निर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने 73 वर्षीय दिनेश गुणावर्धने को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। गुणावर्धने इससे पहले श्रीलंका के विदेश, शिक्षा और गृह मंत्री रह चुके थे।
बता दें कि गुणावर्धने के परिवार का भारत के साथ खास कनेक्शन है और उनके पिता ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया था।
आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
पृष्ठभूमि
श्रीलंका में क्या हो रहा है?
भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा खत्म हो चुकी है और वह जरूरी चीजों का आयात नहीं कर पा रहा है।
इस आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका में लोग पिछले तीनों महीनों से सड़कों पर हैं और उनके दबाव के कारण गोटाबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा था। राजपक्षे देश छोड़कर सिंगापुर भाग गए हैं।
उनके बाद प्रधानमंत्री रहे रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति बनाया गया है।
जानकराी
पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे के करीबी हैं गुणावर्धने
श्रीलंका के वरिष्ठ नेता गुणावर्धने को पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे का करीबी माना जाता है और वो अपने स्पष्टवादिता के लिए मशहूर हैं।
विपक्ष के संयुक्त नेता रहते हुए 2015 से 2019 के बीच गुणावर्धने ने मैत्रिपाला सिरिसेना और विक्रमसिंघे के खिलाफ विपक्ष की आवाज मजबूत की थी। इसके बाद हालात ऐसे बने कि विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति रहते हुए गुणावर्धने प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे।
यूनियन लीडर रहे गुणावर्धने ने अपनी पढ़ाई अमेरिका और नीदरलैंड से पूरी की है।
कनेक्शन
परिवार का भारत से क्या रिश्ता?
न्यूज18 के अनुसार, श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री के पिता फिलिप गुणावर्धने विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी में जयप्रकाश नारायण और वीके कृष्णा मेनन के साथ पढ़ते थे।
यहां से उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया था। लंदन में रहते हुए उन्होंने एंटी-इंपीरिलिस्ट लीग का नेतृत्व भी किया।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजी शासन से बचने के लिए फिलिप और उनकी पत्नी कुसुमा ने कई बार श्रीलंका से बचकर भारत आए थे, लेकिन यहां वो पकड़े गए।
जानकारी
आर्थर रोड जेल में बंद रहे थे गुणावर्धने के परिजन
1943 में ब्रिटिश खुफिया एजेंसी ने दोनों को गिरफ्तार कर मुंबई (तब बॉम्बे) के आर्थर रोड जेल में बंद कर दिया था। यहां एक साल तक रखने के बाद दोनों को श्रीलंका भेज दिया गया और युद्ध समाप्त होने के बाद ही दोनों को रिहा किया गया।
1947 में आजादी के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने श्रीलंका जाकर फिलिप और उनके परिवार का स्वतंत्रता की लड़ाई में योगदान देने के लिए धन्यवाद किया था।
जानकारी
साफ छवि के नेता हैं गुणावर्धने
1948 में श्रीलंका को आजादी मिलने के बाद फिलिप और कुसुमा सांसद बने। आगे चलकर फिलिप 1956 में बनी पीपल्स रिवॉल्यूशन सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। उनके चार संतानें हैं और चारों ही राजनीति में बेहद ऊंचे पदों पर आसीन रही हैं।
गुणावर्धने की भी अपने परिजनों की तरफ साफ छवि हैं। कई दशकों से राजनीति में सक्रिय रहे गुणावर्धने 22 सालों तक मंत्री रहे हैं और भारत के साथ बेहतर रिश्तों के पक्षधर रहे हैं।