घट रहे ओमिक्रॉन के मामले, लेकिन BA.2 सब-वेरिएंट से सावधान रहने की जरूरत- WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले अब घटने लगे हैं, लेकिन इसके सब-वेरिएंट्स को लेकर सावधान रहने की जरूरत है। संगठन की कोविड-19 तकनीकी टीम की प्रमुख मारिया वेन केरखोव ने ओमिक्रॉन के BA.2 सब-वेरिएंट को लेकर खास तौर पर चिंता व्यक्त की और कहा कि ये बाकी सब-वेरिएंट्स के मुकाबले अधिक संक्रामक है। हालांकि इसके अधिक घातक होने का कोई सबूत नहीं है।
केरखोव बोलीं- वायरल बदल रहा है, ओमिक्रॉन के कई सब-वेरिएंट
गुरूवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए केरखोव ने कहा, "वायरल बदल रहा है और ओमिक्रॉन के कई सब-वेरिएंट हैं जिन्हें हम ट्रैक कर रहे हैं। इनमें BA.1, BA.1.1, BA.2 और BA.3 शामिल हैं।" उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामले BA.1 के हैं, लेकिन BA.2 के मामलों के अनुपात में भी वृद्धि देखने को मिल रही है। केरखोव ने कहा कि BA.2 बाकी सब-वेरिएंट्स से अधिक संक्रामक है और इस पर नजर रखी जा रही है।
ओमिक्रॉन हल्का नहीं, लेकिन डेल्टा से कम घातक- केरखोव
केरखोव ने ये भी कहा कि ओमिक्रॉन हल्का वेरिएंट नहीं है, लेकिन डेल्टा से कम घातक है। उन्होंने कहा, "हमें अभी भी ओमिक्रॉन के कारण अस्पताल में भर्ती होने के मामले देखने को मिल रहे हैं। हमें मौतें भी देखने को मिल रही हैं। ये जुकाम नहीं है। ये इंफ्लुएंजा नहीं है। हमें अभी भी सावधान रहने की जरूरत है।" उन्होंने कहा कि ये जिस तरह से ओमिक्रॉन ने दुनियाभर में डेल्टा वेरिएंट को पछाड़ा, ये वास्तव में अविश्वसनीय है।
ओमिक्रॉन के कारण दुनियाभर में आई थी महामारी की नई लहर
बता दें कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण भारत समेत पूरी दुनिया को कोरोना वायरस महामारी की एक नई लहर का सामना करना पड़ा था और ज्यादातर देशों में रिकॉर्ड मामले देखने को मिले थे। अभी वैश्विक स्तर पर इसके मामले घटने लगे हैं, लेकिन इसके बावजूद पिछले एक हफ्ते में कोरोना के कारण 75,000 लोगों की मौत हुई। WHO के अनुसार, वैश्विक स्तर पर सामने आए ओमिक्रॉन के हर पांच में से एक मामले BA.2 सब-वेरिएंट का है।
न्यूजबाइट्स प्लस
यूनाइटेड किंगडम (UK) में हुई एक स्टडी में BA.2 सब-वेरिएंट को मूल ओमिक्रॉन वेरिएंट से अधिक संक्रामक पाया गया था। डेनमार्क में इस सब-वेरिएंट ने ओमिक्रॉन के मुख्य वेरिएंट को पछाड़ दिया था, हालांकि वहां इसे अधिक घातक नहीं पाया गया। BA.2 के बारे में सबसे चिंताजनक बात यह है कि ये RT-PCR टेस्ट को कुछ हद तक मात देने में कामयाब रहता है। इसे भारत समेत ज्यादा बड़े देशों में पाया जा चुका है।