#NewsBytesExplainer: क्या है SCO और भारत के लिए ये कितना अहम है?
कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 24वें शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। इसमें रूस, चीन, पाकिस्तान, भारत और कुछ मध्य एशियाई देश हिस्सा ले रहे हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन में शामिल नहीं हो रहे हैं। उनकी जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। आइए आज SCO, इसकी अहमियत और इसमें भारत की भूमिका के बारे में जानते हैं।
क्या है SCO?
SCO एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा संगठन है, जिसकी स्थापना 2001 में एक शिखर सम्मेलन के दौरान रूस, चीन, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान द्वारा की गई थी। 2017 में भारत और पाकिस्तान भी इसके स्थायी सदस्य बन गए। 2023 में ईरान भी इसका सदस्य बना, जिसके बाद सदस्य देशों की संख्या 9 हो गई है। अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया को संगठन में पर्यवेक्षक का दर्जा मिला हुआ है। 14 देश संगठन के वार्ता साझेदार हैं।
क्यों हुई थी SCO की स्थापना?
सोवियत संघ के टूटने के बाद रूस के पड़ोसी देशों में सीमा को लेकर विवाद होने लगा था। रूस को डर था कि ये विवाद युद्ध में बदल सकता है और चीन जमीन पर कब्जा कर सकता है। इस समाधान के लिए 1996 में रूस ने चीन और पूर्व सोवियत देशों के साथ मिलकर संगठन बनाया। चूंकि, इसका ऐलान शंघाई में हुआ था और इसमें 5 देश थे, इसलिए इसे शंघाई फाइव कहा जाता था, जो आगे चलकर SCO बना।
क्या है SCO का उद्देश्य?
SCO का कहना है कि इसका अहम मकसद 3 बुराइयों यानी अलगाववाद, आतंकवाद और कट्टरपंथ से लड़ना है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए SCO में एक 'क्षेत्रीय चरमपंथी विरोधी ढांचा' है। इसके तहत आतंकवाद विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सदस्य देशों के बीच खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान करना होता है। इसके अलावा संगठन राजनीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था, विज्ञान, तकनीक, ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर भी काम करता है।
भारत के लिए क्यों जरूरी है SCO?
व्यापार और मध्य एशिया तक पहुंच के नजरिए से भारत के लिए SCO अहम है। भारत का SCO देशों के साथ अरबों का व्यापार है। मध्य एशिया के लगभग सभी देश इसके जरिए जुड़े हुए हैं। इस वजह से भी भारत के लिए संगठन अहमियत रखता है। आतंकवाद से निपटने के लिए भी भारत SCO के जरिए अपनी आवाज उठाता रहा है। संगठन में भारत को रूस और चीन के बीच संतुलित शक्ति के तौर पर देखा जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी क्यों शामिल नहीं हो रहे हैं?
SCO में प्रधानमंत्री मोदी के न जाने को लेकर कई अटकलें हैं। दावा किया जा रहा है कि संसद सत्र को लेकर वे सम्मेलन में नहीं गए। हालांकि, कुछ जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी के चलते मोदी का दौरा रद्द किया गया है। दोनों देशों के साथ भारत के संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं। ऐसे में स्थिति असहज हो सकती थी।
दुनिया के लिए कितना अहम है SCO?
SCO देशों में दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत आबादी रहती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में इन देशों का योगदान 20 प्रतिशत के आसपास है। दुनिया भर के तेल भंडार का 20 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं देशों में है। इस लिहाज से SCO को काफी अहम माना जाता है। हालांकि, जानकार मानते हैं कि SCO ने कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं की है, क्योंकि इसके सदस्य देशों के बीच विवाद चल रहे हैं और आपसी विश्वास की कमी है।