#NewsBytesExplainer: मालदीव के संसदीय चुनावों पर क्यों हैं भारत और चीन की नजरें?
भारत के पड़ोसी देश मालदीव में आज संसदीय चुनावों के लिए मतदान हो चुका है। इसमें 93 संसदीय सीटों पर 2.84 लाख मतदाताओं ने हिस्सा लिया है। भारत विरोधी और चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु के लिए इसे अग्निपरीक्षा माना जा रहा है, क्योंकि राष्ट्रपति बनने के बाद ये उनका पहला संसदीय चुनाव है। चुनाव में कई पार्टियों के मैदान में उतरने से मुइज्जु के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। आइए जानते हैं भारत के लिए चुनाव क्यों अहम है।
मुइज्जु के पास संसद में नहीं है बहुमत
मालदीव की संसद मजलिस में मोहम्मद सालेह के नेतृत्व वाली विपक्ष की मालदिवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) को 41 सीटों के साथ बहुमत है। संसद में बहुमत न होने के चलते मुइज्जु कोई भी नया कानून नहीं बना पा रहे हैं। यानी अगर मुइज्जु को संसद में बहुमत हासिल करना है तो उनकी पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (PNC) को चुनाव जीतना ही होंगे। चुनावों के प्रारंभिक नतीजे 22 अप्रैल और अंतिम नतीजे 28 अप्रैल तक जारी किए जा सकते हैं।
मुइज्जु के लिए कई हैं चुनौतियां
मुइज्जु ने राष्ट्रपति चुनाव भले ही भारत और चीन की नीतियों को केंद्र में रखकर जीता हो, लेकिन संसदीय चुनावों में आर्थिक तनाव, रोजगार और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास जैसे मुद्दे छाए हुए हैं। हाल ही में मुइज्जु के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की एक रिपोर्ट में सामने आई है, जिसके बाद विपक्षी पार्टियों ने महाभियोग की मांग शुरू कर दी है। मुइज्जु की पार्टी को माले मेयर चुनाव में भारी अंतर से हार का सामना करना पड़ा था।
कई पार्टियों के उतरने से दिलचस्प हुआ मुकाबला
आमतौर पर मालदीव में 2 ही पार्टियां में मुख्य मुकाबला होता रहा है, लेकिन इस बार 4 बड़ी पार्टियां मैदान में हैं। कभी MDP में रहे पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद अब नई पार्टी बना चुके हैं। पिछले हफ्ते ही कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को भ्रष्टाचार के मामले में मिली 11 साल की सजा को रद्द कर दिया है, जिसके बाद वे भी नई पार्टी बनाकर मैदान में हैं। इसके अलावा कई स्वतंत्र उम्मीदवार भी ताल ठोंक रहे हैं।
भारत के लिए क्यों अहम है चुनाव?
मुइज्जु खुले तौर पर भारत विरोधी और चीन के समर्थक हैं। उन्होंने राष्ट्रपति बनने के बाद से ही कई भारत विरोधी फैसले लिए हैं। भारत चाहता है कि चुनावों में सालेह की MDP को जीत मिले। सालेह को भारत समर्थक माना जाता है। 2018 के चुनाव में जीत के बाद उन्होंने भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करने के लिए 'इंडिया फर्स्ट' नीति पर काम करना शुरू किया था।
चुनाव पर चीन की क्यों हैं नजरें?
मुइज्जे चीन समर्थक हैं। ये परंपरा रही है कि मालदीव का नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अपनी पहली विदेश यात्रा भारत की करता है, लेकिन मुइज्जु ने इसे तोड़ते हुए चीन की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए। मुइज्जु ने चीन को मालदीव में कई परियोजनाओं में निवेश की हरी झंडी दी है और वे 'चाइना फर्स्ट' नीति का पालन करते रहे हैं। इसलिए चीन की भी चुनावों पर नजरें हैं।
भारत-चीन के लिए क्यों अहम है मालदीव?
मालदीव हिंद महासागर में दुनिया के सबसे व्यस्त पूर्व-पश्चिम शिपिंग लेन पर स्थित है। इस वजह से इस देश का व्यापारिक महत्व है। रणनीतिक लिहाज से भी मालदीव दोनों देशों के लिए अहम है। यहां से हिंद महासागर के बड़े इलाके पर नजर रखी जा सकती है। इस इलाके में चीन के बढ़ते दखल की वजह से भारत के लिए ये महत्वपूर्ण है। यानी मालदीव के चुनाव देश के साथ ही आसपास के इलाकों का भविष्य भी तय करेंगे।
कौन हैं मुइज्जू?
15 जून, 1978 को जन्मे मुइज्जू ने लंदन यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। साल 2012 में उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और मंत्री बने। 2013 में जब अब्दुल्ला यामीन राष्ट्रपति बने तब भी वह मंत्री रहे। 2013 से 2081 तक उन्होंने कई पुल, पार्क, मस्जिद और सड़कें बनवाई। 2021 के चुनाव में वह राजधानी माले के मेयर बने। यामीन को सजा मिलने के बाद मुइज्जू को विपक्षी गठबंधन ने राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया।