क्या है रूस का नया फेक न्यूज कानून जिसके कारण कई मीडिया संस्थानों ने रोका काम?
क्या है खबर?
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शनिवार को 10वें दिन भी जारी रहा। रूसी सेना कीव की ओर बढ़ रही है, लेकिन यूक्रेनी सेना बड़ी बाधा बनी है।
इसी बीच रूस ने अपनी सेना के खिलाफ बढ़ते झूठे समाचारों को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है।
रूसी संसद ने सेना के खिलाफ फर्जी खबरें प्रकाशित करने पर 15 साल की सजा का प्रावधान किया है।
इसके बाद कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने काम बंद करने का ऐलान कर दिया।
कानून
क्या है रूस का नया फेक न्यूज कानून?
रूसी संसद के निचले सदन (रूसी में ड्यूमा) में शुरक्रवार को सेना के खिलाफ चल रही फर्जी खबरों को रोकने के लिए नया फेक न्यूज निरोधी प्रस्ताव रखा गया था। इसे सभी सांसदों ने महुमत से पारित कर दिया।
इसके बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए। जिसके बाद इसे कानून का रूप ले लिया।
इसके तहत रूसी सेना के खिलाफ झूठी खबर प्रकाशित करने पर 15 साल की सजा का प्रावधान किया गया है।
बयान
झूठ फैलाने वालों को मिलेगी सजा- वोलोडिन
कानून के पारित होने के बाद ड्यूमा के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन ने कहा कि यह कानून उन लोगों को सजा देगा, जो सेना के खिलाफ झूठ लिखेंगे, झूठा बयान देंगे और सेना को बदनाम करेंगे। इसके तहत दोषियों को 15 साल की जेल की सजा दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूसी सेना के खिलाफ चलाई जा रही खबरों को देखते हुए ड्यूमा ने दोषियों को सजा देने को इस कानून की रूपरेखा तैयार की है।
आरोप
रूसी अधिकारियों ने लगाया झूठी खबरें फैलाने का आरोप
रूसी अधिकारियों का आरोप है कि रूस के दुश्मनों में शामिल अमेरिका और उसके पश्चिमी यूरोपीय सहयोगियों द्वारा रूसी लोगों के बीच कलह पैदा करने के लिए झूठी खबरें फैलाई जा रही है। रूसी सांसदों ने इसे रोकने और ऐसे साजिशकर्ताओं को सजा दिलाने के लिए संसद में कानून पास किया गया है।
उन्होंने कहा कि इसके तहत अब रूसी सेना के खिलाफ झूठी खबर फैलाने या बयान देने पर 15 साल की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
जानकारी
प्रतिबंधों के लिए सार्वजनिक आह्वान करने पर लगेगा जुर्माना
रूसी अधिकारियों ने कहा कि कानून के तहत झूठी खबर पर जहां 15 साल की जेल का प्रावधान किया गया है, वहीं रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का सार्वजनिक आह्वान करने वालों के खिलाफ भी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।
परिणाम
BBC सहित कई मीडिया संस्थानों ने किया काम बंद करने का ऐलान
रूसी संसद के इस कानून को पारित करने के बाद ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) ने रूस की राजधानी मास्को में तैनात अपने पत्रकारों को अस्थायी रूप से काम बंद करने का आदेश दिया है।
इसी तरह ब्लूमबर्ग और कनाडा की CBC न्यूज, ABC न्यूज और अमेरिका के CNN न्यूज ने भी रूस में तैनात अपने सभी पत्रकारों को फिलहाल काम बंद करने के आदेश दिए हैं।
कानून की समीक्षा के बाद ही आगे के कार्य को लेकर निर्णय किया जाएगा।
बयान
स्वतंत्र पत्रकारिता की प्रक्रिया का अपराधीकरण है कानून- BBC
BBC के महानिदेशक टिम डेवी ने कहा, "यह कानून स्वतंत्र पत्रकारिता की प्रक्रिया का अपराधीकरण करने जैसा है। पत्रकारों को अपना काम करने के लिए आपराधिक मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है।"
ब्लूमबर्ग के प्रधान संपादक जॉन मिकलेथवेट ने कहा, "यह कानून किसी भी स्वतंत्र पत्रकार को अपराधी बनाने के लिए बनाया गया है। इससे देश के अंदर सामान्य पत्रकारिता के किसी भी प्रकार को जारी रखना असंभव हो जाएगा।"
चिंता
कानून को लेकर बेहद चिंतित है CBC न्यूज प्रशासन
कनाडाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्प (CBC) ने कहा कि उसने रूस में तैनात अपने पत्रकारों को अस्थायी रूप से काम बंद करने को कहा है। वह कानून के बारे में बहुत अधिक चिंतित है जो यूक्रेन और रूस की मौजूदा स्थिति पर स्वतंत्र पत्रकारिता का अपराधीकरण करेगा।
इसी तरह CNN के एक प्रवक्ता ने कहा, "CNN रूस में प्रसारण बंद कर देगा, जबकि हम स्थिति और हमारे अगले कदमों का मूल्यांकन करना जारी रखेंगे।"
प्रतिबंध
टि्वटर और फेसबुक पर भी प्रतिबंध लगा चुका है रूस
इससे पहले रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने सोशल मीडिया पर रूसी सेना और सरकार के खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए ट्वीटर और फेसबुक पर प्रतिबंध लगा दिया था।
ऐसे में अब रूस के लोग इन दोनों सोशल मीडिया दिग्गज का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।
इसके अलावा रूसी सरकार ने BBC, वॉयस ऑफ अमेरिका, रेडियो फ्री यूरोप, रेडियो लिबर्टी, जर्मन प्रसारक डॉयचे वेले और लातविया स्थित वेबसाइट मेडुजा को भी ब्लॉक कर दिया था।
हालात
वर्तमान में क्या है यूक्रेन में हालात?
युद्ध के 10वें दिन रूसी सेना यूक्रेन की राजधानी कीव के पूर्वी हिस्से के इलाकों तक पहुंच गई है और शहर में घुसने का प्रयास कर रही है। हालांकि, यूक्रेन के प्रतिरोध के चलते उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ा रहा है।
रूस यूक्रेन की हवाई ताकत को कमजोर नहीं कर पाया, जिसके चलते वह जमीन पर लड़ रही अपनी सेना को जरूरी मदद नहीं पहुंचा पा रहा है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने NATO की आलोचना की है।