कोरोना वायरस: ऑस्ट्रेलिया में धार्मिक नेता कर रहे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन का विरोध
क्या है खबर?
ऑस्ट्रेलिया में कई धार्मिक नेता ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित की जा रही कोरोना वायरस की वैक्सीन के विरोध में उतर आए हैं। पहले ईसाई धर्मगुरूओं ने इस वैक्सीन पर सवाल उठाए थे, वहीं अब एक विवादित मुस्लिम धर्मगुरू ने इस वैक्सीन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे विकसित करने के तरीके पर सवाल उठाते हुए इसे हराम बताया है।
पूरा मामला क्या है और धर्मगुरू इस वैक्सीन का क्यों विरोध कर रहे हैं, आइए आपको बताते हैं।
आरोप
इमाम बोले- भ्रूण की कोशिकाओं को विकसित कर बनाई गई है वैक्सीन
यूट्यूब पर वीडियो डालते हुए इमाम सुफयान खलीफा ने कहा है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने वैक्सीन बनाने के लिए 1970 में गर्भ से गिराए गए एक भ्रूण की कोशिकाओं को लैब में विकसित किया है।
इसे इस्लाम में हराम बताते हुए अपने वीडियो में उन्होंने कहा है, "वैक्सीन के उपयोग को सही बता रहे कुछ मुस्लिम संगठनों को शर्म आनी चाहिए। ऐसा फतवे पर हस्ताक्षर करने वाले इमाम को शर्म आनी चाहिए।"
विरोध
ईसाई पादरी भी जाहिर कर चुके हैं वैक्सीन विकसित करने के तरीके पर चिंता
इससे पहले एक वरिष्ठ कैथोलिक पादरी भी ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के निर्माण में शामिल एस्ट्राजेनेका नामक कंपनी के साथ ऑस्ट्रेलियाई सरकार के समझौते पर चिंता जाहिर कर चुके हैं।
सिडनी के आर्च-बिशप एंथनी फिशर का कहना है कि वह समझौते से बेहद व्यथित हैं और वैक्सीन को एक भ्रूण की कोशिकाओं की मदद से विकसित किया गया है जिससे ईसाइयों के सामने नैतिक सवाल दुविधा खड़ी होती है।
उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन को पत्र भी लिखा है।
पत्र
पत्र में अन्य वैक्सीनों का उपयोग करने की सलाह
पादरी फिशर ने अपने इस पत्र में प्रधानमंत्री मॉरिसन से धार्मिक आपत्तियों को शांत करने के लिए "नैतिक" तरीकों से बनाई गई अन्य वैक्सीनों पर विचार करने को कहा है। इस पत्र पर एंग्लिकन और ग्रीक ऑर्थोडॉक्स धार्मिक नेताओं ने भी हस्ताक्षर किए हैं।
ईसाइयों के इसी विरोध का हवाला देते हुए खलीफा ने अपने वीडियो में कहा है, "कैथोलिक इसके खिलाफ स्पष्ट रूप से खड़े हैं क्योंकि वे जानते हैं कि ये हराम और अवैध है।"
प्रतिक्रिया
अधिकारी बोले- धार्मिक भावनाओं का करते हैं सम्मान
धार्मिक नेताओं के इस विरोध पर ऑस्ट्रेलिया के कुछ अधिकारियों ने कहा है कि वे धार्मिक समुदायों की भावनाओं का सम्मान करते हैं। सरकार के एक प्रवक्ता का कहना है कि सरकार कई तरह की वैक्सीन बनाने के लिए रिसर्च और तकनीक में निवेश कर रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा ऑस्ट्रेलियाई लोगों को वैक्सीन लगाई जा सके।
इन्हीं में से एक क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन है जिसमें सरकार ने 50 लाख डॉलर का निवेश किया है।
ऐलान
ऑस्ट्रेलिया में अनिवार्य होगा कोरोना वायरस की वैक्सीन लगवाना
बता दें कि इस महीने की शुरूआत में ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने ऐलान किया था कि उसने एस्ट्राजेनेका के साथ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन के निर्माण का समझौता किया है और वैक्सीन के सुरक्षित और प्रभावी साबित होने पर इसका निर्माण किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मॉरिसन ने देश के सभी लोगों के मुफ्त में वैक्सीन लगाने का ऐलान भी किया है और लोगों के लिए वैक्सीन लगवाना अनिवार्य होगा।