#NewsBytesExplainer: पाकिस्तान में कार्यवाहक सरकार क्या होती है और ये कितनी शक्तिशाली?
पड़ोसी देश पाकिस्तान अब आर्थिक के साथ-साथ राजनीतिक संकट से भी जूझ रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सिफारिश के बाद नेशनल असेंबली भंग कर दी गई है। अब देश एक कार्यवाहक सरकार चला रही है। बलूचिस्तान प्रांत के सांसद अनवर-उल-हक काकर को देश का कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुना गया है, जो बलूचिस्तान आवामी पार्टी (BAP) से आते हैं। आइए समझते हैं कि पाकिस्तान में कार्यवाहक सरकार क्या होती है और इसके पास कितनी शक्तियां होती हैं।
क्या है कार्यवाहक सरकार की व्यवस्था?
कार्यवाहक सरकार एक अस्थायी सरकार होती है, जो चुनी हुई सरकार की अनुपस्थिति में दिन-प्रतिदिन के मामलों की देखरेख करती है और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराती है। इस सरकार पर जिम्मा होता है कि वो सुचारू तरीके से सत्ता के परिवर्तन को सुनिश्चित करे। पाकिस्तान में आमतौर पर कार्यवाहक सरकार का कार्यकाल 60 से 90 दिनों का होता है, यानी इस समय सीमा के भीतर कार्यवाहक सरकार को चुनाव कराने होते हैं।
किन परिस्थितियों में बनती है कार्यवाहक सरकार?
आमतौर पर कार्यवाहक सरकार 3 परिस्थितियों में बनाई जाती है। पहली- जब चुनी हुई सरकार किसी वजह से गिर जाए या कार्यकाल पूरा हो जाए। ऐसी स्थिति में तुरंत चुनाव नहीं हो सकते, इसलिए कार्यवाहक सरकार बनती है। दूसरी- जब चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिले। ऐसी स्थिति में पुरानी सरकार ही कार्यवाहक सरकार की तरह काम करती है। तीसरी- सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए और सरकार पर्याप्त वोट न जुटा पाए।
कार्यवाहक सरकार को लेकर पाकिस्तान के संविधान में क्या प्रावधान है?
पाकिस्तान में कार्यवाहक सरकार का प्रावधान 1985 में जनरल जिया-उल-हक की सरकार के संविधान के पुनरुद्धार आदेश, 1973 के तहत अस्तित्व में आया था। इससे पहले प्रावधान था कि नेशनल असेंबली भंग होने पर प्रधानमंत्री नई सरकार चुने जाने तक पद पर बने रहेंगे। साल 2010 में इस कानून में संशोधन कर प्रावधान किया गया कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री का चयन राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा निवर्तमान प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के परामर्श से किया जाएगा।
कार्यवाहक सरकार के पास क्या शक्तियां होती हैं?
साल 2017 से पहले तक कार्यवाहक सरकार का काम नई सरकार बनाने में चुनाव आयोग की मदद करना और दिन-प्रतिदिन के फैसले लेना था। हालांकि, 2017 में सरकार को आर्थिक मामलों से जुड़े फैसले लेने का भी अधिकार मिल गया। पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 92 के मुताबिक, मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या संसद की कुल सदस्यता के 11 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। हालांकि, कार्यवाहक सरकार में मंत्रिमंडल को लेकर कोई प्रावधान नहीं है।
कार्यवाहक सरकार में सेना की क्या भूमिका होगी?
पाकिस्तान में सरकार चलाने में पर्दे के पीछे से सेना की बड़ी भूमिका रही है। देश के 76 साल के अस्तित्व में 3 दशकों से अधिक समय तक पाकिस्तानी सेना ने सीधे तरीके से शासन किया है। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, राजनीतिक विश्लेषकों को डर है कि अगर कार्यवाहक सरकार का कार्यकाल लंबे समय तक चलता है तो सरकार पर सेना का नियंत्रण धीरे-धीरे मजबूत हो सकता है।
पाकिस्तान में अब आगे क्या होगा?
पाकिस्तान में अब 90 दिनों के भीतर चुनाव होने हैं। इनमें इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI), शहबाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) प्रमुख पार्टियां होंगी। इमरान को तोशखाना मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग चुकी है। ऐसे में उनकी पार्टी सहानुभूति की लहर के साथ चुनाव में उतरेगी। वर्तमान में प्रधानमंत्री के लिए शहबाज ही प्रमुख दावेदार के तौर पर दिखाई दे रहे हैं।