पाकिस्तान में रिकॉर्ड 38 प्रतिशत पर पहुंची महंगाई दर, मंडरा रहा दिवालिया होने का खतरा
क्या है खबर?
आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
आज जारी हुए ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान में महंगाई दर अब तक के सबसे ऊंचे स्तर 37.97 प्रतिशत पर पहुंच गई है। दक्षिण एशिया के किसी भी देश में ये सबसे ज्यादा महंगाई दर है।
पाकिस्तान के डॉन न्यूज ने सांख्यिकी विभाग के आंकड़ों का हवाला देते हुए ये जानकारी दी है।
पदार्थ
इन चीजों की कीमत में हुई सबसे अधिक वृद्धि
आंकड़ों के मुताबिक, मादक पेय और तंबाकू की कीमतों में सालाना आधार पर 123.96 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके बाद मनोरंजन से जुड़े क्षेत्रों में 72.17 प्रतिशत और परिवहनल क्षेत्र में कीमतों में 52.92 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
खराब न होने वाले खाद्य पदार्थों की कीमत भी 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है।
खाद्य पदार्थों में आलू, गेहूं और गेहूं का आटा, चाय, अंडे और चावल की कीमतों में सबसे अधिक वृद्धि हुई है।
खाद्य
आसमान छू रही इन खाद्य पदार्थों की कीमतें
पाकिस्तान में पिछले एक साल में एक किलोग्राम चिकन की कीमत 38.6 प्रतिशत बढ़कर 435 पाकिस्तानी रुपये हो गई है।
एक लीटर दूध की कीमत में 41 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पाकिस्तान में दूध अब 170 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है।
एक दर्जन अंडों की कीमत 280 रुपये हो गई है, जो पिछले साल के मुकाबले 85 प्रतिशत ज्यादा है।
गैर-खाद्य श्रेणी में स्टेशनरी, ईंधन, साबुन, डिटर्जेंट और माचिस की कीमत में सबसे अधिक वृद्धि हुई है।
महंगाई
वित्त मंत्रालय के अनुमान से ज्यादा बढ़ी महंगाई
इससे पहले पाकिस्तान में सालाना आधार पर सबसे ज्यादा महंगाई दर अप्रैल में 36.4 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
वित्त मंत्रालय ने मई में महंगाई दर 34 से 36 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जताया था, लेकिन यह इससे भी आगे निकल गई।
जुलाई से मई के 11 महीनों के दौरान पाकिस्तान में औसत महंगाई दर 29.16 प्रतिशत रही। इसी अवधि में पिछले वर्ष ये आंकड़ा 11.29 प्रतिशत पर था।
वजह
क्यों बढ़ रही है महंगाई?
पाकिस्तान आर्थिक संकट के साथ-साथ राजनीतिक संकट का भी सामना कर रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और मौजूदा प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की सरकार और पाकिस्तान सेना में लंबे समय से विवाद चल रहा है।
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिलने वाले लोन में भी देरी हो रही है।
डॉन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वित्तीय कुप्रबंधन, रुपये के अवमूल्यन और सरकारी नीतियों ने महंगाई दर को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।