प्रणब मुखर्जी की किताब के प्रकाशन को लेकर उनके बेटा-बेटी में हुई तकरार
क्या है खबर?
दिवंगत पूर्व भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की आखिरी किताब और उनके संस्मरण (The Presidential Years) के प्रकाशन को लेकर उनके पुत्र और पुत्री के बीच तकरार पैदा हो गई है।
एक तरह जहां उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने किताब के प्रकाशन को लेकर आपत्ति जताते हुए उस पर कुछ समय के लिए रोक लगाने की मांग की है, वहीं दूसरी ओर उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उसका प्रकाशन जल्द करने की बात कही है।
आइए जानें पूरा मामला।
प्रकरण
किताब के जारी किए गए अंशों में कांग्रेस नेतृत्व पर उठाए गए हैं सवाल
बता दें कि प्रणब मुखर्जी के संस्मरणों की यह किताब जनवरी, 2021 में प्रकाशित होगी।
उनकी किताब के कुछ अंश पिछले सप्ताह जारी किए गए थे। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की क्षमता पर सवाल उठाए जाने का जिक्र था।
हालांकि, कांग्रेस ने इन अंशों पर बिना किताब पढ़े कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया था, लेकिन अब उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने प्रकाशन से पहले किताब को पढ़ने की मांग की है।
ट्वीट
अभिजीत ने ट्वीट कर की किताब का प्रकाशन रोकने की मांग
कांग्रेस के लोकसभा सांसद रह चुके अभिजीत ने मंगलवार को ट्वीट कर लिखा, 'मैं 'The Presidential Years' के लेखक का पुत्र, आग्रह करता हूं कि संस्मरण का प्रकाशन रोक दिया जाए और उन हिस्सों का भी, जो पहले ही चुनिंदा मीडिया प्लेटफॉर्मों पर चल रहे हैं।'
उन्होंने आगे लिखा, 'चूंकि मेरे पिता अब नहीं हैं, मैं उनका पुत्र होने के नाते पुस्तक के प्रकाशन से पहले उसकी फाइनल प्रति पढ़ना चाहूंगा। यदि मेरे पिता जीवित होते, वह भी यही करते।'
अनुमति
अभिजीत ने कही लिखित अनुमति लेने के बाद प्रकाशन करने की बात
अभिजीत ने एक अन्य ट्वीट कर उनकी लिखित अनुमति लेने के बाद ही किताब का प्रकाशन करने की बात कही।
उन्होंने लिखा, 'उनका पुत्र होने के नाते मैं आपसे मेरी लिखित अनुमति के बिना इसका प्रकाशन तुरंत रोकने का अनुरोध करता हूं, जब तक कि मैं इसकी अंतिम सामग्री को पढ़ न लूं।'
उन्होंने आगे लिखा, 'इस संदर्भ में मैंने एक विस्तृत पत्र आपको प्रेषित किया है, जो जल्द ही आपको मिल जाएगा।'
आपत्ति
शर्मिष्ठा ने जताई अभिजीत के ट्वीट पर आपत्ति
अभिजीत के ट्वीट करने के कुछ देर बाद ही उनकी बहन और कांग्रेस प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी ट्वीट करते हुए इस पर आपत्ति जता दी।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ''मैं 'The Presidential Years' के लेखक का पुत्री अपने भाई अभिजीत से अनुरोध करती हूं कि वह हमारे पिता द्वारा लिखी गई किताब के प्रकाशन में अनावश्यक बाधा उत्पन्न नहीं करें। उन्होंने बीमार होने से पहले इस किताब को अपने हाथों से लिखते हुए पूरा किया था।'
आरोप
लोकप्रियता हासिल करने के लिए नहीं रोकना चाहिए किताब का प्रकाशन- शर्मिष्ठा
शर्मिष्ठा ने एक अन्य ट्वीट करते हुए लोकप्रियता हासिल करने के लिए किताब का प्रकाशन नहीं राकने की बात कही।
उन्होंने लिखा, 'यह मेरे पिता के हाथों से लिखे नोट्स और टिप्पणियां हैं जिनका कड़ाई से पालन किया गया है। उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचार उनके खुद के हैं और किसी को भी इसे लोकप्रियता हासिल करने के लिए प्रकाशित होने से रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यह हमारे दिवंगत पिता के लिए सबसे बड़ा असंतोष होगा।'
अंश
किताब के अंशों में यह बात आई है सामने
NDTV के अनुसार पिछले सप्ताह सामने आए किताब के अंशो में प्रणब मुखर्जी ने लिखा है, 'कांग्रेस के कुछ सदस्यों का मानना था कि अगर वह मनमोहन सिंह की जगह 2004 में प्रधानमंत्री बनते, तो पार्टी सत्ता नहीं खोती।'
आगे लिखा है, 'मेरा मानना है कि मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद पार्टी नेतृत्व ने राजनीतिक फोकस खो दिया। सोनिया गांधी पार्टी मामलों को देखने में विफल हो गईं, वहीं डॉ मनमोहन सिंह ने सांसदों से संपर्क खो दिया।'