अमेरिका के शीर्ष जनरल ने अफगानिस्तान को बताया 'सामरिक असफलता', कई गलतियों की बात मानी
मंगलवार को कांग्रेस के सामने पेश हुए अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ चेयरमैन जनरल मार्क मिली ने माना कि सिलसिलेवार असफलताओं के चलते अमेरिकी सैनिकों को विपरित हालात के बीच अफगानिस्तान छोड़ना पड़ा। सीनेट की आर्म्ड सर्विस कमेटी के सामने बोलते हुए जनरल मिली ने कहा, "यह साफ है कि अफगानिस्तान में युद्ध तालिबान से हमारी शर्तों पर खत्म नहीं हुआ और यह देश आज गृह युद्ध की तरफ बढ़ता दिख रहा है।"
रक्षा मंत्री बोले- कई कड़वे सच स्वीकार करने का वक्त
सांसदों के सामने बोलते हुए रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा, "हमें कुछ ऐसे असहज सच मानने होंगे, जिन्हें हम पूरी तरह समझ नहीं पाए। जिस अफगानिस्तान सेना को हमने और हमारे सहयोगियों ने प्रशिक्षण दिया था, वह हथियार छोड़ गई। कई जगहों पर तो उसने एक गोली भी नहीं चलाई। इसने हमें अचंभे में डाल दिया।" यह पहली बार है अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के बाद बाइडन प्रशासन की तरफ से विस्तृत बयान सामने आए हैं।
मिली ने बताया सामरिक असफलता
जनरल मिली ने इसे 'सामरिक असफलता' बताते हुए कहा, "मैंने चेताया था कि जरूरी शर्तें पूरी हुए बगैर सेना की वापसी में तेजी लाने से अफगानिस्तान में हासिल की गई सफलता खो जाने का डर है। साथ ही इससे अमेरिका की विश्वसनीयता पर असर पड़ने और अफगानिस्तान सरकार के गिर जाने का खतरा था। इसका मतलब अफगानिस्तान पर तालिबान का पूरी तरह कब्जा या गृह युद्ध होता।" सेंट्रल कमांड के जनरल मैकेंजी का भी ऐसा ही मानना था।
मैकेंजी बोले- 2,500 से कम सैनिकों की तैनाती को लेकर चेताया था
जनरल मैकेंजी ने कहा कि उन्होंने चेतावनी थी कि अगर काबुल में अमेरिकी सैनिकों की संख्या 2,500 से कम रहती है तो अफगानिस्तान सरकार गिर सकती है। नवंबर में तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सभी सैनिकों की वापसी की बात कही थी, लेकिन बाद में 2,500 सैनिकों को अफगानिस्तान में रखने पर सहमति बनी थी। इसके बाद जो बाइडन ने 31 अगस्त तक सभी अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला लिया था।
"अफगान सेना के इतनी जल्दी हथियार छोड़ने की उम्मीद नहीं थी"
इस दौरान सांसदों ने सवाल किया कि अमेरिका की खुफिया एजेंसियां और सेना यह पता लगाने में कैसे असफल हुई कि तालिबान इतना जल्दी उठ सकता है और वह काबुल पर कब्जा कर लेगा। इसके जवाब में अफगानिस्तानी सेना के हथियार डालने पर प्रतिक्रिया देते हुए जनरल मैकेंजी ने कहा, "मुझे नहीं लगा था कि अफगान सेना कुछ ही दिनों में मैदान छोड़कर भाग जाएगी। मेरा मानना था कि सेना कुछ महीनों तक तालिबान को टक्कर दे सकती है।"
विदेश मंत्री भी हो चुके हैं सीनेट के सामने पेश
इससे पहले इसी महीने के मध्य में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन कांग्रेस के सामने पेश हुए और अफगानिस्तान से सेना वापसी के फैसले का बचाव किया था। हालांकि, इस दौरान उन्हें कड़े सवालों का सामना करना पड़ा था। सीनेट की फॉरेन रिलेशन्स कमेटी के डेमोक्रेटिक चेयरमैन बॉब मीनेंडिज ने कहा कि अमेरिका के सैन्य वापसी अभियान में कई खामियां थीं। बाइडन प्रशासन अफगानिस्तान में किसी राजनीतिक व्यवस्था के बीच पीछे हटने के लक्ष्य से बहुत दूर रह गया।
30 अगस्त को अफगानिस्तान से निकल गया था अमेरिका
30 अगस्त को अफगानिस्तान में अमेरिका का सैन्य अभियान समाप्त हो गया था और सभी अमेरिकी सैनिक वापस लौट गए हैं। मेजर जनरल क्रिस डोनाह्यु आखिरी अमेरिकी सैनिक थे, जो काबुल से विमान में सवार हुए। अमेरिका ने 31 अगस्त की समयसीमा से एक दिन पहले ही अपना सैन्य अभियान खत्म कर दिया था। इससे पहले अमेरिका और दूसरे देशों ने करीब 1.20 लाख लोगों को अफगानिस्तान से निकालकर दूसरे देशों में पहुंचाया था।