अफगानिस्तान मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी ने की अहम बैठक, राजनाथ और अमित शाह हुए शामिल
प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को अफगानिस्तान में बनी स्थिति की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। प्रधानमंत्री आवास पर हुई इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शामिल हुए। सूत्रों के अनुसार, बैठक में तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में बने हालात पर चर्चा हुई। बीते हफ्ते भी प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय बैठक की थी।
बीते बुधवार को भी हुई थी बैठक
बीते बुधवार को हुई बैठक में अमित शाह, अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हुए थे। करीब तीन घंटे तक चली इस बैठक में अफगानिस्तान के ताजा हालातों और भारत के भावी कदमों पर चर्चा की गई थी। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जयशंकर और डोभाल के नेतृत्व में कुछ आला अधिकारियों का उच्च स्तरीय समूह बनाया था, जो अफगानिस्तान के हालात पर नजर रख रहा है और रोजाना बैठक कर रहा है।
भारत विरोधी आतंकवाद रोकने पर ध्यान- विदेश मंत्रालय
दोहा में भारतीय राजदूत की तालिबानी नेता के साथ बैठक के बाद शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने प्रेस ब्रीफिंग दी थी। इसमें विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया था कि दिल्ली का ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि अफगानिस्तान की धरती का भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। बागची ने कहा कि भारत ने बैठक में भी यह चिंता व्यक्त की थी और वहां फंसे भारतीयों को निकालने का मुद्दा उठाया था।
हवाई अड्डा खुलने के बाद निकाले जाएंगे लोग- बागची
अफगानिस्तान में बचे हुए भारतीयों को निकालने के बारे में बागची ने कहा कि काबुल हवाई अड्डे पर संचालन शुरू होने के बाद इस पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा, "हम अपने नागरिकों के साथ-साथ कुछ अफगान नागरिकों को भी निकालने को प्राथमिकता दे रहे हैं। अभी काबुल हवाई अड्डा चालू नहीं है। मुझे लगता है कि काबुल हवाई अड्डे पर परिचालन दोबारा शुरू होने के बाद हम इस मुद्दे पर फिर से विचार कर सकेंगे।"
दोहा में हुई थी तालिबान के साथ बैठक
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने मंगलवार को पहली बार आधिकारिक तौर पर भारत के साथ बातचीत की थी। कतर की राजधानी दोहा में तालिबान के राजनीतिक प्रमुख शेर मोहम्मद स्टेनिकजई ने वहां भारतीय राजदूत दीपक मित्तल से मुलाकात की। तालिबान के अनुरोध पर हुई बैठक में अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और देश वापसी को लेकर चर्चा की गई थी। साथ ही भारत ने तालिबान को आतंक को लेकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया था।
सरकार बनाने की तैयारी में जुटा तालिबान
15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के बाद से तालिबान अभी तक अपनी सरकार नहीं बना पाया है। बीच में रिपोर्ट्स आई थीं कि सरकार का गठन हो चुका है और जल्द ही ऐलान किया जा सकता है। अब एक बार फिर ऐसी ही खबरें हैं कि तालिबान ने अपनी सरकार को अंतिम रूप दे चुका है और उसने समारोह में शामिल होने के लिए चीन, रूस, कतर, तुर्की, पाकिस्तान और ईरान का न्योता भेजा है।
अफगानिस्तान में फिलहाल क्या चल रहा है?
सरकार बनाने केे साथ-साथ तालिबान ने दावा किया है कि उसने पंजशीर घाटी पर भी कब्जा कर लिया है और विद्रोही नेता देश छोड़कर भाग चुके हैं। दूसरी तरफ विद्रोह का नेतृत्व कर रहे अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह ने तालिबान के दावे का खंडन करते हुए कहा कि पंजशीर में लड़ाई जारी है और वो दोनों अपने देश में हैं। हालांकि, उन्होंने तालिबान को लड़ाई रोककर बातचीत करने का प्रस्ताव दिया है।