जम्मू-कश्मीर मामले में दखल की आस में बैठे पाकिस्तान को निराशा, UN ने बताया द्विपक्षीय मामला
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के बाद बौखलाए पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका लगा है। इस मामले में संयुक्त राष्ट्र (UN) की दखल कर रहे पाकिस्तान को निराशा हाथ लगी है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने दोनों देशों से 'अधिकतम संयम' बरतने की अपील करते हुए कहा कि कश्मीर का मामला द्विपक्षीय है और इसे 1972 के शिमला समझौते के तहत शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जाना चाहिए।
आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
जानकारी
शिमला समझौता के हवाला देना महत्वपूर्ण
जानकारों का मानना है कि UN द्वारा शिमला समझौते का हवाला देने काफी महत्वपूर्ण है। इससे यह मामला दोनों देशों द्वारा आपस में सुलझाये जाने की राह प्रशस्त करता है। इसमें UN की दखल की आस लगाए बैठे पाकिस्तान के लिए यह बड़ा झटका है।
UN की अपील
दोनों पक्षों से अधिकतम संयम बरतने की अपील- UN
गुटरेस के प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं और दोनों पक्षों से अधिकतम संयम बरतने की अपील करते हैं।
प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा कि महासचिव ने भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों के लिए हुए शिमला समझौते का हवाला दिया है। इस समझौते में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर की अंतिम स्थिति शांतिपूर्ण तरीके से संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत निर्धारित होगी।
UN की अपील
स्थिति खराब करने वाले कदम उठाने से बचें दोनोें पक्ष- UN
इस बयान में आगे कहा गया है कि महासचिव ने कश्मीर में भारत की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों पर चिंता जाहिर की है, जो इलाके में मानवाधिकारों की स्थिति को खराब कर सकते हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने सभी पक्षों से ऐसे कदम उठाने से बचने को कहा है जो जम्मू-कश्मीर की स्थिति तो खराब कर सकते हैं।
आपको बता दें कि पाकिस्तान ने UN और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से दखल देने की मांग की थी।
हस्तक्षेप
तीसरे पक्ष की दखल चाहता है पाकिस्तान
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने ट्विटर पर लिखा कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री द्वारा लिखे गये पत्र में कहा गया है कि सुरक्षा परिषद द्वारा कश्मीरी लोगों को दिए गए अधिकार एकतरफा कार्रवाई से खत्म नहीं किए जा सकते।
इस पत्र में आगे लिखा गया था कि इलाके में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा परिषद के जम्मू-कश्मीर पर प्रस्ताव का पालन होना जरूरी है।
जम्मू-कश्मीर
पाकिस्तान ने लिए हैं ये फैसले
बुधवार को जम्मू-कश्मीर पर भारत के फैसले को लेकर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक हुई थी।
इसमें भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार निलंबित करने, राजनयिक संबंधों को कम करने और इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र ले जाने का फैसला लिया गया था।
पाकिस्तान ने भारत के राजदूत को वापस भेजने और अपना राजदूत भारत न भेजने का फैसला भी लिया था।
जानकारी
पाकिस्तान ने बंद की समझौता एक्सप्रेस
इन फैसलों के अलावा पाकिस्तान ने लाहौर से दिल्ली के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन को बंद करने और अपने सिनेमाघरों में भारतीय फिल्में न दिखाने का भी निर्णय लिया है।
अनुच्छेद 370
भारत के किस कदम से बौखला गया है पाकिस्तान?
बता दें कि भारत सरकार ने 5 अगस्त को राष्ट्रपति के एक आदेश के जरिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 में बदलाव किए थे, जिससे जम्मू-कश्मीर को मिलने वाला विशेष दर्जा खत्म हो गया था।
इसके अलावा सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, में बांटने संबंधी बिल भी पेश किया, जो संसद में पास हो चुका है।
भारत सरकार ने अपने इस कदम को आंतरिक मामला बताया है।
प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय ने दिया पाकिस्तान को जवाब
भारत की ओर से विदेश मंत्रालय ने मामले पर विस्तृत जवाब जारी करते हुए कहा, "हमने रिपोर्ट्स देखी हैं कि पाकिस्तान ने भारत से द्विपक्षीय रिश्तों के संबंध में एकतरफा फैसले लिए हैं। इनका उद्देश्य दुनिया के सामने हमारे द्विपक्षीय रिश्तों की खतरनाक तस्वीर पेश करना है।"
विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि पाकिस्तान ने अपने फैसलों के जो कारण दिए हैं, वो जमीनी सच्चाई से परे हैं।