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    पंजशीर घाटी पर कब्जा करने के लिए तालिबान ने भेजे सैकड़ों लड़ाके
    पंजशीर की तरफ बढ़ा तालिबान

    पंजशीर घाटी पर कब्जा करने के लिए तालिबान ने भेजे सैकड़ों लड़ाके

    लेखन मुकुल तोमर
    Aug 23, 2021
    09:51 am

    क्या है खबर?

    तालिबान ने अपने सैकड़ों लड़ाकों को विरोधी ताकतों का गढ़ बनी पंजशीर घाटी पर कब्जा करने के लिए रवाना कर दिया है। पंजशीर एकमात्र ऐसा प्रांत है जिस पर तालिबान अभी तक कब्जा नहीं कर पाया है और उसके विरोधी यहां इकट्ठा होकर जंग की तैयारी कर रहे हैं।

    रविवार रात को तालिबान ने कहा, "स्थानीय अधिकारियों के शांतिपूर्वक पंजशीर प्रांत का समर्पण न करने के बाद इस्लामी अमीरात के सैकड़ों मुजाहिदीन उसके नियंत्रण के लिए बढ़ रहे हैं।"

    तालिबान का विरोध

    कार्यवाहक राष्ट्रपति और मुजाहिदीन कमांडर कर रहे हैं पंजशीर से विरोध का नेतृत्व

    पंजशीर को अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और पूर्व मुजाहिदीन कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने अपना ठिकाना बना रखा है और यहां वे तालिबान विरोधी लड़ाकों को इकट्ठा कर रहे हैं। इन लड़ाकों का नेतृत्व मसूद कर रहे हैं।

    मसूद ने एक चैनल को बताया कि अन्य प्रांतों से सरकारी सुरक्षा बल पंजशीर आ रहे हैं और अगर तालिबान इसी रास्ते पर बढ़ा तो ज्यादा नहीं टिकेगा। उन्होंने तालिबान को खून-खराबे की चेतावनी दी है।

    लड़ाई

    अंदराब घाटी में तालिबान को नुकसान, विरोधी बलों ने किया सलांग हाईवे पर कब्जा

    राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने मौजूदा स्थिति की जानकारी देते हुए कहा, 'पड़ोसी अंदराब घाटी के घात क्षेत्रों में फंसने और वहां से टुकड़ों में बाहर निकलने के बाद तालिबानी पंजशीर के प्रवेश द्वार पर बड़ी संख्या में जमा हो गए हैं। इस बीच सलांग हाईवे को प्रतिरोधी बलों ने बंद कर दिया है। "कुछ रास्तों से बचना ही अच्छा है।" मिलते हैं।'

    इससे पहले भी सालेह के लड़ाके तीन जिलों पर कब्जा कर चुके हैं।

    अहमियत

    भौगोलिक स्थिति बनाती है पंजशीर को खास

    काबुल से लगभग 150 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित पंजशीर घाटी का अफगानिस्तान के सैन्य इतिहास में अहम स्थान है।

    इसकी भौगोलिक स्थिति इसे बाकी देश से अलग करती है। चारों तरफ पहाड़ों से घिरी इस घाटी में जाने का रास्ता एक संकरे पास से होकर गुजरता है जिसे सेना की मदद से आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है।

    हिंदूकुश पहाड़ों से घिरी पंजशीर घाटी पर तालिबान और रूस कोई भी आज तक कब्जा नहीं कर पाया है।

    इतिहास

    पंजशीर घाटी का प्रतिरोध का लंबा इतिहास

    पंजशीर घाटी का प्रतिरोध का एक लंबा इतिहास है और इसे महान मुजाहिदीन अहमद शाह मसूद के नाम से जाना जाता है।

    मसूद ने पहले 1980 के दशक में रूस की सेना को पंजशीर घाटी पर कब्जा नहीं करने दिया और नौ बार उनका हमला नाकाम किया। इसके बाद 1996-2001 के अपने शासन में तालिबान भी इस घाटी पर कब्जा नहीं कर पाया।

    सालेह मसूद के ही साथी हैं और अब उनके बेटे के साथ कंधा मिलाकर खड़े हैं।

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