कोरोना वैक्सीन की दूसरी खुराक में देरी से 300 प्रतिशत तक अधिक बनती है एंटीबॉडी- स्टडी
क्या है खबर?
कोरोना महामारी के कोप से बचने के लिए दुनियाभर में वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है। इसी बीच अब वैक्सीन की दोनों खुराकों के बीच के समय को लेकर चर्चाएं जोरों पर है।
हाल ही में भारत में 'कोविशील्ड' की खुराकों में अंतर बढ़ाया गया है, लेकिन सवाल यह है कि इससे क्या फायदा होगा?
इस संबंध में नए अध्ययन में दावा किया गया है कि दूसरी खुराक में अधिक अंतर से 300 प्रतिशत तक अधिक एंटीबॉडी तैयार होती है।
अध्ययन
अधिक अंतर से 20 से 300 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है एंटीबॉडी
NDTV के अनुसार अध्ययन में सामने आया है कि वैक्सीन की पहली खुराक प्रतिरक्षा प्रणाली को तैयार करती है और वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देती है। इस मामले में इस प्रतिक्रिया को जितना अधिक समय मिलेगा, दूसरी खुराक के लिए प्रतिक्रिया उतनी ही बेहतर होगी।
दूसरी खुराक में अधिक समय खींचने पर एंटीबॉडी के स्तर को 20 से 300 प्रतिशत अधिक तक बढ़ाया जा सकता है। लगभग सभी वैक्सीनों में यह स्थिति देखी गई है।
अन्य फायदा
देशों को समय पर आपूर्ति की समस्या से मिल सकेगी निजात
सिंगापुर में संक्रमण में इजाफा हुआ है। इससे खुराको के बीच अंतर चार से छह सप्ताह का हो गया है। पहले यह अंतराल तीन-चार सप्ताह का था।
वहीं, भारत में भी कोविशील्ड की दो खुराक के बीच का अंतर बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया गया है। अंतर बढ़ने से वैक्सीन के सप्लाई साइड में आने वाली दिक्कतें भी दूर हो सकती हैं।
ऐसे में वैक्सीन की कम खुराक और अधिक आबादी वाले देश इस नीति पर काम कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण
क्यों महत्वपूर्ण है वैक्सीन की दोनों खुराकें?
वर्तमान में अधिकतर फार्मा कंपनियां कोरोना महामारी से लड्ने के लिए दो खुराकों वाली वैक्सीन तैयार कर रही है। इसका प्रमुख कारण यह है कि यदि पहली खुराक शरीर में एंटीबॉडी पैदा करती है, तो दूसरी खुराक एंटीबॉडीज को और मजबूत बनाती है। दोनों काम सही तरीके से होने पर ही शरीर किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए तैयार हो पाता है।
यही वजह है कंपनियां डबल डोज वैक्सीन तैयार कर रही हैं और ये दोनों ही महत्वपूर्ण है।
बयान
पहली सभी को दी जानी चाहिए पहली खुराक- पोलैंड
मेयो क्लिनिक के वैक्सीन रिसर्च ग्रुप के वायरोलॉजिस्ट ग्रेगरी पोलैंड ने कहा, "अगर मैं कर सकता, तो मैं एक बटन दबाता और हर उस व्यक्ति को पहली खुराक देता, जिस तक मैं पहुंच पाता। इसके बाद सभी को धीरे-धीरे दूसरी खुराक लगाता।"
अध्ययन
दूसरी खुराक में अंतर बढ़ाने से 3.5 गुना बढ़ी एंटीबॉडी
अध्ययन के अनुसार फाइजर इंक और बायोएनटेक SE की 80 से अधिक लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक दी गई थी। इसके बाद इन लोगों को दूसरी खुराक तीन सप्ताह की जगह तीन महीने के बाद देने पर एंटीबॉडी में 3.5 गुना अधिक इजाफा देखा गया।
अन्य अध्ययनों ने निष्कर्ष निकाला कि नौ से 15 सप्ताह के लिए दूसरी खुराक में देरी करने से अस्पताल में भर्ती होने, मृत्यु दर में कमी जैसे लाभ देखे गए।
चेतावनी
आवश्यकता से अधिक अंतर से बड़ सकता है खतरा
अध्ययन के अनुसार यदि दो खुराकों के बीच का अंतराल अधिक है तो देशों को जनसंख्या सुरक्षित करने में अधिक समय लगेगा।
वैक्सीन की पहली खुराक कुछ सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन दूसरी खुराक के कई सप्ताह के बाद भी व्यक्ति को पूरी तरह से प्रतिरक्षित नहीं माना जा सकता है।
इसके अलावा यदि कम प्रभावी वैक्सीन का उपयोग किया जा रहा है या वायरस अधिक संक्रामक रूप फैल रहा है तो अधिक अंतर नुकसानदायक हो सकता है।
परेशानी
दो खुराकों को लेकर सामने आ रही यह परेशानी
जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के विशेषज्ञ गिगी ग्रोनवाल ने कहा, "जब आपके पास दो-खुराक का शेड्यूल होता है तो एक तरह से चुनौती होती है। आप इस बात की चिंता करते हैं कि यदि वैक्सीन खत्म हो गई तो लोगों को दूसरी खुराक कैसे लगाई जाएगी।"
उन्होंने कहा कि भारत जैसे अधिक आबादी वाले देशों में यह बड़ी परेशानी का कारण है। ऐसे में सबसे पहले पूरी आबादी को पहली खुराक लगाई जानी चाहिए।