कोरोना वायरस: पहली बार बच्चों पर किया जाएगा ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का ट्रायल
क्या है खबर?
दुनिया को कोरोना वायरस महामारी से निजात दिलाने के लिए विशेष प्रतिदिन नए-नए प्रयोग करने में जुटे हैं।
इसी बीच ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर तैयार की अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन का अब पहली बार बच्चों पर परीक्षण करने का निर्णय किया है।
इसके जरिए वह बच्चों पर वैक्सीन की प्राभाविकता का पता लगाएगी। यदि इसमें सफलता मिलती है तो महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई में यह बड़ी सफलता होगी।
पृष्ठभूमि
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन का भारत में किया जा रहा है आपात इस्तेमाल
बता दें कि ऑक्स्फोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका द्वारा AZD1222 नाम से तैयार की गई कोरोना वायरस वैक्सीन का भारत में 'कोविशील्ड' के नाम से आपात इस्तेमाल किया जा रहा है।
भारत में जारी वैक्सीनेशन अभियान में यह प्रमुख वैक्सीन है। इस वैक्सीन को भारत में उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने किया है।
भारत के अलावा ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का ब्रिटेन और ब्राजील सहित अन्य देशों में भी आपात इस्तेमाल जारी है।
बयान
वैक्सीन की प्रभाविकता जांचने के लिए शुरू किया अध्ययन- ऑक्सफोर्ड
मिंट के अनुसार ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि छह से 17 साल के बच्चों पर वैक्सीन की प्रभाविकता की जांच के लिए विशेष अध्ययन शुरू किया गया है। अध्ययन के तहत पहली बार बच्चों पर क्लिनिकल ट्रायल भी किया जाएगा।
बयान में आगे कहा गया है कि क्लिनिकल ट्रायल के लिए छह से 17 साल के बीच के 300 वॉलेंटियरों का चयन किया जाएगा और उसके बाद उन्हें वैक्सीन दी जाएगी।
शुरुआत
फरवरी में होगी क्लिनिकल ट्रायल की शुरुआत
यूनिवर्सिटी ने अपने बयान में कहा कि क्लिनिकल ट्रायल की शुरुआत 240 बच्चों के साथ इसी महीने में की जाएगी। इसमें उन्हें वैक्सीन की खुराक देकर साइड इफेक्ट्स का भी पता लगाया जाएगा। इसके बाद एस्ट्राजेनेका द्वारा अमेरिका में हजारों बच्चों पर क्लिनिकल ट्रायल किया जाएगा।
बयान में कहा गया है कि दूसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल यूनाइटेड किंगडम (UK) के लंदन, साउथम्पटन और ब्रिस्टल जैसे बड़े शहरों में आयोजित किया जाएगा।
बयान
पहले 12-17 वर्ष के बच्चों को दी जाएगी खुराक- पोलार्ड
क्लिनिकल ट्रायल के प्रमुख एंड्रयू पोलार्ड ने ब्लूमबर्ग को दिए साक्षात्कार में कहा कि सबसे पहले 12 से 17 साल के बच्चों को वैक्सीन की खुराक दी जाएगी। इसके बाद कम उम्र के बच्चों को खुराक दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि ट्रायल में शामिल किए जाने वाले बच्चों को पहली खुराक देने के तीन महीने बाद दूसरी खुराक दी जाएगी। यदि ट्रायल में अपेक्षित परिणाम सामने आते हैं तो कोरोना महामारी के खिलाफ एक बड़ी जीत होगी।
समानता
भारत बायोटेक भी करेगी वैक्सीन का बच्चों पर ट्रायल
ऐसा नहीं है कि बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल शुरू करने की योजना ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने ही बनाई है। हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी भारत बायोटेक ने भी अपनी वैक्सीन 'कोवैक्सिन' का दो से 18 साल के बच्चों पर ट्रायल करने की योजना बनाई है।
कंपनी ने गत 7 फरवरी को कहा था कि इस महीने के अंत या अगले महीने की शुरुआत में ट्रायल शुरू किया जाएगा। इसके लिए नागपुर के एक अस्पताल का चयन भी किया जा चुका है।