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    जरूरत से ज्यादा कोरोना वैक्सीन खरीदने के बावजूद कनाडा वैक्सीनेशन में पीछे क्यों?

    जरूरत से ज्यादा कोरोना वैक्सीन खरीदने के बावजूद कनाडा वैक्सीनेशन में पीछे क्यों?

    लेखन प्रमोद कुमार
    Feb 13, 2021
    04:41 pm

    क्या है खबर?

    कोरोना वैक्सीनों को इस्तेमाल की मंजूरी मिलने से पहले ही कनाडा ने अपनी आबादी के लिए दुनियाभर में सबसे ज्यादा खुराकें सुनिश्चित कर ली थी।

    हालांकि, वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद यहां की सरकार नागरिकों के लिए वैक्सीन प्राप्त करने में मुश्किलों का सामना कर रही है, जिस कारण यहां खुराक लगाने की रफ्तार काफी धीमी है।

    शुक्रवार को प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने देशवासियों से जल्द ही बड़ी मात्रा में वैक्सीन की खुराकें आने का वादा किया है।

    जानकारी

    प्रधानमंत्री ट्रूडो पर बढ़ रहा दबाव

    ट्रूडो ने पहले कहा था कि सितंबर के अंत तक इच्छुक नागरिकों को वैक्सीन दे दी जाएगी। अब वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार के कारण उन पर दबाव बढ़ने लगा है। उनके आलोचकों का कहना है कि सरकार वैक्सीन लाने में तेजी नहीं दिखा पाई है।

    कनाडा

    अभी तक लगभग 12 लाख लोगों को लगाई गई वैक्सीन

    कनाडा में फाइजर और मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीनें इस्तेमाल हो रही हैं। यहां 14 दिसंबर से वैक्सीनेशन अभियान शुरू हुआ था और अभी तक लगभग 12 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई गई है।

    ब्लूमबर्ग के अनुसार, कनाडा में प्रति 1,000 लोगों में से 32 को वैक्सीन को लगाई है और यह इस सूची में 40वें नंबर पर है।

    इसकी तुलना में ब्रिटेन में अभी तक 1,000 में से 210 और अमेरिका में 140 लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है।

    वैक्सीनेशन अभियान

    कनाडा पिछड़ क्यों रहा है?

    पिछले साल कनाडा की इस बात के लिए आलोचना हो रही थी कि उसने अपनी आबादी की जरूरतों से कई गुना वैक्सीन खरीदी है।

    BBC के अनुसार, चार करोड़ से कम जनसंख्या वाले कनाडा ने मॉडर्ना, फाइजर और एस्ट्राजेनेका समेत सात कंपनियों से 40 करोड़ खुराकें खरीदने का समझौता किया है, लेकिन यह वैक्सीन की आपूर्ति में प्राथमिकता नहीं पा सका।

    इस वजह से कनाडा को वैक्सीन की खुराकों की आपूर्ति में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

    कोरोना वैक्सीन

    अमेरिका की बजाय यूरोपीय फैक्ट्रियों से खरीदी वैक्सीन

    कनाडा ने अमेरिका की बजाय यूरोपीय फैक्ट्रियों से वैक्सीन के लिए अनुबंध किया था। यहां की सरकार को डर था कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति रहते हुए अमेरिका वैक्सीन के निर्यात पर रोक लगा देगा।

    दूसरी तरफ यूरोपीय फैक्ट्रियां वैक्सीन की आपूर्ति को लेकर संघर्ष कर रही है, जिस कारण वैक्सीन पहुंचने में देरी हो रही है।

    इसके अलावा कुछ ही समय पहले यूरोपीय संघ ने जरूरत पड़ने पर निर्यात पर रोक लगाने की बात कही थी।

    मुश्किलें

    कनाडा के पास वैक्सीन उत्पादन की क्षमता का अभाव

    इस मामले में कनाडा का संकट इसलिए भी गहरा गया है कि क्योंकि उसके पास वैक्सीन उत्पादन के लिए पर्याप्त क्षमता नहीं है।

    अभी तक यहां 80 साल या इससे अधिक उम्र के 12 प्रतिशत लोगों और 55 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों को ही खुराक लगाई जा सकी है।

    देश में वैक्सीनेशन अभियान की रफ्तार को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री ट्रूडो ने मार्च के अंत तक 60 लाख खुराकें और आने की बात कही है।

    वैक्सीनेशन अभियान

    सरकार क्या कदम उठा रही है?

    प्रधानमंत्री ट्रूडो ने शुक्रवार को कहा कि वो वैक्सीन की आपूर्ति में आ रहे संकट को लेकर लोगों की 'बेचैनी' की समझते हैं।

    उन्होंने बताया कि कनाडा को शेड्यूल से पहले फाइजर की वैक्सीन की और खुराकें मिल जाएंगी। इसके अलावा सरकार ने मॉडर्ना वैक्सीन की 40 लाख अतिरिक्त खुराकें भी खरीदी हैं।

    घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने नोवावैक्स के साथ समझौता किया है। इसके तहत कनाडा घरेलू स्तर पर कंपनी की वैक्सीन का उत्पादन करेगा।

    वैक्सीनेशन अभियान

    कनाडा ने भारत से भी मांगी वैक्सीन

    हालांकि, नोवावैक्स की वैक्सीन अभी ट्रायल के तीसरे चरण में है। इसे मंजूरी मिलने में समय लगेगा। दूसरी तरफ कनाडा में बनाये जा रहे वैक्सीन उत्पादन संयंत्र का काम भी अभी पूरा नहीं हुआ है।

    ऐसे में उपलब्ध वैक्सीन में ज्यादा लोगों को कवर करने के लिए सरकार ने फाइजर की एक शीशी से पांच की जगह छह लोगों को खुराक देने के आदेश जारी किए हैं।

    इसके अलावा कनाडा ने भारत से भी वैक्सीन मांगी है।

    डाटा

    कनाडा में महामारी की क्या स्थिति?

    जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, कनाडा में अभी तक 8,24,611 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 21,168 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। यहां संक्रमण की रफ्तार रोकने के लिए अन्य देशों की तरह कई पांबदियां लगाई गई थी।

    कोरोना वैक्सीन

    वैक्सीन लगाने में कौन से देश सबसे आगे?

    अगर खुराकों के हिसाब से देखें तो वैक्सीन लगाने में अमेरिका में सबसे आगे है। यहां अभी तक 5,00,78,364 लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है।

    दूसरे स्थान पर चीन है, जहां 4,05,00,000 लोगों को वैक्सीन लगाई गई है। तीसरे नंबर पर यूरोपीय संघ है, जहां तीन करोड़ से ज्यादा लोगों को कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन लगाई जा चुकी है।

    भारत की बात करें तो यहां लगभग 80 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।

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