वैक्सीनेशन अभियान: 'कोवैक्सिन' लेने से पहले भरना होगा सहमति पत्र, साइड इफेक्ट पर मिलेगा मुआवजा
देश में कोरोना महामारी के खिलाफ शनिवार से मेगा वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इसकी शुरुआत की। पहले चरण में देश के अलग-अलग राज्यों में स्वास्थ्यर्मियों के वैक्सीन लगाई जा रही है। इसी बीच बड़ी खबर सामने आई है कि अभियान में भारत बायोटेक द्वारा तैयार 'कोवैक्सिन' की खुराक लेने से पहले लोगों को आवश्यक रूप से सहमति पत्र भरते हुए कुछ नियम और शर्तों को मानना होगा।
इन वैक्सीनों को मिली है आपात इस्तेमाल की मंजूरी
बता दें कि भारत में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने गत 3 जनवरी को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की 'कोविशील्ड' को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। इसी तरह हैदराबाद की भारत बायोटेक कंपनी द्वारा तैयार 'कोवैक्सिन' को तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल पूरा नहीं होने के कारण सीमित आपात इस्तेमाल की मंजूरी जारी की थी। 'कोविशील्ड' को एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने विकसित किया है, वहीं 'कोवैक्सिन' पूरी तरह स्वदेशी वैक्सीन है।
'कोवैक्सिन' लेने के बाद साइड इफेक्ट होने पर मिलेगा मुआवजा
'कोवैक्सिन' को सीमित आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के कारण नियमानुसार इसकी खुराक लेने वाले लोगों को ट्रायल वॉलेंटियर्स के रूप में मान्यता मिलेगी। ऐसे में अभियान में इसकी खुराक लेने से पहले लोगों को एक सहमति पत्र दिया जा रहा है। इसमें वैक्सीन को लेकर दिशा-निर्देश और आवश्यक शर्ते हैं। यदि वैक्सीन को लेने के बाद उसकी वजह से गंभीर साइड इफेक्ट्स सामने आते हैं तो प्रतिभागी को ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल रूल्स, 2019 के तहत मुआवजा दिया जाएगा।
भारत बायोटेक की ओर से किया जाएगा मुआवजे का भुगतान
वैक्सीन लेने के बाद गंभीर साइड इफेक्ट होने तथा जांच में यह साबित होने पर कि साइड इफेक्ट वैक्सीन के कारण ही हुए है तो वैक्सीन लेने वालों को भारत बायोटेक इंडिया लिमिटेड (BBIL) की ओर से ही मुआवजे का भुगतान किया जाएगा।
सहमति फार्म में की जा रही है यह घोषणा
इंडिया टुडे के अनुसार प्रतिभागियों से भरवाए जा रहे सहमति फॉर्म में कहा जा रहा है कि लाभार्थियों में वैक्सीन लेने के बाद यदि कोई भी गंभीर साइडइफेक्ट सामने आते हैं तो उसका सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क उपचार किया जाएगा। इसी तरह वैक्सीन लेने वालों को शुरुआती सात दिनों के अंदर किसी भी तरह के साइडइफेक्ट और लक्षणों के बारे दी जाने वाली एक फैक्ट शीट के जरिए पूरी जानकारी देनी होगी। इसके बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।
लाभार्थियों को क्लिनिकल ट्रायल के परिणामों की भी दी जा रही है जानकारी
सहमति फॉर्म में लाभार्थियों को वैक्सीनक के दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के परिणामों की भी जानकारी दी जा रही है। इसमें कहा जा रहा है कि वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में सामने आया है कि वह कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने में सक्षम है। हालांकि, वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल की स्टडी अभी जारी है। ऐसे में इस सहमति फॉर्म पर हस्ताक्षर करने वालों को ही यह वैक्सीन दी जाएगी।
कोवैक्सिन को मंजूरी मिलने के बाद विपक्ष ने उठाए थे सवाल
बता दें कि DCGI द्वारा कोवैक्सिन को मंजूरी देने के कुछ देर बाद ही कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, शशि थरूर और जयराम रमेश ने फैसले पर सवाल उठाना शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत बायोटेक की वैक्सीन को तीसरे चरण का ट्रायल पूरा हुए बिना मंजूरी देना खतरनाक साबित हो सकता है। उसके बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा था कोवैक्सिन का इस्तेमाल बैकअप के तौर पर किया जाएगा।
'कोविशिल्ड' के लिए अलग है कानूनी प्रक्रिया
बता दें कि सरकार ने SII की 'कोविशील्ड' को तीनों चरण का ट्रायल पूरा करने के कारण फॉर्म CT-23 (बिक्री और वितरण के लिए निर्माण की अनुमति) में अनुमति दी है। ऐसे में यह वैक्सीन लेने वाले ट्रायल वॉलेंटियर के रूप में पात्र नहीं होंगे। इसके अलावा मुआवजा भी नहीं मिल सकेगा। हालांकि, इसे लेने के बाद गंभीर साइड इफेक्ट सामने आने पर लाभार्थियों के पास कोर्ट या उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय में परिवाद दाखिल करने का विकल्प रहेगा।