मंकीपॉक्स: 42 देशों में दर्ज हुए 2,103 मामले, 23 जून को WHO की अहम बैठक
कोरोना महामारी के बीच पिछले कुछ महीनों में कई देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया कि इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक 42 देशों में इस बीमारी के 2,103 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 98 प्रतिशत मामले मई की शुरुआत के बाद दर्ज किए गए हैं। इस साल 1 जनवरी से लेकर 15 जून तक इन 42 देशों में मंकीपॉक्स के कारण एक मौत हुई है।
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है। ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं। साल 1958 में रिसर्च के लिए तैयार की गईं बंदरों की बस्तियों में यह वायरस सामने आया था और इससे पॉक्स जैसी बीमारी होना पाया गया था।
WHO ने उठाया यह बड़ा कदम
WHO ने मंकीपॉक्स के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने के लिए एंडेमिक देशों का अंतर खत्म कर दिया है। संगठन ने कहा, 'हम एन्डेमिक और नॉन-एन्डेमिक देशों का अंतर खत्म कर रहे हैं, जिससे यह संदेश जाए कि इसके खिलाफ एकजुट प्रतिक्रिया जरूरी है।"
यूरोप में दर्ज हुए ज्यादातर नए मामले
हालिया दिनों में सामने आए मामलों की बात करें तो 84 प्रतिशत मरीज यूरोप, 12 प्रतिशत अमेरिका और 3 प्रतिशत अफ्रीकी देशों में सामने आए हैं। संक्रमित मरीजों में से 99 प्रतिशत पुरुष हैं और इनमें से अधिकतर ऐसे हैं, जिन्होंने दूसरे पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाए थे। ब्रिटेन में समलैंगिक पुरुषों के लिए विशेष दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। WHO ने इस बीमारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए देशों से सतर्क रहने को कहा है।
23 जून को अहम बैठक
मंकीपॉक्स को लेकर WHO 23 जून को अहम बैठक करने जा रहा है। इस बैठक में यह फैसला लिया जाएगा कि क्या मंकीपॉक्स को जन स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया जाए या नहीं। यदि WHO इसे अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करता है तो इसे कोरोना महामारी के समान पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा माना जाएगा और इसके उपचार के लिए विशेष प्रयास और योजनाएं तैयार की जाएगी। इससे पहले इबोला और पोलियो के लिए ऐसी घोषणाएं हुई थीं।
नाम बदलने पर भी हो रहा विचार
WHO मंकीपॉक्स का नाम बदलने पर भी विचार कर रहा है। यह फैसला 30 वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा इसका नाम बदलने की सिफारिश के आधार पर किया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने WHO को भेजे पत्र में लिखा कि नए वैश्विक प्रकोप की उत्पत्ति अभी भी अज्ञात है और इस बात के प्रमाण अधिक हैं कि अफ्रीका महाद्वीप के बाहर इस वायरस का प्रसार लंबे समय से चल रहा है। ऐसे में इसका नाम बिना भेदभाव वाला होना चाहिए।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। ये वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से इसका प्रसार होता है। इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं। शुरूआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं।