6-11 साल के बच्चों पर सुरक्षित और प्रभावी पाई गई मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन
क्या है खबर?
अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की कोरोना वायरस वैक्सीन बच्चों में इम्युनिटी पैदा करने में कामयाब रही है। कंपनी ने सोमवार को बयान जारी करते हुए कहा कि उसकी वैक्सीन ने छह साल से 11 साल तक के बच्चों में उतनी ही न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज पैदा की जितनी वयस्कों और किशोरों में ट्रायल के दौरान दर्ज की गई थीं।
कंपनी ने कहा कि वह जल्द ही इस अंतरिम डाटा को वैश्विक रेगुलेटर्स के पास जमा करेगी।
ट्रायल
4,753 बच्चों पर ट्रायल कर रही है मॉडर्ना
मॉडर्ना ने अपने बयान में बताया कि वह छह से 11 साल तक के 4,753 बच्चों पर अपनी वैक्सीन का ट्रायल कर रही है।
ट्रायल के दौरान बच्चों को 50 माइक्रोग्राम की खुराकें दी गईं जो कि वयस्कों पर ट्रायल के दौरान इस्तेमाल की गई मात्रा की आधी है और बूस्टर खुराक की मात्रा के बराबर है।
मॉडर्ना के मुकाबले फाइजर बच्चों को 10 माइक्रोग्राम की खुराक ही दे रही है।
साइड इफेक्ट्स
ट्रायल के दौरान बच्चों में देखे गए ये साइड इफेक्ट्स
मॉडर्ना के ट्रायल के दौरान बच्चों में कुछ आम साइड इफेक्ट्स में भी देखने को मिले। इनमें थकावट, सिर दर्द, बुखार और इंजेक्शन की जगह पर दर्द आदि शामिल हैं। ज्यादातर साइड इफेक्ट्स मध्यम से औसत गंभीर थे।
बयान में ट्रायल के दौरान दिल संबंधी सूजन (मायोकार्डिटिस) के मामलों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। मॉडर्ना और फाइजर की mRNA वैक्सीन लेने वाले लोगों में ये बेहद गंभीर साइड इफेक्ट देखा गया है।
रेस
बच्चों पर इस्तेमाल के मामले में फाइजर से पिछड़ी मॉडर्ना
बता दें कि अमेरिका में मॉडर्ना की वैक्सीन को 18 साल से अधिक उम्र के लोगों पर इस्तेमाल की मंजूरी मिली हुई है। उसने जून में 12-17 साल के बच्चों पर इस्तेमाल की मंजूरी के लिए भी आवेदन किया था, लेकिन अभी तक उसे इसकी अनुमति नहीं मिली है।
मॉडर्ना इस मामले में अपनी प्रतिद्वंद्वी फाइजर की वैक्सीन से पिछड़ गई है जिसे मई में ही 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों पर इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई थी।
प्रभावशीलता
वयस्कों पर 94 प्रतिशत प्रभावी पाई गई थी मॉडर्ना वैक्सीन
बता दें कि हजारों वयस्कों पर हुए ट्रायल में मॉडर्ना की वैक्सीन को 94 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था। यही नहीं, दूसरी खुराक के छह महीने बाद भी ये वैक्सीन 93 प्रतिशत प्रभावी पाई गई थी।
वैक्सीन की बूस्टर खुराक को गामा, बीटा और डेल्टा जैसे अधिक संक्रामक वेरिएंट्स के खिलाफ प्रभावी पाया गया है।
मॉडर्ना वैक्सीन को भारत में भी इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है, हालांकि अभी तक इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है।