कई बार रोक लगाने वाला चीन मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी मानने पर राजी कैसे हुआ?

संयुक्त राष्ट्र (UN) ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया। इससे पहले वीटो पावर प्राप्त चीन लगातार इस प्रस्ताव पर टांग अड़ा रहा था, लेकिन इस बार चीन ने मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव का समर्थन किया। आइये, जानते हैं कि चीन इतने लंबे समय और ना-नुकर के बाद मसूद के मामले पर सहमत कैसे हुआ? यह भी जानेंगे कि मसूद अजहर पर क्या-क्या आरोप हैं।
संयुक्त राष्ट्र की सिक्योरिटी काउंसिल रेजोल्यूशन 1267 सेंक्शन कमेटी ने मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया है। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है। चीन ने 13 मार्च को इस प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी थी। चीन को इस प्रस्ताव के समर्थन में तैयार करने के लिए अमेरिका, फ्रांस और इंग्लैंड ने अहम भूमिका निभाई है। भारत काफी लंबे समय से मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आंतकी घोषित करने की मांग कर रहा था।
वैश्विक आतंकवादी घोषित होने के बाद अब अजहर की सारी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। साथ ही दुनिया में कहीं भी उसके आवागमन पर रोक लग जाएगी। अजहर के हथियार रखने पर भी पूर्ण प्रतिबंध लग जाएगा।
मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र का शिकंजा कसने की शुरुआत 21 फरवरी से हुई। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने 21 फरवरी को पुलवामा हमले की निंदा वाला बयान जारी किया था। इसमें जैश-ए-मोहम्मद का नाम भी लिया गया था। इससे पहले UNSC ने कभी कश्मीर में हुए आतंकी हमले की निंदा नहीं की थी। इसके बाद भारत का मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करवाने का पक्ष और मजबूत हो गया। अमेरिका ने भी इसमें भारत का साथ दिया।
इसके बाद UNSC के तीन सदस्य देश- अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस ने UNSC में मसूद को प्रतिबंध करने वाला प्रस्ताव पेश किया। इससे पहले इन देशों ने 2017 में भी ऐसी एक असफल कोशिश की थी। सुरक्षा परिषद के सदस्यों और दूसरे देशों का समर्थन मिलने से भारत का पक्ष और मजबूत होता गया। जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अफ्रीका और कई यूरोपीय देशों ने भी भारत की इस मुहिम को अपना समर्थन दिया, लेकिन चीन ने इस रोड़ा अटका दिया।
चीन द्वारा छह महीने की तकनीकी रोक लगाए जाने के बाद भी भारत ने बेहद संतुलित तरीके से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के साथ कई स्तरों पर बातचीत जारी थी और माना जा रहा था कि चीन अपनी रोक हटा सकता है। मार्च के अंत तक अमेरिका ने इस मामले को आगे बढ़ाया और कहा कि वह यह रोक हटने के लिए छह महीने तक इंतजार नहीं करेगा।
अमेरिका ने सुरक्षा परिषद को बताया कि वह इस मामले में इंग्लैंड और फ्रांस के साथ मिलकर पब्लिक वोट के लिए एक प्रस्ताव ला रहा है। चीन ने चार बार सिक्योरिटी काउंसिल रिजोल्यूशन 1267 सेंक्शन कमेटी पर चार बार रोक लगाई है। इसलिए अमेरिका ने चीन को ऐसी स्थिति में खड़ा करने की कोशिश की, जहां उसे या तो अपनी वीटो पावर को बचाना था या एक आतंकवादी को। इसलिए चीन ने प्रस्ताव पर सहमति जताना उचित समझा।
बता दें, जैश-ए-मोहम्मद ने 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमला किया था। इसके बाद से ही भारत लगातार मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने की कोशिश कर रहा था। अब उसे कामयाबी मिल गई है।
मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई का चीन हमेशा से विरोध करता आया है। भारत सबसे पहले 2009 में संयुक्त राष्ट्र में अजहर के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रस्ताव लेकर आया था। इसके बाद साल 2016 और 2017 में भारत ने अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव दिया। हर बार चीन ने इन प्रस्तावों पर वीटो का इस्तेमाल कर गिरा दिया था। पुलवामा हमले के बाद अब एक बार फिर चीन ने अजहर को बचा लिया था।
पुलवामा में CRPF काफिले पर हमला जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ने ही किया था। इस हमले में 40 जवान शहीद हुए थे। जैश इसके अलावा भी भारत में कई बड़े आतंकी हमले करवा चुका है। दिंसबर 2001 में संसद पर हुआ हमला जैश ने ही किया था। उसने जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर भी फिदायीन हमला कराया था। इसके अलावा उरी और पठानकोट में सेना के कैंप पर हुए हमलों में भी जैश का हाथ था।