नवंबर में मिल सकते हैं बाइडन-जिनपिंग, अमेरिकी राष्ट्रपति बोले- चुनौतियों से मिलकर लड़ने की जरूरत
क्या है खबर?
अमेरिका और चीन एक-दूसरे के साथ रिश्ते सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अगले महीने मुलाकात कर सकते हैं।
ये खबर चीन के विदेश मंत्री के अमेरिका दौरे के बाद आई है। अमेरिका ने कहा है कि दोनों देश बाइडन और जिनपिंग के बीच एक शिखर सम्मेलन की दिशा में मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं।
बैठक
सैन फ्रांसिस्को में हो सकती है बैठक
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों नेताओं की मुलाकात सैन फ्रांसिस्को में हो सकती है। सैन फ्रांसिस्को में ही अगले महीने एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) का सम्मेलन होना है। हालांकि, इसको लेकर कुछ भी आधिकारिक नहीं है।
दोनों नेता आखिरी बार G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान इंडोनेशिया की राजधानी बाली में मिले थे। इसके बाद यूक्रेन युद्ध और कथित चीनी जासूसी गुब्बारों को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट आई है।
दौरा
अमेरिका के दौरे पर हैं चीन के विदेश मंत्री
चीन के विदेश मंत्री वांग यी 3 दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। 2018 के बाद ये किसी चीनी विदेश मंत्री का पहला अमेरिका दौरा है।
इस दौरान यी ने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलीवन और जो बाइडन से भी मुलाकात की।
मुलाकात के बाद व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका और चीन को वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
मुद्दे
चीनी विदेश मंत्री और अमेरिका के बीच इन मुद्दों पर हुई चर्चा
यी की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में बीजिंग का हस्तक्षेप, ताइवान, मानवाधिकार और चीन द्वारा हिरासत में लिए गए अमेरिकियों के मामले समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान इजरायल-हमास युद्ध को लेकर भी बातचीत हुई।
ब्लिंकन से मुलाकात के बाद यी ने कहा, "अमेरिका और चीन के बीच मतभेद हैं। गलतफहमी को कम करने और संबंधों को स्थिर करने के लिए 'गहन' और 'व्यापक' बातचीत की आवश्यकता है।"
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
अमेरिका और चीन के बीच कई मुद्दों पर मतभेद है। इसमें सबसे बड़ा मसला दक्षिण चीन सागर का है। इस इलाके में दोनों देश अक्सर एक-दूसरे के सामने आते रहते हैं।
दूसरा बड़ा विवाद ताइवान को लेकर है। चीन ताइवान पर अपना कब्जा जताता है तो अमेरिका ताइवान के साथ खड़ा है।
हांगकांग में भी चीन लोकतंत्र समर्थकों का दमन करता है तो दूसरी ओर अमेरिका इनका समर्थन करता है।