क्या है व्हाट्सऐप के जरिए जासूसी का मामला? आसान भाषा में समझिये
गुरुवार को खबर आई थी कि व्हाट्सऐप के जरिए भारतीय पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई थी। इस काम के लिए इजरायल की कंपनी NSO ग्रुप द्वारा बनाये गए पेगासस (Pegasus) स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया था। इंडियन एक्सप्रेस ने खबर दी थी कि व्हाट्सऐप ने मंगलवार को अपने सर्वर के गलत इस्तेमाल करने के लिए NSO ग्रुप पर अमेरिका की एक अदालत में केस किया है। आइये, इस पूरे मामले के बारे में विस्तार से जानते हैं।
दुनियाभर में करीब 1,400 लोगों को बनाया गया निशाना
व्हाट्सऐप ने कहा कि NSO ग्रुप ने 20 देशों में उसके लगभग 1,400 यूजर्स के मोबाइल फोन और डिवाइस पर जासूसी करने के लिए मालवेयर (एक तरह का वायरस) भेजा था। यह जासूसी इस साल अप्रैल से मई के बीच की गई। गौरतलब है कि व्हाट्सऐप दुनिया की सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप है और इसके लगभग 150 करोड़ यूजर्स हैं, जिनमें से लगभग 40 करोड़ यूजर्स भारतीय हैं। व्हाट्सऐप को निशाना बनाने की एक वजह इसकी लोकप्रियता भी है।
व्हाट्सऐप प्रमुख ने मामले को बताया चिंता का विषय
व्हाट्सऐप के प्रमुख विल काथकार्ट ने एक अमेरिकी अखबार में अपने लेख में लिखा कि दुनियाभर में कम से कम 100 मानवाधिकार कार्यकर्ता, पत्रकारों और नागरिक समाज के दूसरे लोगों को जासूसी का निशाना बनाया गया है। उन्होंने आगे लिखा कि लोगों की निजी जिंदगी की जासूसी करने वाले उपकरणों का गलत इस्तेमाल किया गया है। अगर यह तकनीक गैर-जिम्मेदार कंपनियों और सरकारों के हाथ लगती है तो सबके लिए बड़ा खतरा होगा।
NSO ग्रुप कंपनी क्या करती है?
NSO ग्रुप इजरायल की एक साइबर सुरक्षा कंपनी है जो तेल अवीव में स्थित है। यह कंपनी सर्विलांस टेक्नोलॉजी बनाती है। कंपनी का दावा है कि यह दुनियाभर की सरकारों की आतंकवाद और जुर्म से लड़ने में मदद करती है। पेगासस के जरिए जासूसी किए जाने का पहला मामला 2016 में सामने आया था। तब संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के रहने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर को उनके आईफोन पर एक SMS के जरिए लिंक भेजा गया था।
सिटीजन लैब के जरिए मिली थी जासूसी की जानकारी
सितंबर, 2018 में यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में स्थित सिटीजन लैब ने बताया कि पेगासस फोन के सिक्योरिटी फीचर्स से छेड़छाड़ कर यूजर की परमिशन के बिना इंस्टॉल हो जाता है। उस समय तक 45 देशों में पेगासस के जासूसी अभियान जारी थे। लैब ने बताया कि पेगासस फोन के फीचर और सॉफ्टवेयर में उन खामियों का फायदा उठाता है, जिनकी जानकारी इन्हें बनाने वाली कंपनियों को भी नहीं होती। इसलिए इससे बचाव का कोई तरीका उपलब्ध नहीं है।
पेगासस के जरिए जासूसी कर की गई थी जमाल खशोगी की हत्या
पिछले साल दिसंबर में मॉन्ट्रियल में रहने वाले सऊदी कार्यकर्ता उमर अब्दुलाजीज ने तेल अवीव की एक अदालत में NSO ग्रुप के खिलाफ केस किया था। उमर ने आरोप लगाया कि अगस्त, 2018 में पेगासस की मदद से उनके फोन से छेड़छाड़ की गई और उनके नजदीकी दोस्त जमाल खशोगी के साथ हुई बातचीत को सुना गया। खशोगी की अक्टूबर में सऊदी अरब के खुफिया एजेंटों ने हत्या कर दी थी।
मई में व्हाट्सऐप ने जारी किया था सिक्योरिटी अपडेट
इस साल मई में एक रिपोर्ट आई थी कि पेगासस की मदद से व्हाट्सऐप यूजर्स को जासूसी करने के लिए निशाना बनाया गया है। इसके बाद व्हाट्सऐप ने सॉफ्टवेयर अपडेट जारी किया था ताकि इसे रोका जा सके।
कैसे काम करता है पैगासस स्पाईवेयर?
किसी टारगेट को मॉनिटर करने के लिए पेगासस ऑपरेटर उसके पास एक लिंक भेजता है। इस लिंक पर क्लिक होते ही यूजर के फोन में पेगासस स्पाईवेयर इंस्टॉल हो जाता है और यूजर को इसका पता भी नहीं चलता। डाउनलोड होने के बाद पेगासस अपने ऑपरेटर की कमांड पर चलता है। यह कमांड देने पर टारगेट के पासवर्ड, कॉन्टैक्ट, लिस्ट, कैलेंडर इवेंट, टेक्सट मैसेज, वॉइस कॉल समेत पर्सनल डाटा ऑपरेटर के पास भेजता रहता है।
मिस्ड वीडियो कॉल से इंस्टॉल किया जा सकता है पेगासस
स्पाईवेयर की मदद से ऑपरेटर टारगेट के फोन का कैमरा और माइक्रोफोन भी ऑन कर सकता है, जिससे उसे टारगेट के आसपास की हलचलों का पता लग सकता है। कई बार फोन में स्पाईवेयर डाउनलोड करने के लिए लिंक पर क्लिक की भी जरूरत नहीं होती। टारगेट को व्हाट्सऐप पर मिस्ड वीडियो कॉल मिलती है। अगर यूजर्स इस पर कोई रिस्पॉन्स भी नहीं देता है तब भी स्पाईवेयर उसके फोन में डाउनलोड हो जाता है।
इन ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम कर सकता है पेगासस
पेगासस के बारे में NSO ग्रुप का कहना है कि यह पासवर्ड प्रोटेक्टेड डिवाइस में घुस सकता है। यह बेहद कम बैटरी और डाटा का इस्तेमाल करता है और छिपा रहता है। इसके चलते यूजर को यह भनक भी नहीं लगती कि उसके फोन में जासूसी की जा रही है। यह स्पाईवेयर ब्लैकबेरी, एंड्रॉयड, आईफोन और सिंबियन बेस्ड डिवाइस में काम कर सकता है। एंड्रॉयड आने के बाद अधिकतर सिंबियन डिवाइस बंद हो गए हैं।
भारत में लगभग दो दर्जन पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को बनाया गया निशाना
गुरुवार सुबह खबरें आई थीं कि पेगासस के जरिए लगभग दो दर्जन पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और वकीलों की जासूसी की गई है। यह जासूसी मई महीने तक चली। गौरतलब है कि मई में देश में लोकसभा चुनाव हुए थे। सरकार ने इसे लेकर व्हाट्सऐप से जवाब मांगा है। इसके लिए उसे 4 नवंबर तक का समय दिया गया है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार नागरिकों की जासूसी की खबरों को लेकर गंभीर है।
इन लोगों ने की जासूसी का शिकार होने की पुष्टि
अभी तक भारत में जिन लोगों ने जासूसी का निशाना बनने की बात की पुष्टि की है, उनमें भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मुकदमा लड़ रहे दो वकील शालिनी गैरा और निहाल सिंह राठौर, छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ता बेला भाटिया और डिग्री प्रसाद चौहान, दलित चिंतक आनंद तेलतुंबड़े, BBC के पूर्व पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता आशीष गुप्ता, दिल्ली यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर सरोज गिरी, पत्रकार सिद्धांत सिबल, स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा शामिल हैं।