प्रदूषण के खिलाफ केंद्र का कानून, एक करोड़ जुर्माना और पांच साल जेल का प्रावधान
दिल्ली-NCR क्षेत्र में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने सख्त कदम उठा लिया है। सरकार प्रदूषण के खिलाफ कानून बनाने के लिए एक अध्यादेश तैयार कर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से हस्ताक्षर करा लिए हैं। सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में इसकी जानकारी भी दे दी है। बता दें कि सरकार ने गत सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण के खिलाफ नया कानून बनाने का जानकारी दी थी। जिसके तहत यह कदम उठाया गया है।
EPCA की जगह लेगा नया आयोग
सरकार के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन अध्यादेश, 2020 के लिए नए आयोग का गठन किया गया है। इसके 22 साल पुराने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) की जगह लागू किया जाएगा। इसे सुप्रीम कोर्ट ने भी अनुमति दे दी है। हालांकि EPCA ने दिल्ली में वाहनों को CNG पर आने के लिए कहा था, लेकिन वह खतरनाक धुएं के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर सका था।
आयोग तीन चीजों पर रखेगा विशेष नजर- रिपोर्ट
न्यूज 18 के अनुसार 20 सदस्यीय यह आयोग मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों पर नजर रखेगा। इनमें वायु प्रदूषण की निगरानी, कानूनों को लागू करने और अनुसंधान और नवाचार शामिल है। इसके अलावा आयोग प्रदूषण बढ़ाने वाले कारणों जैस- पराली जलाना, वाहनों के धुंए और मृदा प्रदूषण पर भी ध्यान देगा। इसी तरह आयोग निगरानी के लिए उप-समितियों का गठन करेगा। यह आयोग एक केंद्रीय निकाय के रूप में कार्य करेगा।
पर्यावरण मंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति सदस्यों की नियुक्ति करेगी
इस आयोग की अध्यक्षता सचिव या मुख्य सचिव रैंक के एक सरकारी अधिकारी द्वारा की जाएगी, जिसे केंद्र द्वारा चुना जाएगा। आयोग में पर्यावरण मंत्रालय के सचिव और पांच अन्य सचिव या मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी भी शामिल होंगे। वह इसके पदेन सदस्य होंगे। चेयरपर्सन को तीन साल की अवधि या उनके 70 वर्ष के होने तक के लिए निुयक्त किया जाएगा। इनका चयन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता वाली चयन समिति करेगी।
राज्य और आयोग के आदेशों के बीच बाद के आदेश प्रभावी होंगे
अध्यादेश में कहा गया है कि राज्य और आयोग द्वारा जारी किए गए आदेशों के बीच टकराव की स्थिति में बाद में निर्धारित नियम को ही लागू किया जाएगा। आयोग द्वारा प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए नियमों का उल्लंघन करने पर दोषियों पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना, पांच साल की जेल या दोनों से दंडित करने का प्रावधान होगा। आयोग को प्रदूषणकारी इकाइयों को बंद करने और निरीक्षण करने का अधिकार भी दिया गया है।
आयोग के आदेशों के खिलाफ अपील पर NGT ही कर सकेगा सुनवाई
अध्यादेश में यह भी कहा गया है कि आयोग द्वारा जारी किए गए आदेशों के खिलाफ अपील केवल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में ही स्वीकार्य होगी। यह आयोग केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और ISRO के साथ-साथ राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगा और संसद में सालाना रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। अध्यादेश के अनुसार आयोग का NCR पर विशेष अधिकार होगा और वह इस पर निर्णय के लिए स्वतंत्र होगा।
अध्यादेश को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने की सख्त टिप्पणी
प्रदूषण के मामले पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे ने कहा है कि उन्हें कुछ विशेषज्ञों ने जानकारी दी है कि प्रदूषण की वजह सिर्फ पराली नहीं है। वकीलों को भी लंबी-लंबी खूबसूरत गाड़ियों में घूमना बन्द करना चाहिए।
कानूनों को लागू करने में इच्छाशक्ति का अभाव है समस्या- विशेषज्ञ
नय आयोग को लेकर एयर क्वालिटी शोधकर्ता पोलाश मुखर्जी ने कहा कि भारत में कानूनों की कमी नहीं है। चाहे वह पराली जलाने, सब्सिडी प्रदान करने या प्रदूषक को दंडित करने के लिए ही क्यो ना हो। उनके अनुसार समस्या कानूनों को लागू करने की इच्छाशक्ति में कमी होना है। उन्होंने यह भी कहा कि पराली जलाने को लेकर प्रावधान केवल पंजाब, हरियाणा तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि पूरे देश पर लागू होना चाहिए।
गुरुवार सुबह दिल्ली में 392 AQI किया गया था दर्ज
बता दें कि दिल्ली की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। गुरुवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 392 दर्ज किया गया है। इसकी स्थिति प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। प्रदूषण को लेकर हुई पिछली सुनवाई में सरकार ने नया कानून लाने की जानकारी दी थी। उस पर मुख्य न्यायाधीश खुशी जताते हुए कहा था कि निर्णय स्वागत योग्य कदम है। यह ऐसा मुद्दा है जिस पर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। इससे लोगों को राहत मिलेगी।