#NewsBytesExplainer: फ्रांस में कैसे होते हैं चुनाव और क्या मैक्रों को छोड़ना होगा राष्ट्रपति पद?
फ्रांस में 30 जून और 7 जुलाई को संसद के नए सदस्यों के लिए मतदान होना है। ओपिनियन पोल में अनुमान जताया गया है कि धुर दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी इन चुनावों के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है और वर्तमान राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की रेनेसां पार्टी को नुकसान हो सकता है। हालांकि, मैक्रों फ्रांस के राष्ट्रपति बने रहेंगे। आइए जानते हैं कि फ्रांस में चुनाव कैसे होता है।
फ्रांस में कैसी है संसदीय व्यवस्था?
भारत की तरह फ्रांस में भी संसद के 2 सदन हैं। संसद के उच्च सदन को सीनेट और निचले सदन को नेशनल असेंबली कहा जाता है। नेशनल असेंबली के सदस्यों को जनता, जबकि सीनेट को सदस्यों को नेशनल असेंबली के सदस्य और अधिकारी मिलकर चुनते हैं। फिलहाल नेशनल असेंबली के लिए चुनाव हो रहा है, जिसमें कुल 577 सीटें हैं और बहुमत के लिए किसी भी पार्टी को 289 सीटें जीतना जरूरी है।
कैसे होता है चुनाव?
फ्रांस में चुनाव 2 चरणों में होते हैं। 30 जून को पहले चरण में सभी 577 संसदीय क्षेत्रों में वोट डाले जाएंगे। इनमें विदेश में रह रहे फ्रांसीसी नागरिक भी वोट डाल सकते हैं। इसके बाद सभी सीटों पर 7 जुलाई को दोबारा मतदान होगा। दूसरे चरण में केवल वे ही उम्मीदवार खड़े हो सकते हैं, जिन्हें पहले चरण में 12.5 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले हैं। दूसरे चरण में आमतौर पर हर सीट पर 2-3 उम्मीदवार होते हैं।
समय से 3 साल पहले हो रहे हैं चुनाव
फ्रांस की संसद का कार्यकाल 2027 में खत्म होना था, लेकिन मैक्रों ने समय से पहले संसद भंग कर दी है। दरअसल, इसी महीने की शुरुआत यूरोपीय संसद के चुनावी नतीजों में मैक्रों की पार्टी को 15 प्रतिशत से भी कम वोट मिले। जबकि, मरीन ले पेन की नेशनल रैली ने 31.4 प्रतिशत वोट हासिल किए। ये नतीजे मैक्रों के लिए चौंकाने वाले रहे और उन्होंने संसद भंग कर मध्यावधि चुनावों का ऐलान कर दिया।
मैक्रों के लिए क्या हैं मुश्किलें?
चुनावी नतीजों का मैक्रों के राष्ट्रपति कार्यकाल पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मैक्रों 2027 तक राष्ट्रपति बने रहेंगे। हालांकि, अगर नेशनल रैली जैसी विपक्षी पार्टी को संसद में बहुमत मिल जाता है तो मैक्रों को उसी पार्टी का प्रधानमंत्री नियुक्त करना होगा। ऐसी सरकार को सह अस्तित्व वाली सरकार कहा जाता है, जब एक पार्टी का अध्यक्ष राज्य का नेतृत्व करेगा और दूसरी पार्टी सरकार चलाएगी। ऐसे में मैक्रों को विरोधी पार्टी के साथ सरकार चलानी पड़ेगी।
मैक्रों की पार्टी हार गई तो क्या होगा?
मैक्रों की पार्टी की हार के बावजूद उन्हें राष्ट्रपति पद से इस्तीफा नहीं देना पड़ेगा। अगर विपक्षी नेशनल रैली पार्टी को बहुमत मिलता है तो जॉर्डन बार्डेला प्रधानमंत्री बन सकते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा है कि वे केवल पूर्ण बहुमत की सरकार में ही प्रधानमंत्री बनने के इच्छुक हैं और गठबंधन सरकार में राष्ट्रपति के सहायक की भूमिका नहीं निभा सकते। अगर नैशनल रैली को बहुमत मिला तो 2027 में मरीन ले पेन राष्ट्रपति बन सकती हैंं।
किसे मिल सकती हैं कितनी सीटें?
टोलुना हैरिस इंटरएक्टिव नाम की एक संस्था ने 10 जून को ओपिनियन पोल के नतीजे जारी किए थे। इसमें बताया गया है कि चुनावों में नेशनल रैली 235 से 265 सीटें जीत सकती हैं। हालांकि, नेशनल रैली को बहुमत के लिए जरूरी 289 सीटें मिलने की उम्मीद कम है, लेकिन वो संसद में सबसे बड़ी पार्टी होगी। मैक्रों की रेनेसां पार्टी और उनके सहयोगियों को केवल 125 से 155 के बीच सीटें मिलने की संभावना है।