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    फ्रांस के राष्ट्रपति ने क्यों की आकस्मिक आम चुनाव की घोषणा और आगे क्या होगा?
    फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने किया संसद भंग करने का ऐलान

    फ्रांस के राष्ट्रपति ने क्यों की आकस्मिक आम चुनाव की घोषणा और आगे क्या होगा?

    लेखन भारत शर्मा
    Jun 10, 2024
    04:33 pm

    क्या है खबर?

    यूरोपियन यूनियन (UN) के चुनाव में मरीन ले पेन की नेशनल रैली (RN) से मिली करारी शिकस्त के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रविवार को अचानक संसद भंग करने का ऐलान कर दिया।

    अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने इस महीने के अंत में संसदीय चुनाव कराने का भी ऐलान कर दिया है।

    ऐसे में आइए जानते हैं कि राष्ट्रपति के संसद भंग करने के पीछे का कारण क्या है और आगे क्या होगा।

    चुनाव

    UN के चुनाव में क्या रही मैक्रों की स्थिति?

    यूरोपियन चुनावों के एग्जिट पोल्स के मुताबिक, 28 साल की जॉर्डन बार्डेल के नेतृत्व वाली RN को करीब 33 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है, जबकि मैक्रों की रेनेसॉ पार्टी को इसके आधे से भी कम यानी करीब 15 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है।

    इस हार ने मैक्रों को चिंतित कर दिया और उन्होंने तत्काल संसद भंग करने का फैसला कर लिया।

    बता दें कि मैक्रों ने 2022 पुनर्निर्वाचन में बड़ी जीत दर्ज कर राष्ट्रपति पद हासिल किया था।

    कारण

    मैक्रों ने क्या बताया संसद भंग करने का कारण? 

    राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि यह निर्णय बहुत गंभीर और मुश्किल था, लेकिन वह इससे इनकार नहीं कर सकते कि देश में दक्षिणपंथी पार्टियां प्रगति कर रही हैं।

    उन्होंने कहा, "मुझे फ्रांस के मतदाताओं की सर्वोत्तम विकल्प चुनने की क्षमता पर विश्वास है। मुझे हमारे लोकतंत्र पर भरोसा है। संप्रभु लोगों को अपनी बात कहने का अधिकार है। मैंने आपका संदेश और चिंताएं सुनी हैं और मैं उन्हें ऐसे ही नहीं छोड़ूंगा।"

    दावा

    विश्लेषकों ने किया गंभीर कठिनाइयां आने का दावा

    चुनावी विश्लेषकों ने दावा किया है कि यूरोपीयन चुनावों में RN से भारी हार के बाद मैक्रों को संसद में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, जिसमें संभावित रूप से निंदा प्रस्ताव और सरकार का पतन शामिल होगा।

    हालांकि, रविवार को मैक्रों की ओर से उठाया गया कदम बहुत बड़ा जुआ है।

    चुनाव में उनकी पार्टी को और अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है, जिससे उनका शेष राष्ट्रपति कार्यकाल बाधित हो सकता है।

    जानकारी

    ऐसे बढ़ सकती है मैक्रों की परेशानी

    विश्लेषकों के अनुसार, अगर चुनाव में मरीन ली की RN पाटी नेशनल असेंबली बहुमत हासिल कर लेती है तो मैक्रों बेहद कमजोर राष्ट्रपति हो जाएंगे। उन्हें संसद में अहम फैसले लेने के लिए फिर विपक्षी पार्टियों पर निर्भर रहना पड़ेगा।

    चुनाव

    कैसे और कब होंगे चुनाव?

    फ्रांसीसी संविधान का अनुच्छेद 12 राष्ट्रपतियों को संसद और कार्यपालिका के बीच स्थायी और अपूरणीय मतभेदों जैसे राजनीतिक संकटों को हल करने के लिए संसद को भंग करने की अनुमति देता है।

    इसके बाद 20 से 40 दिनों के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य होता है।

    ऐसे में मैक्रों दो चरणों में चुनाव कराने का ऐलान किया है। इसके तहत पहले चरण के लिए मतदान 30 जून और दूसरे चरण का मतदान 7 जुलाई को होगा।

    प्रतिक्रिया

    RN ने क्या दी प्रतिक्रिया?

    एग्जिट पोल्स के नतीजों के बाद बार्डेल ने कहा था कि फ्रांसीसी मतदाताओं ने परिवर्तन की इच्छा व्यक्त की है। देश ने अपना फैसला दे दिया है और कोई अपील नहीं है।

    इसी तरह पार्टी प्रमुख और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार ले पेन ने कहा कि वह इस निर्णय का स्वागत कर सकती हैं। आगामी चुनावों में अगर फ्रांसीसी लोगों को उन पर भरोसा है तो उनकी पार्टी देश की सत्ता संभालने के लिए तैयार है।

    प्रष्ठभूमि

    क्या पूर्व में भी भंग की जा चुकी है संसद? 

    फ्रांस में साल 1962, 1968, 1981 और 1988 में भी तत्कालीन राष्ट्रपति ने संसद भंग कर आकस्मिक चुनावों का ऐलान किया था।

    उस समय राष्ट्रपति का कार्यकाल 7 साल का था, लेकिन संसद का कार्यकाल 5 साल था।

    ऐसे में राज्य के प्रमुख को अक्सर चुनावों में विरोधी बहुमत का सामना करना पड़ता था।

    साल 1997 में भी तत्कालीन राष्ट्रपति जैक्स शिराक ने संसद भंग की थी, लेकिन चुनावों में उन्हें करारी हार झेलनी पड़ी थी।

    चुनाव

    क्या है UN चुनाव?

    UN यूरोप के 27 देशों का राजनीतिक और आर्थिक संघ है। इसमें एक संसद होती है जिसके प्रतिनिधियों का चुनाव सीधे यूरोपीय नागरिकों द्वारा किया जाता है।

    इसका काम यूरोपीय कानून की लोकतांत्रिक वैधता को बनाए रखना है। यह यूनियन नागरिकों के प्रतिनिधियों से बनी है, जो एक बार चुने जाने के बाद 5 साल तक प्रतिनिधित्व करते हैं।

    इसके बाद राष्ट्रपति को भी देश हित में लिए जाने वाले अहम फैसलों में उनसे सलाह लेनी होती है।

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