पन्नू मामले की वजह से भारत-अमेरिका ड्रोन समझौते में हुई देरी- अमेरिकी सांसद
क्या है खबर?
भारत और अमेरिका के बीच खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश को लेकर विवाद चल रहा है। इस विवाद का असर दोनों देशों के बीच MQ9 रीपर ड्रोन समझौते पर भी हुआ है।
एक अमेरिकी सांसद ने दावा किया है कि पन्नू मामले के बाद उन्होंने इस समझौते पर आपत्ति जताई थी। बाद में जब भारत ने मामले की जांच का आश्वासन दिया तो उन्होंने अपनी आपत्ति वापस ली।
चर्चा
मुद्दे पर बाइडन प्रशासन से महीनों हुई चर्चा
विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष बेन कार्डिन के मताबिक, उन्होंने सौदे को तभी मंजूरी दी, जब जो बाइडन प्रशासन ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत सरकार मामले की जांच करने और अमेरिकी न्याय विभाग को पूरा सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, "इस समिति के अध्यक्ष के रूप में मैं पूरी तरह से प्रशासन को इन प्रतिबद्धताओं पर कायम रखने का इरादा रखता हूं। इस सौदे को मंजूरी प्रशासन के साथ महीनों की श्रमसाध्य चर्चा का परिणाम थी।"
सांसद
सांसद ने ड्रोन सौदे को लेकर क्या कहा?
रिपोर्ट के मुताबिक, सांसद ने ड्रोन सौदे को लेकर कहा, "मैं अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक हितों के लिए इस बिक्री के महत्व से पूरी तरह परिचित हूं। मैंने भारतीयों से जुड़ी हत्या की साजिश को लेकर अधिकारियों को लगातार अपनी चिंताओं से अवगत कराया है। जब तक साझेदारी आपसी विश्वास और सम्मान पर आधारित है, तब तक मैं भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने का समर्थन करता हूं।"
मामला
क्या है पन्नू की हत्या की साजिश का मामला?
पिछले साल नवंबर में अमेरिका ने आरोप लगाए थे कि भारत ने अमेरिकी धरती पर पन्नू की हत्या की साजिश रची थी। इस मामले में एक उच्च स्तरीय भारतीय अधिकारी के शामिल होने की बात भी कही गई थी।
हालांकि, अमेरिका ने कोई सबूत पेश नहीं किए थे। भारत ने इन आरोपों को खारिज किया था और मामले की जांच करने की बात कही थी।
अमेरिका ने एक भारतीय शख्स निखिल गुप्ता को भी हिरासत में भी लिया है।
सबूत
प्रधानमंत्री ने कहा था- सबूतों पर करेंगे गौर
पन्नू मामले पर अमेरिका की जानकारी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जांच की बात कही थी।
उन्होंने कहा था, ''अगर कोई हमें कोई जानकारी देता है तो हम निश्चित रूप से उस पर गौर करेंगे। अगर हमारे किसी नागरिक ने कुछ भी अच्छा या बुरा किया है तो हम उस पर गौर करने के लिए तैयार हैं। 'कुछ घटनाएं' भारत-अमेरिका संबंध को पटरी से नहीं उतार सकती। हमारी प्रतिबद्धता कानून के शासन के प्रति है।"
समझौता
क्या है भारत-अमेरिका के बीच ड्रोन समझौता?
भारत अमेरिका के बीच 31 ड्रोन के लिए लगभग 330 अरब रुपये का समझौता हुआ है। इन 31 में से 15 ड्रोन भारतीय नौसेना, जबकि 8-8 ड्रोन भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना को दिए जाएंगे।
ये ड्रोन भारत में असेंबल किए जाएंगे और इन्हें बनाने वाली कंपनी भारत में इनकी मेंटेनेंस, रिपेयर और ऑपरेशन (MRO) के लिए एक केंद्र स्थापित करेगी। हालांकि, समझौते को लेकर आधिकारिक जानकारी अभी सामने नहीं आई है।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
MQ9 ड्रोन को अमेरिका की जनरल एटोमिक्स ने बनाया है। इसे 'प्रिडेटर ड्रोन' भी कहा जाता है। ये मानव-रहित हवाई वाहन (UAV) है, यानी इसे बिना किसी पायलट के केवल रिमोट कंट्रोल के जरिए उड़ाया जाता है।
यह 388 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार 40 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर सकता है। इसके अलावा ड्रोन करीब 11,000 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के ठिकाने पर हमला करने में सक्षम है।