#NewsbytesExplainer: लैब से लीक होकर प्राकृतिक उत्पत्ति तक, कोरोना की शुरुआत को लेकर क्या जानकारी है?
हाल ही में आई अमेरिका के ऊर्जा विभाग की एक रिपोर्ट ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर फिर से बहस शुरू कर दी है। इस रिपोर्ट में आशंका व्यक्त की गई कि यह महामारी चीन के वुहान शहर स्थित एक लैब में हुई दुर्घटना के कारण फैली थी। अब तक महामारी की शुरुआत को लेकर कई तरह के दावे हो चुके हैं। आइये जानते हैं कि इसकी उत्पत्ति को लेकर क्या पता है और क्या जानकारी नहीं है।
महामारी की उत्पत्ति को लेकर क्या बातें कही जा रही हैं?
वायरस के जेनेटिक्स और इसके फैलने के तरीके का अध्ययन करने वाले कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि वुहान की हुनान सीफूड थोक मार्केट में कोरोना वायरस किसी जिंदा स्तनधारी जानवर से इंसानों में फैला था। ऐसी घटनाओं को वैज्ञानिक भाषा में 'जूनोटिक स्पिलओवर' कहा जाता है। इसी शहर में 2019 के अंत में कोरोना वायरस महामारी का पहला मरीज पाया गया था। हालांकि, सभी वैज्ञानिक इस निष्कर्ष से सहमत नहीं हैं।
महामारी की उत्पत्ति को लेकर दूसरा तर्क क्या है?
कुछ दूसरे वैज्ञानिकों का कहना है कि कई ऐसे सबूत हैं, जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि यह वायरस चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी में हुई किसी दुर्घटना से फैला है। इस लैब में कोरोना वायरस पर गहन शोध होते हैं। हालांकि, चीन इस तरह के कयासों से इनकार करता आया है, लेकिन अमेरिका लगातार इसे लेकर हमलावर बना हुआ है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी ऐसे कयासों को हवा दे चुके हैं।
महामारी की उत्पत्ति का पता लगाना मुश्किल क्यों होता है?
आमतौर पर किसी भी वायरस के स्त्रोत का पता लगाना मुश्किल होता है और चीन ने सबूत जुटाना मुश्किल कर इस काम को और पेचीदा बना दिया है। दरअसल, कोरोना महामारी सबसे पहले चीन में ही फैली थी, लेकिन चीन पर इसकी जांच में सहयोग न करने के आरोप लगते रहे हैं। जब शोधकर्ता हुनान मार्केट से सैंपल लेने आए, तब तक पुलिस ने मार्केट बंद कर इसे कीटाणुनाशक से साफ कर दिया था।
चीन पर जानकारी छिपाने के आरोप
कई वैज्ञानिकों का कहना है कि चीन ने कोरोना के शुरुआती मामलों की पूरी जानकारी नहीं दी। साथ ही शुरुआत में अस्पतालों को केवल हुनान मार्केट से जुड़े मामलों को रिपोर्ट करने के निर्देश दिए थे। इससे महामारी के अन्य मामले नजरअंदाज हो गए।
जांच के लिए वैज्ञानिकों ने क्या तरीका अपनाया?
महामारी की उत्पत्ति का अनुमान लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने कई तरह के आंकडे़ जुटाए। इनमें शुरुआती दौर में अस्पताल में भर्ती हुए मरीज, शुरुआती मरीजों के स्थान, सीफूड मार्केट से उनका संबंध आदि पता किया गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे फिर उन्हें ऐसे संकेत मिले, जो इशारा करते हैं कि यह वायरस सबसे पहले मार्केट में फैलना शुरू हुआ था। उनका कहना है कि मार्केट में जहां जिंदा पशु बिक रहे थे, वहां ज्यादा सैंपल मिले थे।
एक और लैब की तरफ भी जा रही शक की सुई
कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि लैब दुर्घटना को लेकर सारा ध्यान वुहान इंस्टीट्यूट की तरफ जा रहा है, लेकिन वुहान सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के बारे में बातें नहीं हो रही, जो हुनान मार्केट के ज्यादा करीब है।
लैब लीक के तर्क में कितना दम है?
अक्टूबर में अमेरिका की सीनेट हेल्थ कमेटी में शामिल रिपब्लिकन नेताओं ने एक समीक्षा पेश की थी, जिसमें महामारी के उत्पत्ति के बारे में बताया गया था। इसमें कहा गया था कि यह महामारी शोध से जुड़ी किसी घटना के कारण फैलना शुरू हुई थी। इसके समीक्षकों ने प्राकृतिक उत्पत्ति के तर्क को खारिज करते हुए वुहान इंस्टीट्यूट में लगातार आ रही 'बायोसेफ्टी समस्याओं' की तरफ भी ध्यान आकर्षित करवाया था। हालांकि, इसमें सभी पुराने सबूत शामिल किए गए थे।
2018 में इंस्टीट्यूट ने मांगा था कोरोना वायरस पर रिसर्च के लिए फंड
2018 में वुहान इंस्टीट्यूट और इकोहेल्थ अलायंस समेत इसके सहयोगियों ने रक्षा विभाग से फंड की मांग की थी ताकि ऐसे कोरोना वायरस पर रिसर्च की जा सके, जो इंसानों में तेजी से फैलने के गुण रखते हैं। बता दें, इकोहेल्थ अलायंस को अमेरिका से वित्तीय सहायता मिलती है। हालांकि, इंस्टीट्यूट को यह फंडिंग नहीं मिली, लेकिन रिपोर्ट में कहा गया कि यह ऐसे कोरोना वायरस पर रिसर्च के लिए था, जैसे वायरस से महामारी फैली थी।
संक्रमित शोधकर्ता के जरिये बाहर आया वायरस- रिपोर्ट
इसके बाद जानकारों ने यह माना कि लैब से वायरस लीक होने की आशंकाएं मजबूत हैं। सीनेट की रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि इस वायरस ने लैब से लीक होकर किसी शोधकर्ता को संक्रमित किया और फिर यह वायरस वहां से बाहर आया।
अमेरिका की खुफिया एजेंसियों का क्या कहना है?
मई, 2021 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने देश की खुफिया एजेंसियों को महामारी की शुरुआत के कारणों का पता लगाने का आदेश दिया था। अगस्त में सार्वजनिक की गई खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में कहा गया था कि प्राकृतिक उत्पत्ति और लैब से लीक होने समेत दोनों आशंकाएं ही मजबूत हैं। उस समय बाइडन ने चीन ने महामारी की शुरुआत को लेकर अधिक पारदर्शी होने की मांग की थी। कई अन्य संगठन भी ऐसी मांग कर चुके हैं।
लगातार खोजबीन कर रहे हैं अमेरिकी खुफिया अधिकारी
द वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, अमेरिकी खुफिया अधिकारी अभी भी इस बात पर खोजबीन कर रहे हैं कि महामारी कैसे उभरी थी। गौरतलब है कि महामारी के कारण अब तक 10 लाख से अधिक अमेरिकी लोगों की मौत हो चुकी है।
दुनियाभर में महामारी की क्या स्थिति?
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, अब तक दुनियाभर में 67.51 करोड़ लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है और 68.70 लाख लोगों को इस कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। 10.3 करोड़ मामलों और 11.19 लाख मौतों के साथ अमेरिका इससे सर्वाधिक प्रभावित देश बना हुआ है। वहीं दूसरे सर्वाधिक प्रभावित देश भारत में इसके 4.46 करोड़ मामले सामने आए हैं और 5.30 लाख मौतें हुई हैं। महामारी के चलते दुनिया की रफ्तार पर ब्रेक लग गया था।