सीमा विवाद: देपसांग के मैदानी इलाके में लगातार अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा चीन
क्या है खबर?
एक तरफ चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर टकराव वाली जगहों से सेना पीछे हटा रहा है, लेकिन दूसरी तरफ वह देपसांग इलाके में अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के विश्लेषण में सामने आया है कि चीन लद्दाख के देपसांग के मैदानी इलाके में अपनी स्थिति को लगातार मजबूत करता जा रहा है।
यहां चीन भारतीय क्षेत्र में 18 किलोमीटर अंदर घुसा हुआ है। देपसांग से सेना पीछे हटाने को लेकर अभी सहमति नहीं बनी है।
पृष्ठभूमि
देपसांग के बॉटलनेक के पास चीन ने तैनात किए सैनिक
चीन पिछले साल जून में देपसांग के मैदानी इलाके में घुस आया था। यह इलाका भारत के दौलत बेग ओल्डी सैन्य हवाई अड्डे के पास है। ये रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है।
रिपोर्ट्स में बताया गया कि चीन ने देपसांग की वाई-जंक्शन या बॉटलनेक नामक जगह पर बड़ी संख्या में सैनिक तैनात किए थे। बॉटलनेक LAC पर भारतीय सीमा के लगभग 18 किलोमीटर अंदर है। हालांकि चीन इससे भी पांच किलोमीटर अंदर तक के इलाके को अपना बताता है।
बयान
देपसांग में उपस्थिति मजबूत कर रहा चीन- अधिकारी
द टेलीग्राफ ने एक सुरक्षा अधिकारी के हवाले से लिखा है, "हालिया विश्लेषण में सामने आया है कि देपसांग में चीनी सेना ने बड़ा निर्माण किया है। टकराव वाली जगहों से सेना हटाने को लेकर चल रही बातचीत के बीच चीन अपनी उपस्थिति लगातार मजबूत कर रहा है। उसने भारत के इलाके में अतिरिक्त सैन्य कैंप स्थापित किए हैं।"
दूसरी तरफ भारत का मानना है कि शांति बहाली के लिए सभी टकराव वाली जगहों से सेना पीछे हटाना जरूरी है।
तनाव
देपसांग से सेना वापसी पर सहमति नहीं- रिपोर्ट्स
दोनों देशों के बीच हुए समझौते के बाद भारत और चीन ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से अपनी सेनाओं को पीछे हटा लिया है।
हाल ही में खबरें आई थीं कि दोनों देश गोगरा और हॉट स्प्रिंग से सेना हटाने के तैयार हैं, लेकिन देपसांग और डेमचोक को लेकर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है।
अधिकारियों का कहना है कि देपसांग से चीन को सेना हटाने के लिए सहमत करना सबसे पेचीदा काम होने वाला है।
बातचीत
देपसांग पर होगा अगली बातचीत का फोकस- रक्षा अधिकारी
रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अब बातचीत का फोकस देपसांग के मैदानी इलाके, हॉट स्प्रिंग और गोगरा पर सेना हटाने की प्रक्रिया को दोबारा शुरू करने पर है।
उन्होंने कहा कि देपसांग भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। समाधान निकालने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी है।
बता दें कि दोनों देश पिछले साल जुलाई में गोगरा और हॉट स्प्रिंग से तनाव कम करने को तैयार हुए थे, लेकिन चीन ने वादाखिलाफी कर दी।
भारत-चीन वार्ता
विशेषज्ञों ने समझौते पर उठाए सवाल
बताया जा रहा है कि चीन ने लंबे समय से भारतीय सुरक्षाबलों को देपसांग के पेट्रोलिंग प्वाइंट 10, 11, 11A, 12 और 13 पर पेट्रोलिंग से रोका हुआ है।
पूर्व सेना अधिकारियों और विशेषज्ञों ने इस पर सवाल उठाया है कि भारत ने देपसांग पर सहमति बने बिना सेना पीछे हटाने का समझौता किस जल्दबाजी में लिया है। उनका कहना है कि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देपसांग में चीनी मौजूदगी भारत के लिए असहज करने वाली है।
जानकारी
2013 में भी इस इलाके में चीन ने की थी घुसपैठ
बता दें कि चीनी सैनिकों ने अप्रैल, 2013 में इस इलाके में प्रवेश करते हुए अपने टेंट बना लिए थे। इसके बाद लगभग तीन हफ्ते तक दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के आमने-सामने रहे थे और राजनयिक बातचीत के बाद चीनी सैनिक पीछे लौट गए थे।
इस घटना के बाद भारत ने बॉटलनेक पर एक नया बेस बना लिया था। हालांकि इसके बावजूद सितंबर, 2015 में चीन का एक गश्ती दल अंदर घुसने में कामयाब रहा था।