चांद के नमूनों का क्या करेगा चीन? जानिये चांग ई-5 मिशन से जुड़ी अहम बातें
लगभग चार दशक बाद चीन पहली बार चांद की मिट्टी के नमूने धरती पर लाने में कामयाब हुआ है। चीन का चांग ई-5 स्पेसक्राफ्ट चांद से मिट्टी के नमूने लेकर गुरुवार को धरती पर पहुंचा। चीन से पहले केवल अमेरिका का अपोलो और सोवियत संघ का लूना ऐसे अभियान में सफल हो पाया है। इस अभियान को काफी जटिल बताया जा रहा था। इसमें सफल होना चीन की बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
24 नवंबर को लॉन्च किया था अभियान
चांग ई-5 अभियान को 24 नवंबर को वेनचांग स्टेशन से लॉन्च किया गया था और यह 1 दिसंबर को चांद की सतह पर पहुंचा। एक लैंडिंग मॉड्यूल, एसेंट मॉड्यूल, एक ऑर्बिटल मॉड्यूल और एक रिएंट्री मॉड्यूल समेत इस अभियान के चार हिस्से थे। सौर ऊर्जा की मदद से चलने वाले ये स्पेसक्राफ्ट कुछ समय के लिए चांद पर रुके, वहां से नमूने इकट्ठे किए और बीते रविवार को पृथ्वी पर वापसी के लिए सफर शुरू किया।
चांग ई-5 स्पेसक्राफ्ट धरती पर कब पहुंचा?
एक सप्ताह तक चांद की कक्षा में चक्कर लगाने के बाद स्पेसक्राफ्ट ने वापसी का सफर शुरू किया और गुरुवार रात डेढ़ बजे मंगोलिया के भीतरी इलाके में उतर गया। बाकी स्पेसक्राफ्ट से अलग होने के बाद कैप्सूल पैराशूट की मदद से लैंड कर गया।
स्पेसक्राफ्ट ने चांद से नमूने कैसे इकट्ठा किए?
आठ टन से अधिक वजन वाले स्पेसक्राफ्ट ने 1 दिसंबर को निर्धारित जगह के करीब सॉफ्ट लैंडिंग की थी। नमूने इकट्ठा करने के लिए अभियान के तहत भेजे गए लैंडर में कैमरा, राडार, ड्रिल और स्पेक्ट्रोमीटर लगाया गया था। ड्रिल की मदद से मिट्टी और पत्थर के टुकड़े किए गए और फिर इन्हें कैप्सूल में खींच लिया गया। ये नमूने अमेरिका और सोवियत संघ द्वारा लाए गए नमूनों से कई लाख साल नए हो सकते हैं।
चीन ने ये नमूने क्यों इकट्ठे किए हैं?
चांग ई-5 स्पेसक्राफ्ट चांद पर स्थित मॉन्स रूमकेर नामक जगह से लगभग दो किलोग्राम नमूने लेकर धरती पर लौटा है। इस अभियान का मकसद चांद के 'ओशेनियस प्रोसेलिरम' नामक हिस्से की जानकारी जुटाना है। माना जाता है कि चांद का यह हिस्सा बाकी सतह से चिकना है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सतह के इस अंतर की वजह ज्वालामुखी से जुड़ी गतिविधियां हो सकती हैं। इनकी मदद से वैज्ञानिकों चांद की बेहतर समझ विकसित करने में मदद मिलेगी।
चीन इन नमूनों का क्या करेगा?
चीन ने इन नमूनों के विश्लेषण के लिए एक लैब स्थापित की है। इसमें चांद से लाए गई मिट्टी और पत्थर के टुकड़ों की उम्र और सरंचना का विश्लेषण किया जाएगा। चीन इसके नतीजे दूसरे देशों के साथ भी साझा करेगा। जानकार यह भी बताते हैं कि नमूनों से चांद के भूविज्ञान के इतिहास के साथ-साथ वैज्ञानिकों को क्रोनोमीटर तैयार करने में भी मदद मिलेगी। क्रोनोमीटर से सौरमंडल में मौजूद ग्रहों की सतहों की उम्र का अंदाजा लगाया जाता है।