#NewsBytesExplainer: हिंसा से लेकर बहिष्कार तक, कैसा रहा है बांग्लादेश के चुनावों का इतिहास?
क्या है खबर?
बांग्लादेश में 7 जनवरी को आम चुनाव होने जा रहे हैं। यहां पिछले 11 चुनावों में से केवल 4 को 'स्वतंत्र और निष्पक्ष' माना गया, जबकि अन्य चुनावों के दौरान हिंसा, विरोध प्रदर्शन और जमकर धांधली हुई।
इस बार भी विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने चुनाव का बहिष्कार किया है। यहां हिंसा की आशंकाओं के बीच चुनाव के लिए भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है।
आइए बांग्लादेश के विवादास्पद चुनावी इतिहास पर एक नजर डालते हैं।
पहला चुनाव
1973 के पहले चुनाव में अवामी लीग की हुई जीत
1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश एक आजाद देश बना और तब अवामी लीग के नेता मुजीबुर रहमान को देश की सत्ता सौंपी गई थी। बांग्लादेश में 7 मार्च, 1973 पहला आम चुनाव हुआ था।
चुनाव में प्रबल जीत का दावेदार होने के बावजूद अवामी लीग ने विपक्षी नेताओं के अपहरण की साजिश रची और बूथ कैप्चरिंग तक की। पहला चुनाव ही विवादों में घिर गया था। तब पार्टी की 300 में से 293 सीटों पर जीत हुई थी।
चुनाव
1979 से 1980 तक भी रहा एकदलीय शासन
1975 में अवामी लीग नेता मुजीबुर की हत्या कर दी गई और बांग्लादेशी सेना ने अगले डेढ़ दशक तक सत्ता संभाली। 1978 से 1979 के बीच पूर्व सेना प्रमुख जियाउर रहमान के नेतृत्व में संसदीय चुनाव हुए थे।
उन्होंने ही बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की नींव रखी थी। उन्हें देश में बहुदलीय प्रणाली स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है, लेकिन उनका शासन में भी एकदलीय ही रहा था।
इस बीच मुजीबुर की तरह जियाउर की भी हत्या हो गई।
तख्तापलट
1981 के चुनाव, तख्तापलट और इरशाद का इस्तीफा
जियाउर की हत्या के बाद उनके डिप्टी अब्दुस सत्तार ने 15 नवंबर, 1981 में आम चुनाव कराए। चुनाव में BNP ने 65 प्रतिशत वोट के साथ फिर से जीत हासिल की।
1982 में तत्कालीन सेना प्रमुख हुसैन मुहम्मद इरशाद ने तख्तापलट कर सत्ता संभाली। सैन्य शासन के बीच 7 मई, 1986 को आम चुनाव और फिर 15 अक्टूबर, 1986 को राष्ट्रपति चुनाव भी हुआ।
एक लंबे जनांदोलन के बाद 1990 में इरशाद को अपने पद से इस्तीफा देने पड़ा।
कार्यवाहक
1991 में अंतरिम कार्यवाहक सरकार में चुनाव
बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश और भावी राष्ट्रपति शहाबुद्दीन अहमद के नेतृत्व वाली कार्यवाहक सरकार के तहत देश की सभी प्रमुख पार्टियों ने 27 फरवरी, 1991 के चुनावों में भाग लिया।
पहली बार बांग्लादेश में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाए हुए, जिसमें खालिदा जिया (जियाउर की पत्नी) के नेतृत्व में BNP को मामूली जीत मिली और शेख हसीना (मुजीबुर की बेटी) के नेतृत्व वाली अवामी लीग को हार का सामना करना पड़ा।
विवाद
1996 का चुनाव भी विवादों में रहा
1994 में उपचुनावों में सत्तारूढ़ BNP और अवामी लीग के बीच तनाव बढ़ गया। 15 फरवरी 1996 को हुए आम चुनाव का सभी विपक्षी पार्टियों ने बहिष्कार कर दिया।
ये चुनाव BNP ने निर्विरोध जीता, लेकिन BNP की सरकार महज 12 दिन तक चली।
12 जून, 1996 को कार्यवाहक सरकार में नए चुनाव हुए, जिसमें हसीना के नेतृत्व में अवामी लीग की जीत हुई। उस वक्त चुनाव में अवामी लीग ने 146, जबकि BNP ने 116 सीटें जीती थीं।
2001
2001 चुनाव में हिंसा और BNP की सत्ता में वापसी
2001 में एक बार फिर कार्यवाहक सरकार के तहत चुनाव हुए। तब पहली बार किसी निवार्चित सरकार ने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया था।
इस चुनाव में BNP ने 40 प्रतिशत वोट के साथ 193 सीटें जीतीं, जबकि अवामी लीग ने हिस्से केवल 62 सीटें आईं।
BNP और बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व वाले गठबंधन में जिया ने सरकार संभाली। इस चुनाव से पहले भी जमकर हिंसा हुई और अवामी लीग समर्थकों और अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया गया था।
राजनीतिक संकट
2007 के दंगे आपातकाल और अवामी लीग की जीत
राजनीतिक संकट के चलते 2006 में चुनाव नहीं हुए। इस वजह से तत्कालीन राष्ट्रपति इयाजुद्दीन अहमद ने खुद को कार्यवाहक सरकार का नेता घोषित कर दिया और घोषणा की कि जनवरी 2007 में चुनाव होंगे।
इसके बाद देश में दंगे भड़क उठे और जमकर हिंसा हुई और राष्ट्रपति ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी। दिसंबर, 2008 में हुए चुनाव का अवामी लीग ने बहिष्कार किया।
इस चुनाव में हसीना के नेतृत्व वाले अवामी लीग गठबंधन की जीत हुई।
चुनाव
कार्यवाहक सरकार का प्रावधान खत्म और 2014 का चुनाव
2011 में प्रधानमंत्री हसीना ने चुनाव निगरानी के लिए कार्यवाहक सरकार के प्रावधान को समाप्त कर दिया। BNP के विरोध के बावजूद यह प्रस्ताव पास हो गया और चुनाव में खूब धांधली होने लगी।
5 जनवरी, 2014 के आम चुनाव से पहले हसीना सरकार ने BNP नेता जिया को घर में नजरबंद कर दिया गया था। तब भी BNP समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने चुनाव का बहिष्कार किया।
चुनाव में हसीना की अवामी लीग ने 234 सीटें हासिल की थीं।
2018
विपक्ष ने 2018 चुनाव में भी लगाया धांधली का आरोप
2018 के बांग्लादेश चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से चुनाव हुआ था, लेकिन BNP ने अन्य विपक्षी पार्टियों ने सत्तारूढ़ अवामी लीग पर चुनाव में धांधली का आरोप लगाया।
विपक्ष ने कहा कि चुनाव से पहले उनके नेताओं और समर्थकों को झूठे आरोपों में फंसाकर जेलों में ठूंस दिया गया। चुनाव से दिन से पहले मोबाइल इंटरनेट भी बंद कर दिया था।
उसका आरोप है कि सरकार ने दमनकारी खबरों को छुपाने के लिए इंटरनेट बंद कर दिया था।
न्यूजबाइट्स प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी एक रिपोर्ट में चुनाव से पहले विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की पुष्टि की है।
इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश में राजनीतिक विरोधियों के अलावा 2009 के बाद हिरासत में हत्या और अपहरण के सैकड़ों मामले सामने आए हैं।
यहां मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर पश्चिमी देशों के कई नेता चिंता जता चुके हैं, जबकि अमेरिका ने बांग्लादेश पर कुछ सीमित प्रतिबंध लागू किए हुए हैं।