बच्चों में स्वार्थ की भावना पनपने से रोकने के लिए अपनाएं ये 5 पेरेंटिंग टिप्स
कुछ बच्चों के अंदर खुद के प्रति बहुत लगाव होता है। वह सिर्फ अपनी चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की कोशिश करते हैं और उन्हें दूसरों की भावनाओं की कोई परवाह नहीं होती। ऐसी भावनाएं रखने वाले बच्चे बड़े होकर स्वार्थी बन जाते हैं। यह एक तरह का नार्सिसिस्ट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर होता है। आज हम आपको ऐसी पांच पेरेंटिंग टिप्स के बारे में बताएंगे, जिनकी मदद से आप अपने बच्चे के अंदर स्वार्थ की भावना आने से रोक सकते हैं।
बच्चों को न करें शर्मसार
कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों की तुलना दूसरों से करके उन्हें शर्मसार महसूस कराते हैं या फिर कोई नकारात्मक टिप्पणी कर देते हैं। ऐसा करना बिल्कुल गलत है। इससे बच्चे के अंदर नकारात्मक विचार और भावनाएं उत्पन्न हो जाती हैं। इसके बाद फिर वह अपनी मनमानी और जिद करने लगते हैं। बड़े होने के बाद जब कोई उनकी आलोचना या हानि करता है तो इसकी वजह से उनके अंदर बेहद खराब भाव का गुस्सा नजर आने लगता है।
बच्चों को बगैर किसी शर्त के प्यार दें
कुछ लोग बच्चों से प्यार करने के लिए उनके सामने अच्छा प्रदर्शन करने की शर्त रखते हैं। इससे बच्चे प्यार पाने और खुद को काबिल साबित करने के लिए गलत तरीके को भी अपनाने लग जाते हैं। ऐसे बच्चे असफलता से डरते हैं और इसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। अपने बच्चे को इससे बचाने के लिए आपको हमेशा उनकी काबिलत को निखारने की कोशिश करनी चाहिए। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
दूसरों के प्रति सहानुभूति रखना सिखाएं
बच्चे जब थोड़े बड़े होने लगते हैं, तब अक्सर पेरेंट्स उन्हें दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखाने की अहमियत नहीं बताते हैं। कभी-कभी तो पेरेंट्स खुद बच्चों के सामने आपस में ही गलत व्यवहार करने और गलत तरीके से पेश आने लगते हैं। इसके कारण बच्चों के अंदर भी सहानुभूति और दया का भाव खत्म हो जाता है। इसलिए बच्चों को हमेशा अपने से बड़े और छोटे लोगों से प्यार, दया और संवेदना का व्यवहार करना सिखाना चाहिए।
सही समय पर टोकना है जरूरी
स्वार्थी भाव वाले बच्चे अपनी गलत हरकत को छिपाने या सही साबित करने के लिए पेरेंट्स से भी झूठ बोलना शुरू कर देते हैं। कभी कोई गलती पकड़े जाने पर बच्चे भावनात्मक तरीके से पेरेंट्स को अपनी बात समझाने की कोशिश भी करते हैं। उस समय बच्चे की नादानी समझ कर पेरेंट्स उन्हें कुछ नहीं कहते, जो गलत बात है। पेरेंट्स के लिए बच्चे को तुरंत सही और गलत की पहचान करवाना बहुत जरूरी होता है।
बच्चों के सवालों का दें सही जवाब
आसपास हो रही घटनाओं के बारे में सुनकर बच्चे अक्सर पेरेंट्स से कुछ न कुछ सवाल करते रहते है, लेकिन कुछ माता-पिता उनकी बातों को टाल देते हैं और सच नहीं बताते। पेरेंट्स को चाहिए कि जब भी बच्चे कोई भी सवाल पूछें तो उन्हें सही जवाब दें और सच बताएं। इससे वो गलत जानकारी के शिकार नहीं बनेंगे। बच्चों का मन कोमल होता है, उन्हें आप जितना सही और सच बताएंगे, वो भी उतना ही आपको भी सच बताएंगे।