कोरोना वायरस के कारण प्रभावित हुईं 90 प्रतिशत देशों की नियमित स्वास्थ्य सेवाएं- सर्वे
क्या है खबर?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल में दुनियाभर के देशों की स्वास्थ्य सेवाओं पर कोरोना वायरस के प्रभाव को लेकर हुए एक सर्वे को प्रकाशित किया था।
इसमें 105 देशों की रिपोर्ट को शामिल किया गया है। मार्च से जून के बीच जुटाए गए इन आंकड़ों से पता चला है कि कोरोना वायरस के कारण लगभग 90 प्रतिशत देशों की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
कम और मध्यम आय वाले देशों को ज्यादा कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है।
सर्वे
अधिकतर देशों की नियमित स्वास्थ्य सेवाएं हुईं ठप्प
अधिकतर देशों ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण उनकी नियमित स्वास्थ्य सेवाएं ठप्प हो गईं।
कम आय वाले देशों में कैंसर और HIV जैसी खतरनाक और गंभीर बीमारियों के इलाज और इनसे जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बुरा असर पड़ा है।
संगठन के प्रमुख ने बताया, "यह सर्वे न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य तंत्र की खामियों को उजागर करता है बल्कि यह भी बताता है कि महामारी और उसके बाद स्वास्थ्य सेवाओं को कैसे बेहतर किया जा सकता है।"
बयान
"दुनिया के लिए सबक होना चाहिए कोरोना वायरस"
संगठन के महानिदेश डॉक्टर टेड्रोस अधनोम गैब्रेयसस ने कहा, "कोरोना वायरस दुनिया के लिए एक सबक होना चाहिए। हमें आपातकालीन स्थितियों को लेकर तैयारी करनी चाहिए। इसके साथ ही स्वास्थ्य तंत्र में भी निवेश करना चाहिए ताकि यह लोगों की जरूरतों की पूर्ति करता रहे।"
कोरोना संकट
आपातकालीन ऑपरेशनों पर भी पड़ा महामारी का असर
सर्वे में सामना आया है कि कोरोना वायरस के कारण अन्य सभी तरह की नियमित स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
देशों में घर-घर जाकर टीकाकरण करने की प्रक्रिया 70 प्रतिशत, टीकाकरण की संस्थागत सेवाएं 61 प्रतिशत, परिवार नियोजन और गर्भनिरोधक की प्रक्रिया 68 प्रतिशत, मानसिक बीमारियों का इलाज (61 प्रतिशत), कैंसर का इलाज (55 प्रतिशत), गैर-संचारी रोग निदान और उपचार 69 प्रतिशत तक प्रभावित हुआ है।
19 प्रतिशत देशों में आपातकालीन ऑपरेशन भी कोरोना के कारण प्रभावित हुए।
सर्वे
स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने के हो सकते हैं नुकसान
इनके अलावा मलेरिया निदान और उपचार की प्रक्रिया 46 प्रतिशत, टीबी निदान और उपचार 42 प्रतिशत तक प्रभावित हुआ है।
कुछ जगहों पर सरकारी नियमों के चलते दंत चिकित्सा जैसी स्वास्थ्य सेवाओं को जानबूझकर बंद किया गया था।
इन सब सेवाओं के बंद या इन पर असर पड़ने से बड़ी आबादी प्रभावित हुई है, जिसके लघु- मध्यम और दीर्घकालिक असर देखने को मिल सकते हैं।
मसलन किसी बीमारी का समय पर इलाज न मिलने से वह बदतर होती जाएगी।
कारण
किन वजहों से हुआ असर?
नियमित सेवाओं में बाधा आने की कई वजह हैं। 76 प्रतिशत देशों में लॉकडाउन और दूसरी वित्तीय परेशानियों के चलते OPD मरीज अस्पतालों से दूर रहे।
दूसरी तरफ पहले इलेक्टिव सेवाओं को भी लॉकडाउन और दूसरी वजहों से रद्द कर दिया गया।
इनके अलावा बाकी कारणों में नियमित सेवाओं में तैनात डॉक्टरों और कर्मचारियों को कोरोना वायरस से जुड़ी ड्यूटी देना, अस्पतालों के बंद होने, मेडिकल उपकरणों और स्वास्थ्य उत्पादों की आपूर्ति बाधित होना शामिल हैं।
कोरोना संकट
भारत में भी स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित
संगठन की तरफ से यह सर्वे 159 देशों में किया गया था। इनमें से 105 ने अपने जवाब संगठन को भेजे। इस सर्वे का उद्देश्य 25 अनिवार्य स्वास्थ्य सेवाओं पर कोरोना वायरस के असर और अलग-अलग देशों द्वारा इन सेवाओं को जारी रखने के लिए अपनाई जा रही रणनीति के बारे में जानकारी लेना था।
बाकी देशों की तरह भारत में भी नियमित स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। आप यहां टैप कर इस बारे में जान सकते हैं।