'सिक्सर किंग' युवराज सिंह: बल्ले की 'दहाड़' से लेकर संन्यास के समय आंखो में 'आंसुओ' तक
दुनियाभर में 'सिक्सर किंग' के नाम से मशहूर भारतीय टीम के पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज़ युवराज सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट और घरेलू क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। युवराज को 'पूर्व' भारतीय क्रिकेटर लिखना भी जैसे दिल पे पत्थर रखने जैसा है। साल 2000 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखने के बाद लगभग 17 साल क्रिकेट खेलने वाले युवराज ने भारत को 2011 विश्व कप समेत कईं सुनहरे पल दिए हैं। आइये जानें उनके क्रिकेट करियर के कुछ बड़े पल।
युवराज को बयां कर सकते हैं उनके करियर के ये सुनहरे पल
अपने क्रिकेटिंग करियर में युवराज ने कई चमत्कारिक पारियां खेली, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में युवी को पहचान 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट सीरीज़ में मिली, जब युवी ने भारत को हारी हुई बाज़ी जिता दी थी। उसके बाद 2007 टी-20 विश्व कप में युवराज ने 6 गेंदो में 6 छक्के लगाकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया था। साथ ही भारत को 2011 में दूसरी बार विश्व चैंपियन बनाने में युवी का अहम योगदान रहा था।
13 साल की उम्र में युवराज ने भर दी थी हुंकार
12 दिसंबर, 1981 को चंडीगढ़ में जन्में युवराज ने मात्र 13 साल की उम्र में अंडर-16 क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया था। 1996-97 में पंजाब के लिए अंडर-19 मैच में युवी ने 137 रनों की शानदार पारी खेली थी। लेकिन युवी के करियर को बयां करने वाली उनकी पारी धोनी की टीम बिहार के खिलाफ आई थी, जब उन्होंने 358 रन बनाए थे। 2000 अंडर-19 विश्व कप में युवी 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' रहे थे, जिसे भारत ने जीता था।
युवराज ने 2000 में किया था अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू
कैफ की कप्तानी में 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' का खिताब जीत कर भारत को अंडर-19 विश्व कप जिताने वाले युवराज ने 2000 में महज़ 18 साल की उम्र में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था। पहले ही मैच में युवी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 84 रनों की शानदार पारी खेली थी। इसके बाद 2002 में नेटवेस्ट सीरीज़ में युवी ने कैफ के साथ हारा हुआ मैच जिताया था। 2003 में बांग्लादेश के खिलाफ युवी ने अपना पहला शतक बनाया था।
टी-20 क्रिकेट को युवराज ने दिलाई है एक अलग पहचान
टी-20 क्रिकेट को क्रिकेट का सबसे लोकप्रिय फॉर्मेट बनाने में युवराज का अहम योगदान रहा है। क्रिकेट के इस सबसे छोटे फॉर्मेट को युवी ने जल्द ही समझा और दूसरों के सामने कई मिसाल पेश की। टी-20 क्रिकेट का नाम आते ही सभी के ज़ेहन में युवी के 6 गेंदो पर 6 छक्के याद आ जाते हैं। जो उन्होंने 2007 विश्व कप में लगाए थे। युवराज सिंह 2007 टी-20 विश्व कप में भी प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुने गए थे।
IPL में पंजाब के सबसे सफल खिलाड़ियों में से एक हैं युवराज
टी-20 क्रिकेट में अपार सफलता दर्ज करने के बाद युवी IPL के पहले सीज़न में पंजाब के लिए खेले थे। IPL 2008 और 2009 में युवराज ने किंग्स इलेवन पंजाब के लिए कप्तानी भी की है। IPL में एक मैच में विकेट की हैट्रिक और पचास रन बनाने वाले युवी इकलौते खिलाड़ी हैं। बतौर खिलाड़ी युवी दो बार IPL का खिताब जीतने वाली टीम का हिस्सा रह चुके हैं। IPL में युवी के नाम 2,750 रन और 36 विकेट हैं।
विश्व कप 2011 के हीरो
युवराज सिंह ने विश्व कप 2011 में गेंद और बल्ले दोनों से शानदार प्रदर्शन किया था। युवराज के इस प्रदर्शन के लिए उन्हें 'मैन ऑफ द सीरीज़' का खिताब मिला था। युवराज ने विश्व कप के 9 मैचों में 362 रन और 15 विकेट लिए थे। नॉक आउट मैच में वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ उनकी शतकीय पारी को भला कौन क्रिकेट फैन भूल सकता है। युवराज ने भारत को 2007 टी-20 विश्व कप जिताने में भी अहम योगदान दिया था।
कैंसर के बाद दमदार वापसी
कहते हैं कि अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो सारी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है। युवराज के क्रिकेट के प्रति प्रेम और जुनून को देखते हुए यह कहावत उन पर बिल्कुल फिट बैठती है। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को मात देने के बाद क्रिकेट के मैदान पर वापसी कर युवराज सिंह ने इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 में 26 गेंदो पर 34 रनों की पारी खेलकर, सभी की आंखो को नम कर दिया था।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने पर भावुक हुए युवराज सिंह
अपने क्रिकेट करियर को अलविदा कहते हुए युवराज भावुक हो गए। उन्होंने कहा, "मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आए। लेकिन 2011 विश्व जीतना सबसे यादगार पल था। मैंने विश्व कप जीत कर अपने पिता का सपना पूरा किया।"
'क्रिकेट' हमेशा युवराज को करेगा मिस
सिर्फ भारतीय क्रिकेट टीम ही नहीं जेंटलमैन का गेम कहा जाने वाला ये खेल भी हमेशा युवराज को हमेशा मिस करेगा। भारतीय टीम में युवराज की कमी हमेशा खलेगी। जब से युवराज टीम से गए हैं। अभी तक भारत को युवी जैसे ऑलराउंडर की तलाश है। युवराज ने अपने 17 साल के करियर में भारत को अपने ऑलराउंड प्रदर्शन से अकेले दम पर कई मैच जिताए हैं। टी-20 क्रिकेट को वर्ल्ड फेमस बनाने में भी युवी का अहम योगदान है।