अपने पहले ही ओलंपिक में इन भारतीय खिलाड़ियों ने जीते थे पदक
पेरिस ओलंपिक की आधिकारिक शुरुआत 26 जुलाई को होनी है। इस बार भारत के 100 से अधिक खिलाड़ियों का दल 16 खेलों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है। अब तक के ओलंपिक इतिहास में भारत ने कुल 35 पदक जीते हैं और पेरिस खेलों के जरिए भारतीय खिलाड़ी इस पदक तालिका में इजाफा करना चाहेंगे। इस बीच अपने पहले ओलंपिक में ही पदक जीतने वाले भारतीय खिलाड़ियों के बारे में जानते हैं।
पेरिस ओलंपिक 1900 में नॉर्मन प्रिचर्ड ने जीते थे ऐतिहासिक पदक
भारत ने पहली बार 1900 में पेरिस ओलंपिक में भाग लिया, जिसमें नॉर्मन प्रिचर्ड ने एथलेटिक्स में 2 रजत पदक (पुरुषों की 200 मीटर और पुरुषों की 200 मीटर बाधा दौड़) जीते थे। वह ओलंपिक में भारत के पहले पदक विजेता बने थे। इसके साथ ही भारत ओलंपिक पदक जीतने वाला पहला एशियाई देश बन गया था। प्रिचर्ड देश के लिए एक से अधिक ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय (ब्रिटिश-भारतीय) एथलीट थे।
अपने पहले ही संस्करण में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जीता था स्वर्ण
ओलंपिक खेलों का नौवां संस्करण नीदरलैंड के एम्स्टर्डम में हुआ, जिसमें पहली बार भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने हिस्सा लिया था। ब्रिटिश अधीन भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक के लिए मुकाबले में मेजबान नीदरलैंड को 3-1 से हराया था। उस मुकाबले में भारत की ओर से ध्यान चंद ने 2 और जॉर्ज मार्टिन्स ने 1 गोल किया था। दिलचस्प रूप से भारतीय हॉकी ने 1928 से 1956 के बीच ओलंपिक में लगातार 6 स्वर्ण पदक जीतकर कीर्तिमान स्थापित किया था।
2000 में कर्णम मल्लेश्वरी और 2004 में राज्यवर्धन सिंह राठौर ने जीते थे पदक
साल 2000 में सिडनी में ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ था, जिसमें भारत की भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी ने इतिहास रच दिया था। वह ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थी। उन्होंने भारोत्तोलन में 240 किलो का भार उठाते हुए कांस्य पदक जीता था। राज्यवर्धन सिंह राठौर निशानेबाजी में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय हैं। वह व्यक्तिगत रजत पदक जीतने वाले भी पहले भारतीय हैं। उन्होंने 2004 में यह उपलब्धि हासिल की थी।
मुक्केबाज मैरी कॉम और निशानेबाज विजय कुमार ने जीते पदक
ओलंपिक में पुरुष मुक्केबाजी 1904 के संस्करण से होती रही है, लेकिन महिला मुक्केबाजी पहली बार 2012 में देखने को मिली थी। इन वैश्विक खेलों में पहली बार हिस्सा लेते हुए मैरी कॉम ने 51 किग्रा भारवर्ग में प्रतिस्पर्धा करते हुए कांस्य पदक पर कब्जा जमाया था। वहीं, लंदन खेलों में ही विजय कुमार ने अपना ओलंपिक डेब्यू किया था। उन्होंने रेपिड फायर पिस्टल 25 मीटर में रजत पदक अपने नाम किया था।
रियो में पीवी सिंधु और साक्षी मलिक ने रचा था इतिहास
2016 में खेले गए रियो ओलंपिक में भारतीय बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने पहली बार हिस्सा लिया था। अपने पहले संस्करण में ही उन्होंने रजत पदक हासिल किया था। वह स्वर्ण पदक के मुकाबले में स्पेन की कैरोलिना मारिन से हार गई थी। 2016 में ही पहलवान साक्षी मलिक ने 58 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक पर अपना कब्जा जमाया था। साक्षी ने कांस्य पदक के लिए मुकाबले में तत्कालीन एशियाई चैंपियन ऐसुलु टाइनीबेकोवा को 8-5 से हराया था।
2020 में रवि दहिया और बजरंग पूनिया ने जीते थे पदक
टोक्यो ओलंपिक में रवि कुमार दहिया ने 57 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती के फाइनल में जगह बनाई थी। स्वर्ण पदक के लिए हुए फाइनल में हारने के कारण उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा था। वह कुश्ती में रजत जीतने वाले केवल दूसरे भारतीय पहलवान बने थे। कुश्ती में पदक के लिए सबसे बड़ी उम्मीद माने जाने वाले बजरंग पूनिया ने भी 65 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक पर कब्जा जमाया था।
नीरज चोपड़ा ने जीता ऐतिहासिक स्वर्ण
टोक्यो ओलंपिक के खत्म होने से एक दिन पहले भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन आया था। भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने भारत के इतिहास में सिर्फ दूसरा व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर का भाला फेंकते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था। चोपड़ा ने भारत को स्वतंत्रता (1947) के बाद एथलेटिक्स में पहला पदक भी दिलाया। पेरिस ओलंपिक में भी उनसे उम्मीदें रहने वाली हैं।
टोक्यो ओलंपिक में लवलीना बोरगोहेन में जीता था कांस्य
लवलीना बोरगोहेन ने 2020 के टोक्यो खेलों में अपना ओलंपिक पदार्पण किया था। असम की वेल्टरवेट मुक्केबाज ने महिलाओं के 69 किग्रा वर्ग में भाग लिया और प्रभावशाली प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई किया था। बोरगोहेन नॉक-आउट मैच में तुर्की की विश्व चैंपियन बुसेनाज सुरमेनेली से हार गईं थी, इसलिए उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था। बुसेनाज ने ही उस वर्ग का स्वर्ण पदक जीता था।