आज ही के दिन कपिल देव ने खेली थी 1983 विश्वकप में 175* रनों की पारी
पूर्व भारतीय कप्तान और विश्व के बेहतरीन ऑलराउंडर्स में से एक कपिल देव के लिए 18 जून की तारीख काफी यादगार है। भारत को पहला विश्वकप जिताने वाले कप्तान कपिल देव ने आज ही के दिन जिम्बाब्वे के खिलाफ अपनी मशहूर नाबाद 175 रनों की पारी खेली थी। कपिल की इसी पारी के कारण भारत टूर्नामेंट में खुद को बनाए रख सका था और फिर बाद में चैंपियन बना था। जानिए कैसा रहा था इस मैच का हाल।
बेहद खराब रही थी भारत की शुरुआत
1983 विश्वकप में जिम्बाब्वे के खिलाफ पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम की हालत बेहद खराब थी। शून्य पर सूनील गावस्कर का विकेट गंवाने के बाद भारत लगातार झटके खाता रहा। भारतीय टीम ने नौ रन के स्कोर पर अपने चार विकेट गंवा दिए थे और तब कप्तान कपिल देव को बल्लेबाजी के लिए मैदान में आना पड़ा था। 17 के स्कोर पर भारत ने यशपाल शर्मा के रूप में अपना पांचवां विकेट गंवाया।
एक छोर थामकर खड़े हो गए कपिल
पांचवां विकेट गिरने के बाद कपिल का साथ देने ऑलराउंडर रोजर बिन्नी मैदान में पहुंचे। दोनों ने मिलकर छठे विकेट लिए 60 रनों की साझेदारी की और भारत की पारी को संभालने का काम किया। हालांकि, एक रन के अंतर में दो विकेट गंवाकर भारत का स्कोर सात विकेट के नुकसान पर 78 रन हो गया। इसके बाद कपिल ने मदन लाल (17) के साथ आठवें विकेट के लिए 62 रनों की साझेदारी की।
किरमानी के साथ नौवें विकेट के लिए की नाबाद 126 रनों की साझेदारी
विकेटकीपर बल्लेबाज सैयद किरमानी नौवे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए आए और 24 रन बनाकर नाबाद रहे। किरमानी ने केवल 24 रन ही बनाए, लेकिन कपिल के साथ उनकी साझेदारी 126 रनों की रही। भारत के लिए 9,000 से ज्यादा इंटरनेशनल रन और 448 विकेट लेने वाले कपिल की बल्लेबाजी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इस मैच में किरमानी के साथ साझेदारी में 80 प्रतिशत रन बनाए थे।
भारत ने 31 रन से जीता था मैच
भारत ने 60 ओवरों में 266/8 का स्कोर खड़ा किया था। जवाब में जिम्बाब्वे की टीम 57 ओवरों में 235 के स्कोर पर ही सिमट गई थी। भारत के लिए मदन लाल ने सबसे ज़्यादा तीन विकेट हासिल किए थे।
कपिल ने अपनी पारी में बनाए कई रिकॉर्ड्स
कपिल ने अपनी पारी में 138 गेंदों का सामना करते हुए नाबाद 175 रनों की पारी खेली। उन्होंने अपनी पारी में 16 चौके और छह छक्के लगाए। यह किसी भारतीय द्वारा लगाया गया पहला वनडे शतक था। यह अब भी चार नंबर से नीचे बल्लेबाजी करने के लिए आने वाले किसी बल्लेबाज द्वारा खेली गई सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी है। कपिल की वह पारी उस समय विश्वकप की सर्वोच्च व्यक्तिगत पारी थी।