विश्व कप इतिहास में भारत के पांच सबसे बेहतरीन मैचों पर एक नज़र
ICC विश्व कप 2019 गुरुवार से शुरु हो रहा है और 2011 की चैंपियन भारतीय क्रिकेट टीम तीसरी बार इस खिताब को उठाने की भरपूर कोशिश करेगी। 1983 और 2011 में दो बार विश्व कप जीत चुकी भारतीय टीम को निरंतरता और सितारों से सजी टीम के कारण एक बार फिर फेवरिट माना जा रहा है। एक नज़र डालते हैं विश्व कप इतिहास में भारत के पांच सबसे बेहतरीन मैचों पर।
1983: कपिल देव ने जिम्बाब्वे के खिलाफ खेली अविश्वसनीय पारी
1983 विश्व कप में भारत ने अविश्वसनीय प्रदर्शन किया था और इसकी शुरुआत जिम्बाब्वे के खिलाफ हुई थी। भारत 17 रनों पर पांच विकेट गंवाकर संघर्ष कर रहा था, लेकिन कप्तान कपिल देव ने 138 गेंदों में 175 रनों की अदभुत पारी खेली और भारत को 266 रनों के स्कोर तक पहुंचाया। गेंदबाजी में भी कपिल देव ने मदन लाल के साथ मिलकर शानदार प्रदर्शन किया और भारत को मैच जिताया।
1983: दो बार के चैंपियन को मात देकर उठाया विश्व कप ट्रॉफी
जिम्बावे के खिलाफ विषम परिस्थितियों से निकलकर जीत हासिल करने के बाद भारतीय टीम का हौसला सातवें आसमान पर था। विश्व कप फाइनल में भारतीय फैंस को एक और थ्रिलर मुकाबला देखने को मिला। 183 रनों पर ऑल आउट हो जाने के बाद शायद ही किसी ने सोचा होगा कि भारतीय टीम चैंपियन बनेगी। एक बार फिर मदन लाल मुख्य गेंदहबाज रहे और उन्होंने मोहिंदर अमरनाथ के साथ दो बार की चैंपियन टीम वेस्टइंडीज को झटका दे दिया।
2003: चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को चौथी बार हराया
2003 विश्व कप में भारतीय टीम का सामना अपने चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान से हुआ। विश्व कप में भारत के खिलाफ तीन बार हार झेल चुकी पाकिस्तान इस बार जीत की उम्मीद में थी। पहले बल्लेबाजी करते हुए पाकिस्तान ने सईद अनवर के शानदार शतक की बदौलत 273 रनों का मजबूत स्कोर खड़ा किया था। हालांकि, सचिन तेंदुलकर ने 98 रनों की पारी खेलते हुए भारत को विश्व कप में चौथी बार पाकिस्तान पर जीत दिला दी।
2011: टाई रहा इंग्लैंड के खिलाफ हाई-स्कोरिंग मुकाबला
2011 विश्व कप में बेंगलुरु में इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय टीम ने गजब का थ्रिलर मुकाबला खेला था। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम ने सचिन तेंदुलकर के शानदार 120 रनों की पारी की बदौलत 339 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। चिन्नास्वामी की पिच बल्लेबाजों की मुफीद थी और इंग्लैंड ने भी इसका जमकर फायदा उठाया। कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस ने 158 रनों की बेहतरीन पारी खेली, लेकिन अंत में मुकाबला टाई रहा।
2011: दूसरी बार भारत ने जीता विश्व कप
डिफेंडिंग चैंपियन ऑस्ट्रेलिया समेत हर टीम को धूल चटाने के बाद 2011 विश्व कप फाइनल में भारत के सामने श्रीलंका के रूप में आखिरी चुनौती थी। फाइनल में श्रीलंका ने महेला जयवर्धने के 103 रनों की पारी की बदौलत 274 रनों का स्कोर खड़ा किया था। स्कोर का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को शुरुआती झटके लगे, लेकिन गौतम गंभीर की 97 रनों की पारी ने उन्हें संभाला और धोनी (91*) ने भारत को दूसरी बार विश्व विजेता बनाया।
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