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हरभजन सिंह ने ग्रेग चैपल के समय को भारतीय क्रिकेट का सबसे खराब दौर बताया

हरभजन सिंह ने ग्रेग चैपल के समय को भारतीय क्रिकेट का सबसे खराब दौर बताया

लेखन Neeraj Pandey
May 14, 2020
05:52 pm

क्या है खबर?

पूर्व ऑस्ट्रेलिया क्रिकेटर ग्रेप चैपल दो साल तक भारतीय क्रिकेट टीम के हेडकोच रह चुके हैं, लेकिन उनका पूरा समय विवादों से भरा रहा। उनके कोच रहने के दौरान ही सौरव गांगुली की कप्तानी गई थी और उन्हें टीम से भी बाहर कर दिया गया था। हाल ही में चैपल ने कहा था कि वह शुरुआती समय में धोनी को हवा में शॉट खेलने से मना करते थे। इस पर हरभजन ने काफी तीखी प्रतिक्रिया दी है।

बयान

चैपल अलग ही खेल खेल रहे थे- हरभजन

हरभजन ने चैपल के समय को सबसे खराब बताते हुए ट्विटर पर लिखा, "कोच ने धोनी को जमीनी शॉट खेलने को कहा क्योंकि वह खुद खिलाड़ियों को मैदान से बाहर फेंक रहे थे। वह अलग ही खेल खेल रहे थे।"

कार्यकाल

दो साल में ही चैपल ने छोड़ दिया था अपना पद

चैपल ने 2005 में भारतीय टीम के हेडकोच पद को संभाला था, लेकिन यहां आते ही उनकी सौरव गांगुली से तनातनी शुरु हो गई थी। आलम यह था कि कोच और कप्तान में बिल्कुल नहीं बनती थी और इसी कारण गांगुली की कप्तानी भी चली गई और उन्हें टीम से भी बाहर कर दिया गया। इसके बाद अप्रैल 2007 में चैपल ने अचानक अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था।

धोनी

धोनी के बारे में चैपल ने कहा था यह

Playwrite Foundation के फेसबुक पेज लाइव में चैपल ने कहा कि श्रीलंका के खिलाफ 183 रनों की नाबाद पारी के दौरान धोनी ने उन्हें फाड़कर रख दिया था। उन्होंने आगे कहा, "अगला मैच पुणे में था और मैंने धोनी से कहा कि क्यों नहीं तुम हर गेंद को हवा में उड़ाने की बजाय जमीन पर शॉट खेलते। धोनी ने पिछली पारी के एकदम उलट बल्लेबाजी की थी और छक्का लगाकर मैच फिनिश किया था।"

जानकारी

कोच के तौर पर ऐसा रहा चैपल का प्रदर्शन

चैपल की कोचिंग में भारत ने 18 में से सात टेस्ट जीते थे। चार में हार और सात ड्रॉ रहे थे। 62 वनडे मैचों में भारत को 32 में जीत और 27 में हार मिली थी जबकि तीन मैचों के निर्णय नहीं निकल सके थे।

टैक्टिस

चैपल की टैक्टिस से खासा नाराज थे भारतीय खिलाड़ी

सीनियर खिलाड़ियों से टकराव के अलावा चैपल की टैक्टिस से भी लोगों को काफी दिक्कत थी। चैपल ने इरफान पठान जैसे बेहतरीन स्विंग गेंदबाज को बल्लेबाजी में ऊपर भेजकर एकदम अलग ही प्रयोग किया था। इसके अलावा वह लगातार बल्लेबाजी क्रम से छेड़छाड़ करते रहते थे और इसका खामियाजा टीम को भुगतना पड़ता था। 1992 के बाद पहली बार 2007 में भारत विश्वकप के पहले राउंड में बाहर हुआ था।