#NewsBytesExplainer: चंद्रयान-3 अगर आज चांद पर नहीं उतर पाया तो ISRO के पास आगे क्या रास्ते?
क्या है खबर?
भारत का महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 चांद की सतह पर उतरने के लिए तैयार है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो आज शाम 6.04 बजे चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चांद की सतह पर उतर जाएगा।
इसकी संभावना बेहद कम है कि लैंडिंग में कुछ दिक्कतें आएं, लेकिन अगर ऐसा होता है तो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इससे निपटने के लिए विशेष तैयारी की है।
आइए जानते हैं कि आज अगर लैंडिंग असफल रही तो ISRO के पास क्या रास्ते हैं।
ISRO
चंद्रयान-3 के लैंडिंग में विफल होने की कितनी संभावना है?
ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा था कि इस बात की संभावना बहुत कम है कि चंद्रयान-3 अपने निर्धारित तारीख और समय पर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग से चूक जाए।
उन्होंने कहा था, "चंद्रयान-2 के साथ जो गलती हुई, उसे ध्यान में रखते हुए चंद्रयान-3 में सभी कमियों को दूर किया गया है। भले ही चंद्रयान-3 के सारे सेंसर फेल हो जाएं, दोनों इंजन बंद हो जाएं तो भी विक्रम लैंडिंग कर लेगा।"
इंजन
इंजन के काम नहीं करने पर भी हो सकेगी लैंडिंग
ISRO के मुताबिक, अगर सबकुछ फेल हो जाता है, सेंसर काम करना बंद कर देते हैं तो भी लैंडर चांद पर उतर जाएगा।
हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में सोमनाथ ने कहा, "कुछ भी काम नहीं करता है, फिर भी विक्रम लैंडिंग करेगा। शर्त यही है कि प्रोपल्शन सिस्टम अच्छी तरह से काम करता रहे। हमने सुनिश्चित किया है कि अगर विक्रम के दोनों इंजन काम नहीं करते हैं, तब भी यह लैंडिंग में सक्षम हो।"
दूसरी लैंडिंग
24 अगस्त को दूसरी बार लैंडिंग कराने का विकल्प
अगर चंद्रयान-3 किसी कारणवश आज शाम लैंडिंग नहीं कर पाता है तो 24 अगस्त को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग का दूसरा प्रयास किया जाएगा।
आज शाम 5.45 बजे इंटरनल चेकिंग के बाद और चंद्रमा पर सूर्य उदय होने पर सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होगी। यह पूरी प्रक्रिया शाम 20 मिनट तक चलेगी, जिसे ISRO ने 'खौफ के 20 मिनट' करार दिया है। लैंडिंग के लिए यही 20 मिनट सबसे महत्वपूर्ण हैं।
14 दिन
ISRO के पास 14 दिनों तक लैंडिंग का विकल्प
अगर कल भी लैंडिंग नहीं होती तो 14 दिन में कभी भी फिर कोशिश की जा सकती है।
दरअसल, चांद पर एक दिन 14 दिन और एक रात 14 रात के बराबर होती है। चांद की रात 22 अगस्त को समाप्त हो गई। अब 23 अगस्त से 5 सितंबर के बीच यहां दिन होगा।
चंद्रयान-3 का लैंडर और रोवर चांद पर उतरने के बाद सौर ऊर्जा से चलेगा, इसलिए ISRO के पास 5 सितंबर तक लैंडिंग का विकल्प खुला रहेगा।
इलाका
सफल लैंडिंग के लिए बढ़ाया गया लैंडिंग का क्षेत्रफल
चंद्रयान-3 में चंद्रयान-2 की तुलना में लैंडिंग एरिया की पहचान करने की क्षमता बढ़ाई गई है। चंद्रयान-2 को लैंडिंग के लिए 500x500 मीटर क्षेत्र की पहचान करने की क्षमता थी। चंद्रयान-3 की इस क्षमता को बढ़ाकर 4x2.5 किलोमीटर किया गया है।
चंद्रयान-3 को निर्धारित लैंडिंग स्थल से एक किलोमीटर के दायरे में आगे-पीछे भी ले जाया जा सकता है। अगर आज लैंडिंग नहीं हुई तो यान 25x134 किलोमीटर की वर्तमान कक्षा में मंडराता रहेगा।
भारत
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनेगा भारत
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद अमेरिका, रूस और चीन के बाद इस उपलब्धि को हासिल करने वाला भारत चौथा और चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश होगा।
इस मिशन के 3 मुख्य उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं। इनमें पहला चांद की सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग, दूसरा रोवर प्रज्ञान को चांद की सतह पर उतारना और घूमने की क्षमता हासिल करना है।
तीसरा उद्देश्य चांद से जुड़ा डाटा जुटाना और वैज्ञानिक प्रयोग करना है।