धरती पर ही चांद की मिट्टी तैयार करेगा ISRO, होंगे कई फायदे
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पृथ्वी पर चांद की कृत्रिम मिट्टी बनाने का पेटेंट हासिल कर लिया है।
यह प्रक्रिया बेहद कम लागत वाली होगी और इसके जरिये बड़े स्तर पर काम आने के लिए ऐसी मिट्टी बनाई जा सकेगी।
ऐसा होने के बाद ISRO कई ऐसे प्रयोग धरती पर ही कर सकेगा, जो अब तक चांद पर जाये बिना संभव नहीं थे।
इसे ISRO की एक और बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है।
फायदा
चांद पर जाने वाले मिशन के लिए स्टडी में होगी आसानी
ISRO को इस कृत्रिम मिट्टी से असली चांद की मिट्टी के बारे में कई बातें जानने को मिलेंगी। साथ ही ISRO इस मिट्टी पर अपने रोवर का भी प्रयोग कर सकता है।
भारत ने चंद्रयान-2 के तहत चांद पर लैंडर और रोवर भेजे थे, लेकिन तकनीकी खामी के चलते यह मिशन पूरी तरह सफल नहीं हो सका था।
अब ISRO इस मिट्टी पर रोवर की मोबिलिटी से जुड़े प्रयोग कर सकता है, जो उसे आगे के मिशन में काम आएंगे।
प्रोजेक्ट
सेलम की चट्टानों से बनेगी मिट्टी
ISRO चांद की कृत्रिम मिट्टी बनाने के लिए तमिलनाडु के सेलम के नजदीक स्थित सित्तामपुंडी अमर्थोसाइट कॉम्पलेक्स से चट्टाने लेगा।
पेटेंट एप्लिकेशन में बताया गया है कि ISRO द्वारा बनाई जाने वाली यह कृत्रिम मिट्टी पूरी तरह से चांद की असली मिट्टी के बराबर होगी। दोनों की मिनरलॉजी, दाने का आकार, केमिस्ट्री और दूसरे गुण एक समान होंगे।
यह मिट्टी चांद पर सरंचनाएं बनाने के प्रोजेक्ट की स्टडी के लिए भी काम आ सकेगी।
जानकारी
दूसरे देशों से बेहतर होगी ISRO की मिट्टी
खास बात यह है कि ISRO अब चांद की हाइलैंड सतह की नकल करने में कामयाब रहेगा।
हाईलैंड चांद पर स्थित वो जगहें होती हैं, जहां चट्टानें और खाईयां पाई जाती है। चांद की कुल सतह में से 80 प्रतिशत ऐसी है।
अभी से पहले दुनिया के कई देशों में चांद की कृत्रिम मिट्टी बनाने का काम चल रहा है, लेकिन इनमें से कोई भी हाईलैंड की मिट्टी जैसे गुणों वाली नहीं है। ISRO अब बिल्कुल ऐसी मिट्टी बनाएगा।
जानकारी
हाईलैंड इलाकों में लैंड होंगे भविष्य के मिशन
ISRO ने अपनी ऐप्लिकेशन में कहा कि भविष्य में चांद पर जाने वाले अधिकतर मिशन हाईलैंड इलाकों में लैंड करेंगे। इसलिए बड़ी मात्रा में ऐसी कृत्रिम मिट्टी की जरूरत होगी, जो इस इलाके में पाई जाने वाली मिट्टी के बराबर हो।
प्रयोग
चंद्रयान-2 के प्रयोग के लिए भी सेलम से लाई गई थीं चट्टानें
याद दिला दें कि ISRO ने चंद्रयान-2 के लिए रूस से तकनीकी मदद मांगी थी, लेकिन रूस ने ऐसा करने से मना कर दिया था।
इसके बाद संगठन ने अपने लैंडर और रोवर को सेलम से लाई गई चट्टानों पर टेस्ट किया था। सेलम से लाकर इन चट्टानों की पीसकर चांद की सतह जैसी मिट्टी बनाई गई थी।
अब ISRO चंद्रयान-3 की तैयारियों में जुटा है। इस बार केवल लैंडर और रोवर ही चांद पर भेजे जाएंगे।