पृथ्वी के चक्कर लगाते-लगाते खो गया दूसरा 'चांद', जानिये पूरी घटना
अभी तक हम आसमान में एक ही चांद देखते आए हैं। हालांकि, अंतरिक्ष के अंधेरे में एक 'छोटा चांद' और भी था। लगभग तीन साल पहले हमारे ग्रह के ऑर्बिट में यह 'चांद' पाया गया था। कुछ खगोलविदों ने जमीन पर लगे टेलीस्कोप का इस्तेमाल करते हुए इसे फिर देखा था। हालांकि, यह 'चांद' उस चांद से बिल्कुल अलग था जो हम और आप आकाश में देखते हैं। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
स्टडी में क्या पता चला?
15 फरवरी को कैटेलिना स्काई सर्वे के लिए काम कर रहे खगोलविद कैस्पर वियरकॉस और थियोड्र प्रयूने ने अपनी टेलीस्कोप स्क्रीन पर अजीब लाइटें देखी। उन्होंने इनका अध्ययन किया और पाया कि यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण ऑर्बिट में अस्थायी तौर पर बना नया 'छोटा चांद' हो सकता है। इसे 2020 CD3 नाम दिया गया था। खगोलविदों का मानना है कि पूरी तरह यह कार्बन से बना सी-टाइप एस्ट्रॉयड था।
लगभग एक कमरे के आकार का था एस्ट्रॉयड
अध्ययन में पता चला कि यह 6.2 फीट और 11.5 फीट के बीच के व्यास के आकार वाला एस्ट्रॉयड था। एक छोटे कमरे के आकार वाला यह एस्ट्रॉयड पिछले तीन साल से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा था।
एस्ट्रॉयड की स्टडी की सिफारिश
15 फरवरी को कैटेलिना स्काई सर्वे के खगोलविदों ने इसका पता लगाया और इसके 10 दिन बाद इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन की शाखा माइनर प्लेनेट सेंटर ने इस खोज की पुष्टि कर दी। सेंटर ने इसे टेंपरेरली कैप्चरड ऑब्जेक्ट (TCA) बताते हुए कहा कि यह पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा था। सेंटर ने कहा कि यह एस्ट्रॉयड किसी भी कृत्रिम वस्तु जैसा नहीं दिखता और भविष्य में इस पर और स्टडीज की जानी चाहिए।
यहां देखिए एस्ट्रॉयड की झलक
क्या यह कोई नई घटना है?
आमतौर पर पृथ्वी के पास से गुजरने वाले एस्ट्रॉयड गुरुत्वाकर्षण बल के कारण खगोलविदों को दिख जाते हैं, लेकिन इनमें से कोई भी इतने समय नहीं रहता कि उसे 'छोटा चांद' कहा जा सके। वो वातावरण में प्रवेश करते ही आग का गोला बन जाते हैं या कुछ समय तक ऑर्बिट में घूमने के बाद वापस ऊपर की तरफ उठ जाते हैं। 2020 CD3 के साथ भी ऐसा हुआ है। हालांकि, यह कब हुआ इसका पता नहीं चला है।
2006 में भी कैप्चर हुआ था ऐसा एस्ट्रॉयड
आपको बता दें कि खगोलविदों द्वारा कैप्चर किया गया 2020 CD3 दूसरा एस्ट्रॉयड था। इससे पहले 2006 में भी ऐसा ही एक एस्ट्रॉयड 2006 RH120 कैप्चर किया गया था। उसे भी कैटेलिना स्काई सर्वे की टीम ने कैप्चर किया था।