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    #NewsBytesExplainer: राजद्रोह कानून खत्म करने समेत सरकार आपराधिक कानूनों में क्या-क्या बड़े बदलाव करने जा रही?
    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 3 विधेयक पेश किये

    #NewsBytesExplainer: राजद्रोह कानून खत्म करने समेत सरकार आपराधिक कानूनों में क्या-क्या बड़े बदलाव करने जा रही?

    लेखन नवीन
    Aug 11, 2023
    07:24 pm

    क्या है खबर?

    केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे आपराधिक कानूनों की जगह लेने के लिए भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय साक्ष्य विधेयक और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक पेश किए।

    उन्होंने कहा कि इन विधेयकों से देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन होगा।

    इस बदलाव को मोदी सरकार का एक बड़ा कदम माना जा रहा है। आइए जानते हैं कि विधेयकों में क्या-क्या अहम बदलाव हुए हैं।

    कानून

    किन-किन कानूनों की जगह लेंगे नए विधेयक?

    केंद्र सरकार ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (IPC), भारतीय न्याय संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए क्रमश: भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक लेकर आई है।

    IPC 1860 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 में लाए गए थे, वहीं CrPC का सबसे पुराना प्रारूप 1882 में लाया गया था।

    इन पुराने कानूनों में कुल 313 बदलाव करके नए कानून प्रस्तावित किए गए हैं।

    बदलाव

    नए विधेयक में सरकार ने राजद्रोह कानून को किया खत्म

    इन विधेयकों में सबसे बड़ा बदलाव ये है कि इनमें राजद्रोह के कानून को खत्म कर दिया गया है। IPC की धारा 124A में राजद्रोह का जिक्र था, लेकिन अब नए विधेयक में राजद्रोह का प्रावधान नहीं होगा।

    हालांकि, इसकी जगह नए विधेयक की धारा 150 में राजद्रोह जैसा ही एक प्रावधान होगा, लेकिन इसे एक नया रंग-रूप और नाम दिया गया है।

    बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मई, 2022 से राजद्रोह के कानून पर रोक लगाई हुई है।

    राजद्रोह

    नई धारा में क्या प्रावधान है?

    भारतीय न्याय संहिता विधेयक की धारा 150 में भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों का जिक्र है।

    इस तहत अगर कोई व्यक्ति ऐसी अलगाव या सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियों को उत्तेजित करता है या उत्तेजित करने का प्रयास करता है या अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करता है, जिनसे भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरा हो सकता है तो उसे आजीवन कारावास या 7 साल की सजा हो सकती है।

    मॉब लिंचिंग

    मॉब लिंचिंग के मामलों में मिलेगी मौत की सजा

    भारतीय न्याय संहिता विधेयक में मॉब लिंचिंग के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान भी किया गया है। मॉब लिंचिंग का दोषी पाए जाने पर न्यूनतम 7 साल की जेल से लेकर मृत्युदंड तक की सजा होगी।

    नए कानून में हत्या की परिभाषा में ही मॉब लिंचिंग को भी शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि जो कोई भी हत्या करेगा, उसे मौत या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा।

    यौन अपराध

    यौन शोषण मामलों में भी सख्त किये गए प्रावधान

    नए विधेयक में यौन अपराधों में पीड़िता की पहचान उजागर करने पर सजा का प्रावधान है। इसके अलावा गैंगरेप के मामले में 20 साल जेल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।

    18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ रेप में मौत की सजा तक का प्रावधान किया गया है।

    यौन शोषण मामलों में मौत की सजा पाने वाले अपराधियों की सजा आजीवन कारावास में बदलने का प्रावधान भी किया गया है।

    377

    धारा 377 हटाना भी हटेगी, पुरुषों के खिलाफ अप्राकृतिक यौन अपराधों पर कोई सजा नहीं

    भारतीय न्याय संहिता विधेयक में IPC की धारा 377 को भी हटा दिया गया है। फिलहाल पुरुषों के खिलाफ अप्राकृतिक यौन अपराध IPC की धारा 377 के अंतर्गत आते हैं।

    इसका मतलब नया कानून आने के बाद पुरुषों के खिलाफ अप्राकृतिक यौन अपराधों पर कोई सजा नहीं रह जाएगी।

    नए कानून में रेप जैसे यौन अपराध किसी पुरुष द्वारा महिला या बच्चों के खिलाफ किए गए कृत्य के रूप में ही परिभाषित है।

    महिला

    किसी महिला के निजी फोटो वायरल करने पर भी होगी सजा  

    नए विधेयक में किसी महिला के निजी वीडियो/फोटो वायरल करने पर दंड का प्रावधान भी है।

    धारा 76 के अनुसार, अगर कोई किसी महिला को निजी फोटो खींचता है और सोशल मीडिया पर वायरल करता है तो इस अपराध के लिए पहली बार दोषी पाए जाने पर जुर्माना और न्यूनतम 1 साल की सजा होगी, जिसे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

    दूसरी बार अपराध के लिए 3 साल और तीसरी बार 7 साल की सजा का प्रावधान है।

    FIR

    कानूनों में ये बदलाव भी प्रस्तावित

    नए विधेयकों के अनुसार, सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज है तो 120 दोनों के अंदर केस चलाने की अनुमति देनी जरूरी है। इसके अलावा गिरफ्तारी के बचने वालों पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जा सकता है।

    नए कानून में उल्लेखित है कि पुलिस को 90 दिनों के भीतर FIR पर अपडेट देना होगा।

    इसके अलावा प्रस्तावित कानून में चुनाव के दौरान मतदाताओं को रिश्वत देने पर एक साल की कैद का प्रावधान भी किया गया है।

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