चंद्रयान-1 मिशन को लेकर अब्दुल कलाम ने ISRO को दी थी ये सलाह
चंद्रयान-3 आज चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा। चंद्रयान-3 मिशन के कारण भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और अन्य चंद्र मिशनों को लेकर काफी चर्चा हो रही है। भारत का पहला चंद्र मिशन, चंद्रयान-1 साल 2008 में लॉन्च किया गया था। उस समय सिर्फ एक ऑर्बिटर था, जिसे चंद्रमा पर भेजा जाना था। जब मिशन की तैयारी चल रही थी, तब तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) कार्यालय का दौरा किया था।
अब्दुल कलाम ने ISRO को दी थी ये सलाह
ISRO के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर के अनुसार, जब कलाम ने वैज्ञानिकों से पूछा कि चंद्रयान-1 के पास यह दिखाने के लिए क्या सबूत होंगे कि वह चंद्रमा पर गया था। तब वैज्ञानिकों ने कहा कि इसमें चंद्रमा की सतह की तस्वीरें होंगी, तो कलाम ने अपना सिर हिलाया और कहा कि यह पर्याप्त नहीं होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि अंतरिक्ष यान के साथ ऐसा उपकरण भेजा जाए, जिसे चंद्रमा की सतह पर गिराया जा सके।
ISRO ने डिजाइन में किया बदलाव
ISRO ने कलाम की सलाह पर ध्यान दिया और एक नए डिवाइस (मून इम्पैक्ट प्रोब) को यान के साथ अंतरिक्ष में भेजने लिए डिजाइन में बदलाव किया। यह मून इम्पैक्ट प्रोब 14, नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 के ऑर्बिटर से अलग होकर चंद्रमा की सतह से टकराया और चंद्रमा पर पहुंचने वाला पहला भारतीय ऑब्जेक्ट बन गया। इसे चंद्रमा की सतह पर दुर्घटना होने से पहले वहां के वातावरण का अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया था।