भविष्य में चांद पर होगा बच्चों का जन्म, शून्य गुरुत्वाकर्षण वाला शहर बना रहे हैं वैज्ञानिक
क्या है खबर?
भविष्य की दुनिया कैसी होगी, इसे लेकर अक्सर चर्चा होती है और कई साइंस-फिक्शन फिल्मों में भी इसकी झलक मिली है।
वैज्ञानिक एक ऐसे शहर पर काम कर रहे हैं, जहां शून्य-गुरुत्वाकर्षण वाली 1,300 फीट ऊंची बिल्डिंग्स होंगी, जो हर 20 सेकेंड्स में रोटेशन पूरा करेंगी।
ऐसे शहरों में कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण मिलेगा, जिससे आने वाले दिनों में चांद पर बच्चे पैदा हो सकेंगे।
यह प्रोजेक्ट जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी की ओर से शुरू किया गया है।
प्रोजेक्ट
अंतरिक्ष में इंसानों के रहने का वक्त दूर नहीं
जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी में प्रोजेक्ट लीड कर रहे योसुके यामाशिकी ने कहा, "वह दिन दूर नहीं है, जब इंसान अंतरिक्ष में चांद पर और मंगल ग्रह पर रहेंगे। NASA ने गुरुत्वाकर्षण की कमी को अंतरिक्ष में इंसानी जिंदगी के लिए बड़ी चुनौती बताया है।"
उन्होंने बताया कि भविष्य में कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण वाले 'द ग्लास' नाम के शहर तैयार किए जाएंगे, जिनका अपना इकोसिस्टम होगा। इस शहरों में पेड़-पौधों के अलावा पानी भी होगा।
सिस्टम
कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण वाला हेक्साट्रैक सिस्टम
नए प्रोजेक्ट में 'हेक्साट्रैक' नाम का कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण वाला ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम भी मिलेगा, जिससे एक ग्रह से दूसरे ग्रह तक पहुंचा जा सकेगा।
यही सिस्टम एक से दूसरे शहर में जाने का मौका भी देगा।
माइक्रोग्रैविटी के चलते खून सिर में चढ़ने लगता है और बेहोशी आने लगती है, जिससे बचाने का काम नए सिस्टम के साथ किया जाएगा।
अगली चुनौती अंतरिक्ष में प्रजनन और बच्चों के जन्म से जुड़ी है।
जन्म
क्या चांद पर बच्चों का जन्म संभव होगा?
NASA का कहना है कि लंबे मिशन्स के लिए अंतरिक्ष में बच्चों का जन्म भविष्य की जरूरत होगा।
यामाशिकी ने कहा, "शून्य-गुरुत्वाकर्षण में केवल इंसानों को सुरक्षित रखने पर शोध किया गया है। अंतरिक्ष में जन्म या बच्चों की बढ़त में गुरुत्वाकर्षण के महत्व से जुड़ी स्टडी अब तक नहीं की गई है।"
उन्होंने कहा है कि संभव है कि स्तनपायी जीव गुरुत्वाकर्षण के बिना बच्चों को जन्म ना दे पाएं या फिर उनका विकास सामान्य तरीके से ना हो।
चुनौती
अंतरिक्ष में धरती जैसा वातावरण देने की कोशिश
प्रोजेक्ट लीड ने बताया कि अगर किसी बच्चे का विकास कम या शून्य गुरुत्वाकर्षण में होता है, तो वह धरती पर खड़े होने में भी सक्षम नहीं होगा।
उन्होंने कहा, "यही वजह है कि हमारी कोशिश अंतरिक्ष में कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण के साथ धरती जैसा माहौल देने वाली इमारतें और शहर बनाने की होगी। इनकी मदद से चांद पर या मंगल जैसे दूसरे ग्रह पर बच्चों का जन्म संभव हो सकेगा। ये लोग केवल जरूरत पड़ने पर शून्य गुरुत्वाकर्षण में जाएंगे।"
प्रोटोटाइप
अगले तीन दशक में तैयार होगा प्रोटोटाइप
यामाशिकी और उनकी टीम टोक्यो के काजीमा कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिसने साल 1960 में जापान की पहली अल्ट्रा-हाई-राइज बिल्डिंग बनाई थी।
उनकी योजना अगले तीन दशक में 'द ग्लास' का एक प्रोटोटाइप तैयार करने की है।
यह टीम अपने प्रोजेक्ट में अंतरिक्ष में इंसानी जीवन से जुड़े सभी पहलुओं पर काम करेगी, जिनमें भोजन से लेकर पहनावा और रहने की जगह सभी शामिल हैं।
इन सभी को बिल्डिंग के सोशल सिस्टम से जोड़ा जाएगा।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
जेफ बेजोस और एलन मस्क जैसे दुनिया के अमीर लोग अंतरिक्ष में पर्यटन पर काम कर रहे हैं और अंतरिक्ष में आम लोगों का जाना संभव हो चुका है। मस्क की योजना भी मंगल ग्रह पर इंसानी कॉलोनी बसाने की है।