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    रूस अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन छोड़ने को तैयार; क्या है NASA का बैकअप प्लान?
    अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में करीब 110 देश सहयोग कर चुके हैं।

    रूस अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन छोड़ने को तैयार; क्या है NASA का बैकअप प्लान?

    लेखन प्राणेश तिवारी
    Aug 06, 2022
    07:44 pm

    क्या है खबर?

    पृथ्वी पर राजनीतिक और भौगोलिक हालात कैसे भी हों, अंतरिक्ष के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए कई देश मिलकर काम कर रहे हैं।

    धरती की कक्षा में मौजूद अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन 100 से ज्यादा देश मिलकर शोध कर रहे हैं, लेकिन रूस इससे अलग होने जा रहा है।

    यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिका और रूस के बीच आए तनाव के चलते रूस ने ISS छोड़ने का फैसला किया है।

    आइए जानते हैं कि NASA का बैकअप प्लान क्या होगा।

    योजना

    कई अभियानों के लिए महत्पूर्ण है स्पेस स्टेशन

    मामले से जुड़े लोगों ने बताया है कि NASA और व्हाइट हाउस दोनों पिछले साल के आखिर से ही रूस के साथ तनावपूर्ण हालात के चलते स्पेस स्टेशन से जुड़ी योजना पर काम कर रहे हैं।

    अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी की योजना दिखाती है कि रूस के स्पेस स्टेशन छोड़ने का असर कई महत्वपूर्ण अभियानों पर पड़ सकता है।

    रूस के अलावा बोइंग, स्पेस-x और नॉर्थरप गर्मन जैसे कॉर्पोरेट नाम भी अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन का हिस्सा बन रहे हैं।

    बदलाव

    समय से पहले बंद हो सकता है स्पेस स्टेशन

    रूस और NASA के बीच करीब दो दशक पुरानी पार्टनरशिप टूटने का मतलब दुनिया की दो सबसे बड़ी महाशक्तियों के बीच मौजूद गिने-चुने लिंक्स में से एक का खत्म होना होगा।

    अमेरिकी अधिकारियों की योजना में रूस के स्पेस स्टेशन छोड़ने के बाद सभी अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाना, रूसी स्पेस एजेंसी की ओर से दिए गए महत्वपूर्ण हार्डवेयर के बिना इसे चालू रखना या फिर पिछले प्लान से पहले ही इसे बंद करने जैसे विकल्प शामिल हैं।

    कोशिश

    पार्टनरशिप बनाए रखने की कोशिश में NASA

    अमेरिकी अधिकारियों और एजेंसी की ओर से तैयार किया गया प्लान तभी लागू किया जाएगा, अगर रूस अचानक स्पेस स्टेशन छोड़ देता है।

    ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है इसकी जानकारी NASA और व्हाइट हाउस दोनों को है, लेकिन वे इस बारे में चर्चा कर मौजूदा तनाव बढ़ाना नहीं चाहते।

    यही वजह है कि NASA इस बात पर जोर दे रही है कि वह रूस के साथ स्पेस स्टेशन से जुड़े संबंध बनाए रखना चाहती है।

    साझेदारी

    NASA और रूसी एजेंसी की साझेदारी में चलता है ISS

    अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन को दो दशक से ज्यादा वक्त तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया था और NASA के अलावा रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉस्मोस इसपर काम कर रही हैं।

    NASA स्पेस स्टेशन बैलेंस के लिए जायरोस्कोप्स देती है और इसे पावर देने के लिए सोलर एरेज का इंतजाम करती है।

    वहीं, रॉसकॉस्मोस के जिम्मे फुटबॉल फील्ड के आकार की इस लैब को उसकी कक्षा में बनाए रखने के लिए प्रपल्शंस कंट्रोल करती है।

    विकल्प

    प्राइवेट कंपनियों की मदद ले सकती है NASA

    बोइंग के अलावा अन्य प्राइवेट कंपनियां भी NASA की योजना का हिस्सा बनी हैं।

    NASA के प्रमुख प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर के तौर पर बोइंग के इंजीनियर्स की एक टीम इसपर काम कर रही है कि रूस के थ्रस्टर्स के बिना स्पेस स्टेशन को उसकी कक्षा में कैसे बनाए रखा जा सकता है।

    इसके अलावा NASA अपने कॉन्ट्रैक्टर्स से ISS को समय से पहले बंद करने और इसे कक्षा से हटाने के लिए भी कह सकती है।

    परेशानी

    2024 के बाद ISS छोड़ सकता है रूस

    बीते दिनों सामने आया है कि रूसी अंतरिक्ष एजेंसी साल 2024 के बाद अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) से पार्टनरशिप खत्म कर रही है।

    रॉसकॉस्मोस के अधिकारियों के के हवाले से समाचार एजेंसी AFP ने यह साझेदारी खत्म होने की जानकारी दी है।

    इसका मतलब है कि रूस साल 2024 के बाद ISS छोड़ देगा।

    यह फैसला अमेरिकी की ओर से रूसी अंतरिक्ष यात्रियों की आलोचना करने के कुछ सप्ताह बाद आया है।

    फटकार

    NASA ने ISS के राजनीतिक इस्तेमाल पर जताई थी आपत्ति

    दरअसल अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी की ओर से बीते दिनों रूसी अंतरिक्ष यात्रियों की गतिविधि पर आपत्ति जताई गई थी।

    NASA ने कहा था, "हम यूक्रेन के खिलाफ युद्ध का समर्थन करने से जुड़े राजनीतिक मकसद के लिए अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन का इस्तेमाल करने के लिए रूस को फटकार लगाते हैं। इस स्टेशन को विज्ञान और शांति से जुड़े काम और प्रयोग करने के लिए 15 अलग-अलग देश मिलकर एकसाथ चला रहे हैं।"

    जानकारी

    न्यूजबाइट्स प्लस

    अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में मौजूद प्रयोगशाला है, जहां धरती से एस्ट्रोनॉट्स जाकर रहते और प्रयोग करते हैं। यह 357 फीट इलाके में बना है और 300 कारों के कुल वजन से भारी है। यह हर 90 मिनट में धरती का एक चक्कर लगाता है।

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