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NASA ने मिशन शक्ति को बताया 'भयानक', कहा- स्पेस स्टेशन और एस्ट्रोनॉट्स के लिए खतरा बढ़ा

NASA ने मिशन शक्ति को बताया 'भयानक', कहा- स्पेस स्टेशन और एस्ट्रोनॉट्स के लिए खतरा बढ़ा

Apr 02, 2019
10:40 am

क्या है खबर?

भारत द्वारा किए गए मिशन शक्ति पर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मिशन शक्ति के ऐलान के कुछ दिन बाद NASA ने इस प्रयोग को 'भयानक' बताते हुए कहा कि इससे अंतरिक्ष में मौजूद अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) खतरा बढ़ा है। सोमवार को अपने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए NASA प्रमुख जिम ब्रिडेनस्टाइन ने कहा कि भारत के इस मिशन से अंतरिक्ष में मलबे के 400 टुकड़े फैल गए हैं।

ISS

ISS के ऊपर गया मलबा

जिम ने कहा कि भारत के मिशन के बाद NASA को अंतरिक्ष में 400 टुकड़े मिले हैं। उन्होंने कहा, "ये वो हैं जिनकी पहचान हो चुकी है, सारे टुकड़ों को ट्रैक नहीं किया जा सका है। अभी हम 60 टुकड़ों को ट्रैक कर पाए हैं। ये 10 सेंटीमीटर या उससे बड़े आकार के हैं। इन 60 में से 24 टुकड़े अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के ऊपर चले गए हैं।" बता दें, मिशन शक्ति का टेस्ट ISS से नीचे किया गया था।

खतरा

ISS को 44 प्रतिशत खतरा बढ़ा

जिम ने कहा कि इस टेस्ट से अंतरिक्ष यात्रियों के लिए नये खतरे पैदा हुए हैं। इससे अंतरिक्ष में फैले मलबे से ISS को 44 प्रतिशत खतरा बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्री और ISS पूरी तरफ सुरक्षित है। एक सवाल के जवाब में जिम ने कहा कि ऐसी गतिविधियां बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। ISS के ऊपर कचरा भेजने वाले टेस्ट करना 'भयानक' है। एक देश के ऐसा करने के बाद दूसरे देश भी ऐसा करने की सोचते हैं।

जानकारी

ऐसे कम होगा खतरा

चीन ने 2007 में भारत के मिशन शक्ति जैसा टेस्ट किया था। इससे अंतरिक्ष में लगभग 3 हजार मलबे के टुकड़े फैले थे। हालांकि, जैसे-जैसे यह मलबा वायुमंडल में प्रवेश करता जाएगा, वैसे-वैसे इसका खतरा कम हो जाएगा।

मिशन शक्ति

भारत ने 27 मार्च को किया था टेस्ट

भारत ने 27 मार्च को एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का टेस्ट किया था। इस पूरे अभियान को मिशन शक्ति नाम दिया गया था। इसके तहत DRDO और ISRO के वैज्ञानिकों ने लोअर अर्थ ऑरबिट में घूम रहे एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया था। इस सैटेलाइट को ISRO ने ही टेस्ट के लिए तैयार किया था। इसकी मदद से भारत ने अंतरिक्ष में मुकाबला करने की उपलब्धि हासिल कर ली है। चीन, अमेरिका और रूस के पास पहले से ऐसी ताकत है।