क्या है इंसान को फिर चांद पर भेजने वाला नासा का मिशन?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अब दशकों बाद फिर से इंसान को चांद पर भेजने की तैयारी में जुटी है। इस मिशन को आर्टिमिस मिशन नाम दिया गया है और इसके लिए एजेंसी ने अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट तैयार किया है। इसे स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) नाम से जाना जा रहा है और यह आर्टिमिस मिशन के स्पेसक्राफ्ट पार्ट को चांद पर ले जाएगा। इस मिशन में एक महिला और पहले गैर-श्वेत इंसान को चांद पर भेजा जाएगा।
कब लॉन्च होगा मिशन?
आर्टिमिस 1 मिशन के अगस्त में लॉन्च होने का अनुमान है। पहले इसे मई, 2021 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन इसमें देरी होती गई। यह एक टेस्ट फ्लाइट होगी। यानी इसमें कोई क्रूमेंबर नहीं जाएगा। इसके बाद जो मिशन लॉन्च होगा, उसमें क्रूमेंबर के साथ टेस्ट किया जाएगा। आर्टिमिस 3 में चांद की सतह पर उतरने की कोशिश की जाएगी और इसकी लॉन्चिंग 2025 के लिए निर्धारित की गई है। आर्टिमिस 4 में इंसानों को चांद पर भेजा जाएगा।
अभी तक कितना काम हो गया?
नासा ने 20 जून को आर्टिमिस 1 मिशन के लिए वेट ड्रेस रिहर्सल को सफलतापूर्वक समाप्त कर लिया है। इस रिहर्सल में नासा टीम ने SLS रॉकेट के फ्यूल टैंक में क्रायोजेनिक प्रोपेलेंट भरा और लॉन्च काउंटडाउन को परखा। इससे यह सुनिश्चित हो गया है कि SLS रॉकेट, ओरियन स्पेसक्राफ्ट और दूसरे सिस्टम आर्टिमिस 1 की लॉन्चिंग के लिए तैयार है। इसके बाद नासा ने कैपस्टोन मिशन लॉन्च किया, जो आर्टिमिस के लिए बेहद अहम है।
कैपस्टोन मिशन क्यों जरूरी?
28 जून को रॉकेट लैब के इलेक्ट्रॉन रॉकेट से नासा ने कैपस्टोन मिशन लॉन्च किया था। इस मिशन पर भेजे गए स्पेसक्राफ्ट और क्यूबसैट सैटेलाइट चांद की कक्षा के रास्ते पर हैं। यह अंतरिक्ष में नेविगेशन के लिए जरूरी आंकड़े मुहैया कराएगा। अगर यह मिशन सफल रहता है तो भविष्य में अंतरिक्ष में जाने वाले स्पेसक्राफ्ट धरती पर मौजूद ट्रैकिंग सिस्टम की मदद लिए अपनी लोकेशन का पता कर सकेंगे। यानी यह अंतरिक्ष में नेविगेशन को बदल देगा।
आर्टिमिस 1 मिशन पर इसलिए टिकी सबकी निगाहें
आर्टिमिस 1 मिशन एक टेस्ट फ्लाइट होगा और यह चांद के रहस्यों का पता लगाने की इंसानी कोशिशों के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा। साथ ही चांद और उसके पार जाने के लिए नासा की क्षमता को परखेगा। इस अंतरिक्ष अभियान के लिए दुनिया के सबसे शक्तिशाली रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा और यह धरती से 4.5 लाख किमी का सफर तय करेगा। रॉकेट के साथ ओरियन स्पेसक्राफ्ट भी भेजा जाएगा। मिशन पूरा करने के बाद यह धरती पर लौटेगा।
इस गति से करेगा वातावरण में प्रवेश
चांद से लौटते समय यह स्पेसक्राफ्ट 11 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती के वातावरण में प्रवेश करेगा। इसे कैलिफॉर्निया के बाजा तट के पास रिकवरी शिप की निगरानी में पानी में लैंड कराया जाएगा।
लुनर गेटवे क्या है?
यह नासा का एक प्रोग्राम है, जिसके तहत चांद की कक्षा में एक स्पेस स्टेशन का निर्माण करना शामिल है। चांद और इसके पार के मिशन में इसका उपयोग किया जाएगा। इसकी विशेषताओं की बात करें तो इसमें अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट के लिए डॉकिंग पोर्ट बने होंगे। धरती से जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स वहां रहकर काम कर सकेंगे। इस मॉड्यूल के लिए लॉन्च सर्विस प्रदाता के तौर पर स्पेस-एक्स को चुना गया है और यह 2024 में लॉन्च होगा।