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    मंगलयान: आज ही के दिन लॉन्च हुआ था ये मिशन, जानिए इसकी खास बातें 
    आज ही के दिन लॉन्च हुआ था मंगलयान (तस्वीर: ISRO)

    मंगलयान: आज ही के दिन लॉन्च हुआ था ये मिशन, जानिए इसकी खास बातें 

    लेखन Manoj Panchal
    Nov 05, 2024
    11:41 am

    क्या है खबर?

    मार्स ऑर्बिटर मिशन यानी मंगलयान भारत का मंगल ग्रह पर पहला मिशन था, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज ही के दिन (5 नवंबर) 2013 में लॉन्च किया था।

    गहरे अंतरिक्ष में 300 दिनों से अधिक का समय बिताने के बाद मंगलयान ने पहली बार 24 सितंबर, 2014 को मंगल की कक्षा में प्रवेश किया था।

    ऐसे में आइए मंगलयान के बारे में खास बाते जानते हैं।

    खर्च 

    अधिक पैसा खर्च किए बिना मिली सफलता 

    मंगलयान पर लगभग 450 करोड़ रुपये (लगभग 7.2 करोड़ डॉलर) की लागत आई थी। ऐसे में यह मंगल ग्रह पर अब तक का सबसे कम खर्चीला मिशन है।

    इसकी कम लागत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मावेन मंगल ऑर्बिटर मिशन की लागत 58.2 करोड़ डॉलर थी, जो मंगलयान से कई गुना अधिक है।

    रिकॉर्ड 

    पहले प्रयास में सफलता पाने वाला पहला देश 

    भारत अपने पहले ही प्रयास में अंतरिक्ष यान के साथ मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला देश बना था। इससे पहले कई अन्य देश अपने पहले प्रयास में सफल नहीं हो पाए थे।

    मिशन की सफलता से भारत मंगल की कक्षा में पहुंचने वाला पहला एशियाई देश भी बना था।

    ISRO ने मंगलयान मिशन बहुत तेजी से पूरा किया था। इसे शुरू होने से लेकर अंतरिक्ष में लॉन्च होने तक केवल 15 महीने लगे थे।

    उद्देश्य

    क्या था मंगलयान मिशन का उद्देश्य? 

    मंगलयान का उद्देश्य लक्ष्य मंगल ग्रह पर मीथेन गैस की तलाश करना था, जिसका मतलब हो सकता है कि वहां जीवन संभव हो।

    इसने मंगल की हवा, जमीन, चट्टानों और मौसम के बारे में भी जानकारी हासिल की। ​​इस मिशन ने मंगल ग्रह के बारे में बहुत सारी तस्वीरें लीं और महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई, ताकि वैज्ञानिकों को भविष्य में और अधिक जानने में मदद मिल सके।

    बता दें, मंगलयान अंतरिक्ष यान पूरी तरह से भारत में निर्मित किया गया था।

    जानकारी

    8 साल चला मिशन 

    मंगलयान को केवल 6 महीने तक काम करने की योजना के साथ बनाया गया था, लेकिन यह ISRO की अपेक्षा से कहीं अधिक समय तक काम करता रहा और साल 2022 में इसका धरती से संपर्क टूट गया। इसने करीब 8 साल तक काम किया।

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