ग्रह गोलाकार या अंडाकार ही क्यों होते हैं?
क्या है खबर?
सौरमंडल में अभी तक जो भी ग्रह वैज्ञानिकों को ज्ञात हैं, वे सभी गोलाकार या अंडाकार हैं। अब तक किसी अंतरिक्ष एजेंसी ने किसी अन्य आकार के ग्रह की खोज नहीं की है।
ग्रहों का गोल आकार कई कारणों से होता है।
गुरुत्वाकर्षण बल ग्रहों को एक समान आकार में आकर्षित करता है, जिससे वे गोलाकार बनते हैं।
आइए जानते हैं ग्रहों के गोलाकार या अंडाकार होने के पीछे के वैज्ञानिक कारण क्या हैं।
गुरुत्वाकर्षण
गुरुत्वाकर्षण और गतिशीलता है प्रमुख वजह
ग्रहों के आकार और आकृति में गुरुत्वाकर्षण बल की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
जब कोई खगोलीय पिंड बड़ा होता है, तो उसका द्रव्यमान आसपास की वस्तुओं को अपनी ओर खींचता है। इस कारण से ग्रहों की कक्षाएं भी ग्रहीय गतिशीलता और उनके बीच के गुरुत्वाकर्षण संबंधों के कारण अंडाकार होती हैं।
बड़े द्रव्यमान वाले ग्रह अन्य वस्तुओं को आकर्षित करते हैं, जिससे उनका आकार गोल या अंडाकार होता है। इस प्रक्रिया में गुरुत्वाकर्षण बल का प्रभाव महत्वपूर्ण होता है।
निर्माण
ग्रहों का निर्माण और कक्षीय गतिशीलता
ग्रहों का निर्माण धूल और गैस के बादलों से होता है, जो एक साथ खिंचते हैं और एक अंडाकार आकार में व्यवस्थित होते हैं। सौरमंडल में वस्तुओं की टकराहट और इकट्ठा होने से ग्रह बनते हैं।
ग्रहों की कक्षाएं हमेशा पूरी तरह गोल नहीं होतीं। उनकी कक्षाएं आमतौर पर एक अंडाकार आकार में होती हैं, जो सूर्य के चारों ओर उनकी गति के कारण होती हैं। ग्रहों की गति और गुरुत्वाकर्षण बल मिलकर उनकी कक्षाओं को अंडाकार आकार देते हैं।
अन्य वजह
विभिन्न प्रकार की सामग्री और घूर्णन का प्रभाव
ग्रहों में विभिन्न सामग्रियों और भौतिक विशेषताओं के कारण उनका आकार अलग-अलग हो सकता है। ठोस और तरल पदार्थों का संग्रह ग्रहों के अंडाकार आकार में योगदान करता है।
ग्रहों की घूर्णन गति भी उनके आकार को प्रभावित कर सकती है। जब ग्रह तेजी से घूमते हैं, तो वे अपने केंद्र की ओर अधिक बलित होते हैं, जिससे वे अंडाकार रूप में थोड़ा फैल जाते हैं। हालांकि, इस प्रभाव की मात्रा आमतौर पर बहुत कम होती है।