अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का नाम ऊंचा कर रहा ISRO, जानिये भविष्य की बड़ी योजनाएं
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) देश के लिए गर्व का दूसरा नाम बन गया है। ISRO हर मिशन के साथ अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का नाम ऊंचा करता जा रहा है। अमेरिका में जितनी लागत में एक फिल्म बनती है, उससे कम लागत में ISRO ने सफलतापूर्वक चांद पर अपना मिशन भेज दिया। अब दुनिया के बड़े-बड़े देश अंतरिक्ष के मामले में भारत की तरफ देखने लगे हैं। आइये, जानते हैं ISRO की भविष्य की बड़ी योजनाएं क्या हैं।
अंतरिक्ष में होगा भारत का स्पेस स्टेशन
भारत आने वाले वर्षों में अपना स्पेस स्टेशन बनाने की योजना पर काम कर रहा है। ISRO प्रमुख के सिवान ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह गगनयान मिशन का ही एक विस्तार होगा। उन्होंने कि यह एक छोटा मॉड्यूल होगा, जिसका मुख्य उपयोग माइक्रोग्रैविटी प्रयोगों के लिए किया जाएगा। गगनयान के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद ही इस योजना को आगे बढ़ाया जा सकेगा। अगले 5-7 साल में इसकी अवधारणा पर काम किया जाएगा।
ISRO भेजेगा भारतीय अंतरिक्ष यात्री
ISRO 2022 में गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष में भारत का पहला मानव मिशन भेजेगा। इसके तहत 3 भारतीयों को 7 दिनों के लिए अंतरिक्ष भेजा जाएगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए 10 हजार करोड़ के बजट को मंजूरी दी है। अगर गगनयान मिशन कामयाब रहता है तो भारत दुनिया का केवल चौथा ऐसा देश होगा, जो मानव को अंतरिक्ष में भेजने में कामयाब होगा। इससे पहले अमरेका, रूस और चीन ये कारनामा कर चुके हैं।
1975 में लॉन्च किया था पहला सैटेलाइट
1969 में शुरुआत के साथ ही ISRO ने अंतरिक्ष की ऊंचाईयां हासिल करना का सपना देख लिया था। 19 अप्रैल, 1975 को भारत ने अपना पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।
अगले महीने लॉन्च होगा चंद्रयान-2
ISRO अगले महीने दूसरे चंद्रयान मिशन की योजना बना रहा है। हाल ही में ISRO ने इसके मॉड्यूल की फोटो जारी की थी। इस मिशन पर पूरी तरह भारत में तैयार तीन मॉड्यूल भेजे जाएंगे। इनमें एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर होगा। ऑर्बिटर चांद की सतह से 100 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगाएगा, जबकि लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा और रोवर चांद की सतह पर प्रयोग करेगा। इस यान को GSLV MK-III लॉन्च व्हीकल से लॉन्च किया जाएगा।
सफल साबित हुआ था चंद्रयान-1
इससे पहले भारत ने अक्टूबर, 2008 में चंद्रयान-1 मिशन लॉन्च किया था, जिसमें केवल एक ऑर्बिटर शामिल था। चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की कक्षा के 3,400 से ज्यादा चक्कर लगाए और उसकी सतह की सैकड़ों तस्वीरें लीं। हालांकि ईंधन की कमी के कारण मिशन पूरा नहीं हो सका और अगस्त 2009 को चंद्रयान-1 से संपर्क टूट गया। इस मिशन को चांद की सतह पर पानी की खोज का श्रेय दिया जाता है। पूरी दुनिया में इस मिशन की तारीफ हुई थी।
हॉलीवुड फिल्म की लागत से भी कम खर्च में मंगल पर भेजा मिशन
ISRO ने 5 नवंबर, 2013 में भारत का पहला मंगल अभियान मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) भेजा था। 24 सितंबर, 2014 को मंगलयान 67 करोड़ किलोमीटर का सफर पूरा कर पहली ही कोशिश में सीधे मंगल ग्रह की कक्षा में जा पहुंचा था। एशिया को कोई भी देश अब तक ऐसा नहीं कर पाया है। इस मिशन पर केवल 450 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जबकि हॉलीवुड फिल्म ग्रैविटी की लागत 600 करोड़ रुपये थी।
एक साथ लॉन्च किए थे 104 सैटेलाइट
फरवरी, 2017 में ISRO ने एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। एक अंतरिक्ष अभियान में इससे पहले इतने उपग्रह एक साथ नहीं छोड़े गए थे। इससे पहले एक अभियान में सबसे ज्यादा सैटेलाइन भेजने का रिकॉर्ड रूस के नाम था, जिसने 2014 में एक साथ 37 सैटेलाइट भेजे थे। इस अभियान में ISRO ने अमेरिका और इजरायल जैसे तकनीकी रूप से उन्नत देशों के सैटेलाइट भी लॉन्च किए थे।
पिछले महीने ही लॉन्च किया था RISAT-2B
ISRO ने 22 मई को सुबह 5:30 बजे श्रीहरिकोटा से हर मौसम के रडार इमेजिंग पृथ्वी निगरानी उपग्रह 'RISAT-2B' को सफलतापूर्व लॉन्च किया था। यह RISAT सीरीज का चौथा सैटेलाइट है। ISRO ने जानकारी दी कि PSLV-C46 ने इस सैटेलाइट को पृथ्वी की निचली कक्षा (लो अर्थ ऑरबिट) में स्थापित किया गया। यह खुफिया निगरानी, कृषि, वन और आपदा प्रबंधन सहयोग जैसे क्षेत्रों में मदद करेगा। RISAT-2B 2009 में भेजे गए RISAT-2 की जगह लेगा।